इज़राइल को ग़लत ठहराना और हमास का समर्थन दोनों नाजायज

  • इस तरह की बेरहमी करने वालों को दुनिया का नहीं मिलना चाहिए साथ
  • लेकिन दृश्य हृदय विदारकः दो मुल्क, दो चेहरे लेकिन बेबसी, पीड़ा और आंसू एक
चंद्रप्रकाश मिश्र
चंद्रप्रकाश मिश्र

वो शनिवार की रात थी। भारत के लोग गहरी नींद में सोए हुए थे। जो लोग जग भी रहे थे, वो अपने कार्य में व्यस्त थे और इज़रायल में घटी दुर्घटना से शायद अनजान थे। अगले दिन रविवार की सुबह थी। सूरज आकाश के आग़ोश से निकलकर क्षितिज की ओर चढ़ ही रहा था कि दुनिया भर के टीवी चैनल चिग्घाड़ने लगे। इज़रायल में बड़ी घटना। निर्ममता से महिलाओं और बच्चों के गले काट डाले आतंकियों ने। इतनी चिल्ल-पों सुनकर सभी का दिल बैठा जा रहा था। घटना थी भी इतनी दुखद और निर्मम। जो वीडियो वायरल हुआ, उसे देखकर कमजोर दिल वाले लोगों को कार्डिएक अरेस्ट तक हो सकता था। ख़बर थी कि फ़िलिस्तीन में पल-बढ़ रहे हमास के आतंकियों ने इज़रायल में वो घटना की जिससे इंसानियत शर्मसार हो उठी। साथ ही दुनिया की सबसे तेज़तर्रार इंटेलीजेंस एजेंसी मोसाद पर भी सवालिया निशान उठने लगे। बता दें कि 1973 के बाद इजराइल पर यह सबसे बड़ा हमला है। ख़बरों के अनुसार बेरूत में कई बैठकें हुईं, जिनमें IRGC (इस्लामिक रेवोलूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के अधिकारी, ईरान के आतंकी संगठनों के लोग शामिल होते थे। इन्हीं बैठकों में हिजबुल्लाह, शीते और हमास के लोग शामिल हुए थे।

ग़ौरतलब है कि दुनिया भर में इज़राइल अपने तेज़ खुफिया हथियारों, ड्रोन और युद्धक सामान के लिए चर्चित है। तक़रीबन एक करोड़ की आबादी वाला यह देश अपने बजट का एक चौथाई हिस्सा रक्षा पर ही खर्च करता है। यहाँ का हर नागरिक 18 साल की वय पर मिलिट्री ट्रेनिंग लेता है, तब जाकर वह किसी अन्य सेवाओं की ओर रुख़ करता है। जानकारों का कहना है कि इज़राइल और हमास के बीच तनाव लम्बे समय से चला आ रहा है। लेकिन शनिवार को चरमपंथी गुट ने जो हमले किए, उसे लेकर कोई चेतावनी जारी नहीं की। हमास ने इजराइल पर ताबड़तोड़ हज़ारों रॉकेट दागे। साथ ही दर्जनों चरमपंथी सीमा पार कर इजराइल के रिहाइशी इलाक़े में घुस गए, जहाँ इन लोगों ने जो किया, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। हमास के अटैक के बाद ईरान, लेबनान समेत कई ऐसे देश हैं जो खुलकर खुशी जाहिर कर रहे हैं। वहीं अब हमास और हिज़्बुल्लाह कट्टरपंथी संगठनों के ही सदस्यों ने यह बात स्वीकार की है कि ईरान इस हमले में सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था।

यदि घटना की बात करें तो इज़राइल में एक म्युजिक फ़ेस्टिवल चल रहा था। लोग एक मैदान में इकठ्ठा थे। फेस्ट में लोग इन्ज्वॉय कर रहे थे, तभी इलेक्ट्रॉनिक पैराशूट (मोटराइन पैराग्लाइडर्स) से लोग उतरने लगे। लोगों को लगा कि यह भी फेस्ट का हिस्सा है। लोग वीडियो बनाने लगे और लाइव होने लगे। तभी आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियाँ दागनी शुरू कर दी। एक मिनट में इतनी बड़ी घटना हुई तो किसी को कुछ समझ में नहीं आया। सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद आतंकियों ने लोगों का सिर धड़ से कलम करना शुरू कर दिया।रक्षा विशेषज्ञ पीके घोष कहते हैं कि क़रीब 40 बच्चों की हत्या करना और महिलाओं के सिर और स्तन को काटने वाला कितना बर्बर होगा, इसका अंदाज़ा लगाना भी कठिन है।

एक ख़बर के मुताबिक़ अगस्त से ही ईरान इस हमले की साजिश में लगा हुआ हुआ था। बेरूत में होने वाली बैठकों में हमास, हिजबुल्लाह के साथ मिलकर ईरान ने इजराइल में घुसपैठ और कत्लेआम का प्लान तैयार कर लिया था। इसके अलावा ईरान ने आतंकियों को जरूरी ट्रेनिंग भी दी थी। ईरान के IRGC के लोग हमास के साथ अगस्त से ही काम कर रहे थे। उन लोगों ने मिलकर ही हवा, धरती और पानी से इजराइल में आतंकियों की घुसपैठ कराने का प्लान तैयार किया था।

वहीं अमेरिका का कहना है कि अब तक हमले में ईरान के सीधे तौर पर शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अनुसार ईरान हमास का सपोर्ट करता है लेकिन इस हमले के पीछे हाथ होने के प्रमाण नहीं मिले हैं। सीरिया सरकार के सलाहकार और यूरोप के अधिकारियों ने भी ईरान के शामिल होने की बात कही है। वहीं हमास के कई लड़ाकों का कहना यह भी है कि यह हमास और फिलस्तीन का ही पूरा प्लान था।

इज़रायल के लिए कड़ी परीक्षा का समय…

चारों तरफ़ से मुस्लिम देशों से घिरे इज़राइल और उसकी एजेंसी मोसाद के लिए यह कठिन परीक्षा की घड़ी है। ये मुश्किलें तब और बढ़ती दिख रही हैं, जब तक़रीबन सभी इस्लामिक देश उसके ख़िलाफ़ खड़े होते नज़र आ रहे हैं। अब इज़राइल ने लेबनान पर भी रॉकेट दागने शुरू कर दिए। सीरिया भी खुलकर हमास के समर्थन में खड़ा हो गया है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान के इशारे और सहारे के बूते ही हमास ने इज़राइल जैसे मज़बूत देश के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने की हिम्मत जुटा पाया। बताते चलें कि कुछ साल पहले तक लेबनान ईसाई बहुल देश हुआ करता था। वहाँ बेतरतीब जनसंख्या वृद्धि कर मुसलमानों ने ईसाइयों से जगह-जमीन और जोरू छीन ली और अब वह इस्लामिक देश बन चुका है।

कौन है हमास

हमास फिलिस्तीन का इस्लामिक चरमपंथी समूह है, जो गाज़ा पट्टी से संचालित होता है। साल 2007 में गाज़ा पर नियंत्रण के बाद हमास के विद्रोहियों ने इजराइल को बर्बाद करने की कसम खाई है। तब से लेकर आज तक ये चरमपंथी संगठन इजराइल के साथ कई बार युद्ध छेड़ चुका है। इस दौरान हमास ने इसराइल पर हज़ारों रॉकेट दागने के साथ कई दूसरे घातक हमले भी किए. इसराइल पर हमले के लिए हमास दूसरे चरमपंथी गुटों की भी सहायता लेता है। इन हमलों के जवाब में इसराइल कई तरह से हमास पर सैन्य कार्रवाई करता है। वर्ष 2007 के बाद से ही इसराइल ने मिस्र के साथ मिलकर गाज़ा की नाकेबंदी कर रखी है। एक संगठन के रूप में हमास, ख़ासतौर पर इसकी मिलिट्री विंग को इसराइल, अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, ब्रिटेन और कई दूसरे देशों ने आतंकवादी समूह घोषित कर रखा है। वहीं पड़ोसी ईरान हमास का सबसे बड़ा समर्थक है। वो इसे आर्थिक मदद के साथ हथियार और ट्रेनिंग सुविधाएं भी मुहैया कराता है।

कहां से पड़ी इस अटैक की नींव

कूटनीति के जानकार कहते हैं कि कुछ दिनों से अमेरिका की मध्यस्थता के चलते सऊदी अरब और इज़राइल में शांति वार्ता चल रही थी। पूरी कहानी समझने के लिए दो माह पीछे लौटना पड़ेगा। इस साल 28 अगस्त को एयर सेशल्स एयरलाइंस के विमान को तकनीकी कारणों से सऊदी अरब के जेद्दा एयरपोर्ट पर लैंड करना पड़ा था। जेद्दा में आपातकालीन लैंडिंग की सूचना जैसे ही पायलट ने दी.. वैसे ही यात्रियों में तनाव छा गया। एक इज़राइली यात्री ने तब बीबीसी से इस घटना का ज़िक्र करते हुए बताया था कि यह बहुत डरावना था। लेकिन हम सबका बहुत अच्छे से (सऊदी लोगों ने) स्वागत किया। हम यह देखकर बहुत ख़ुश थे कि ठीक और सुरक्षित हैं। ग़ौरतलब है कि इस ख़ौफ़ की वजह इजराइल और सऊदी अरब थे क्योंकि दोनों देशों के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं। उस समय HM022 नामक फ़्लाइट में 128 इजराइली यात्री सवार थे जो सकुशल अगले दिन तेल अवीव पहुंचे।

 

भारत के लिए भी चिंता का विषय

इस घटना के बाद दुनिया भर के इस्लामिक राष्ट्र हमास का समर्थन करने उतर गए हैं। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिस तरह छात्रों ने प्रदर्शन किया, उससे यही लगता है कि कुछ विशेष गुट के लोगों को आतंकी घटनाएँ सामान्य सी बात लगती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को दो टूक लहजे में कह दिया कि दुनिया भर में आतंक के सफ़ाए में भारत उसके साथ खड़ा है। लेकिन जो दृश्य हैं, वो हृदयविदारक हैं। दो अलग-अलग मुल्क होने के बावजूद अब बमवर्षा के बाद दोनों तरफ़ एक जैसे आंसू, पीड़ा और बेबसी देखने को मिल रही है। जिस तरह हमास के आतंकियों ने अल्लाह हू अकबर कहकर हत्याएं की, गला काटा और निर्ममता से भून डाला, वो अब दूसरे तरफ़ फ़िलिस्तीन में भी दिखने लगा है। एक वीडियो में इज़राइल में बमबारी के बाद वहाँ भी वीभत्स दृश्य दिखने लगे हैं। रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो जिस तरह से इस्लाम के मानने वाले हमास और हिज़्बुल्लाह जैसे आतंकी संगठनों के साथ हैं, उससे कहा जा सकता है कि यदि भारत पर संकट इस्लामी देशों से आया तो यहाँ के अधिकांश लोग देश की बात छोड़कर उसके साथ खड़े नज़र आएँगे। ऐसी स्थिति में एक बार फिर भारत और हिंदुत्व ख़तरे में पड़ जाएगा।

 

 

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