अपने जिले में बुद्ध का ननिहाल होना हमारे लिए गर्व की बात: वीरेंद्र चौधरी

महराजगंज। हमारे लिए गर्व की बात है कि भगवान बुद्ध का ननिहाल देवदह हमारे जिले में है। इसे पूर्ण रूप से विकसित करने की जिम्मेदारी हमारी है और हम सबकी है। देवदह जैसे पवित्र स्थल का विकास नहीं हो पाया,यह एक जनप्रतिनिधि होने के नाते हमारी भी कमी है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस पवित्र स्थल के विकास से दो फायदा होगा,एक, दुनिया के बुद्धिष्ट देशों से आने वाले बुद्ध अनुयायियों के मार्फत विदेशी मुद्रा में बढ़ोत्तरी होगी और दूसरा,यह स्थल विश्व पर्यटक के फलक पर अंतरराष्ट्रीय महत्व का प्रमुख केन्द्र होगा।

यह बातें फरेंदा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक वीरेंद्र चौधरी ने रविवार को भगवान बुद्ध के ननिहाल देवदह महोत्सव के तीसरे दिन समापन अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बताने की जरूरत नहीं है कि इतिहा सकार व चीनी यात्रियों के बुद्ध स्थलों के यात्रा वृत्तांत में स्पष्ट है कि नेपाल सीमा पर स्थित महराजगंज जिले का देवदह भगवान बुद्ध का ननिहाल है। जिसकी पहचान महारानी मायादेवी, प्रजापति गौतमी और राजकुमारी यशोधरा के मायके के रूप में है।

उन्होंने कहा कि यूं तो महराजगंज जिले का कण-कण भगवान बुद्ध के चरण रज से गौरवान्वित है लेकिन ठूठीबारी से उज्जैनी तक का क्षेत्र बौद्ध कालीन इतिहास के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। यहां देवदह, रामग्राम, कुंवरवर्ती स्तूप, पिप्पलिवन स्थिति है।इन सभी बुद्ध स्थलों को चिन्हित कर इसे भगवान बुद्ध की तीर्थ स्थली के साथ पर्यटन हब के रूप में विकसित किए जाने की आवश्यकता है। इतिहासकार भी इस बात से एकमत हैं कि ये सभी स्थल महराजगंज जिले में ही हैं। भगवान बुद्ध का ननिहाल देवदह यद्यपि की नौतनवा तहसील में है लेकिन इसके विकास के लिए हमसे भी जितना प्रयास होगा,हम करेंगे।

विधायक चौधरी ने यह भी कहा कि नेपाल में स्थित बुद्ध की जन्मस्थली  लुंबिनी जहां विकसित होकर विश्व फलक पर एक मुकाम हासिल कर लिया है वहीं नेपाल सीमा के सिद्धार्थनगर और महराजगंज जिले के पिपरहवा और देवदह अपेक्षित विकास को तरस रहा है। मौजूदा और पूर्व के मुख्यमंत्रियों की घोषणाओं के बाद इन महत्वपूर्ण स्थलों का अपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा। पिपरहवा और देवदह दोनों ही स्थल बुद्ध अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

देवदह गौतम बुद्ध की मां महामाया, मौसी महाप्रजापति गौतमी की जन्मस्थली है। सम्राट हर्षवर्धन के शासन काल में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों का भ्रमण किया था। इसी क्रम में वह देवदह भी आया। 1991 में पुरातत्विक सर्वेक्षण विभाग की पटना इकाई ने यहां आंशिक खनन कराया था। खनन टीम ने अपनी रिपोर्ट में यहां के स्तूप को गुप्त काल से पहले का बताया। यहां का रामग्राम भी बौद्ध युगीन कोलिय वंशजों की राजधानी थी, जहां भगवान बुद्ध के निर्वाण के बाद उनकी अस्थियों के आठवें भाग पर एक धातु स्तूप निर्मित किया गया। तीसरा अहम स्थल है कुंवरवर्ती स्तूप। यहां गृहत्याग के बाद भगवान बुद्ध ने अपने राजसी वस्त्र को त्याग कर सन्यासी का वेश धारण किया था। इस अवसर पर पीसीसी सदस्य एडवोकेट विजय सिंह, नौतनवां नगरपालिका के चेयर मैन बृजेश मणि त्रिपाठी, नौतनवां विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार रहे सदानंद उपाध्याय, आनंदनगर के प्रथम चेयरमैन रहे जयप्रकाश लाल, समाजसेवी राम प्यारे प्रसाद,डा.रामनरायन चौरसिया आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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