डॉ दिलीप अग्निहोत्री
लखनऊ। मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा है सनातन धर्म का विरोध करने वाले वही लोग हैं जो जातीय विषवमन कर सामाजिक व राष्ट्रीय एकता को तार-तार करना चाहते हैं। दूसरी तरफ सनातन में आस्था रखने वाले राष्ट्र को विश्व गुरु और अर्थिक महाशक्ति बनाने का कार्य कर रहे हैं। पांच सौ वर्ष की प्रतीक्षा के बाद जब प्रभु श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं, उससे पहले उनके राज्य के आदर्शों को अपनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में करोड़ों गरीबों के लिए घर, शौचालय, अन्न, स्वास्थ्य सुरक्षा समेत अन्य सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर दी गई हैं। योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर परम्परागत विजय दशमी शोभा यात्रा का नेतृत्व किया। इसके बाद वह मानसरोवर रामलीला मैदान प्रभु श्रीराम माता जानकी श्रीहनुमान का पूजन किया। लोगों की सकारात्मकता के परिणाम से जब केंद्र व प्रदेश में एक विचारधारा की डबल इंजन सरकार बनी तो सौहार्दपूर्ण तरीके से भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम के मंदिर में विराजमान होने से पूर्व देश में पीएम मोदी ने चार करोड़ गरीबों के आवास बनवाकर, 12 करोड़ शौचालय बनवाकर, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देकर, गरीबों को पांच लाख की स्वास्थ्य सुरक्षा देकर तथा आपदा में पांच लाख रुपये देने की व्यवस्था कर रामराज्य के आदर्शों को आगे बढ़ाया है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्रीराम ने अधर्म, असत्य व अन्याय पर विजय प्राप्त कर रामराज्य की नींव रखी थी। विजयदशमी पर देश-दुनिया में बसने वाला हर सनातन धर्मावलंबी इसका स्मरण करता हुए प्रभु श्रीराम के बताए मार्ग पर चलने के संकल्प से खुद को जोड़ता है।
यदि सकारात्मक ताकतें एकजुट व मजबूत होकर सदमार्ग पर चलेंगी तो राष्ट्र व समाज के हित में धर्म, सत्य व न्याय की विजय होती रहेगी। यदि समाज में बिखराव हुआ या नकारात्मक शक्तियां हावी हुईं तो वह आतंकवाद, नक्सलवाद, उग्रवाद, अलगाववाद, माफियावाद, अराजकता आदि के रूप में दिखाई देती हैं। इसलिए समाज में सकारात्मकता और एकता को बढ़ावा देना सबकी जिम्मेदारी होती है। जब सतसंकल्प के साथ सकारात्मकता और एकता के मार्ग का अनुसरण किया जाता है तो उसका परिणाम भी अच्छा होता है। अच्छी सोच का अच्छा तथा बुरी सोच का बुरा परिणाम आता है।श्रीराम साक्षात धर्म के विग्रह हैं। धर्म केवल उपासना विधि नहीं है बल्कि जीवन का शाश्वत मूल्य है। सनातन धर्म हमें कर्तव्य, सदाचार और नैतिक मूल्यों के प्रति आग्रही बनाता है।