चारों वेद, 18 पुराण, अष्टोत्तर शत उपनिषद का फल है “श्रीमद् भागवत” : स्वामी लक्ष्मणदास

लखनऊ। शरद पूर्णिमा के पावन पर्व एवम काकोरी काण्ड के शहीदों को समर्पित कृष्ण कृपा मिशन के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आशियाना में आयोजित भागवत कथा के प्रथम दिन परम पूज्य सद्गुरुदेव प्रेममूर्ति स्वामी लक्ष्मणदास महाराज ने सभी भक्तों को संबोधित करते हुए बताया चारों वेद 18 पुराण, अष्टोत्तर शत उपनिषद का फल है”श्रीमद् भागवत”। जैसे हम सभी को आम का फल चाहिए तो हम फल लेते हैं ना कि पूरा वृक्ष ऐसे ही इस व्यस्ततम समय में जब मनुष्य के पास समय की कमी हो कर्तव्य के कारण धर्म अध्यात्म के पथ पर बहुत ज्यादा नहीं बढ़ पा रहा है, तब वह अगर केवल श्रीमद्भागवत का आश्रय ले या संपूर्ण जीवन में सिर्फ सात दिन भागवत की कथा श्रवण करें तो उसके जीवन में अभूतपूर्व बदलाव आता है। क्योंकि श्रीमद्, भागवत साक्षात श्रीकृष्ण स्वरूप है, श्रीमद् शब्द से अलंकृत हैं, पंचम वेद हैं नर को नारायण से मिलाने का माध्यम है श्रीमद् भागवत।

भागवत जहां भक्त और भगवान दोनों की कथा है ऐसी कथा को श्रवण करने मात्र से मनुष्य की समस्त व्यथाएं नष्ट हो जाती है। क्योंकि भागवत को कल्पवृक्ष भी कहा गया है, कल्पवृक्ष का मतलब होता है। संसार की कोई भी एक कामना रखी जाए। तो वह कामना अवश्य पूर्ण होती है। साथ ही महाराज जी ने भक्तों को बताया यह कार्यक्रम अपने आप में अद्भुत और अद्वितीय है क्योंकि यहां कथा के साथ-साथ दिव्य और भव्य महालक्ष्मी यज्ञ का कार्यक्रम रखा गया है, जहां विद्वान आचार्य के द्वारा नित्य नियम से ऋग्वेद के मत्रों के द्वारा आहुति प्रदान की जाएगी, और इस यज्ञ में यंत्र की विधिवत स्थापना करके सर्व मनोकामना सिद्धि के लिए समस्त भक्तों को वितरण किया जाएगा । वह भक्त श्रीयंत्र की पूजा करके घर से दरिद्रता नकारात्मक ऊर्जा आधी व्याधि सब कुछ दूर कर पाएंगे। आशियाना क्षेत्र एवम सम्पूर्ण लखनऊ में इस कथा और यज्ञ को लेकर के बड़ा उत्साह है क्योंकि अभी से पहले सिर्फ कथा का ही कार्यक्रम रहता था पहली बार विशाल यज्ञ का भी कार्यक्रम रखा गया है और इस बार कथा में बृज की फुल होली, रासलीला, नि: शुल्कश्री यंत्र वितरण का भी कार्यक्रम है।

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