- शासन व जेल मुृख्यालय के अफसर नहीं ले रहे घटनाओं का संज्ञान
आर के यादव
केस-1 : मैनपुरी जेल में अधीक्षक ने सुरक्षाकर्मियों के साथ बदसलूकी करने के साथ अपशब्दों को इस्तेमाल किया, इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
केस-2 : जेलमंत्री के गृहजनपद की आगरा जेल में अधिकारियों ने बंदी की गलत रिहाई कर दी। इस मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं।
केस-3: राजधानी की जिला जेल में विदेशी बंदी की गलत रिहाई और सनसाइन सिटी मामले में पॉवर ऑफ अटार्नी मामले में कोई कार्यवाही नहीं।
केस-4 : सीतापुर जेल में महिला डिप्टी जेलर के उत्पीडऩ, हत्या के बाद मामले की FIR होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं।
यह मामले तो बानगी भर है। प्रदेश की जेलों में लगातार हो रही घटनाओं के बाद भी शासन व जेल मुख्यालय में बैठे आला अफसर किसी भी दोषी अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते है। कार्यवाही नहीं होने की वजह से कारागार विभाग के अफसर बेलगाम हो गए हैं। शासन और जेल मुख्यालय के अफसरों का जेल अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। यही वजह है कि प्रदेश की जेलों में घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। उधर दूसरी ओर विभाग के आला अफसर इन गंभीर मसलों पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। दो दिन पहले राजधानी से सटे सीतापुर जिला जेल में महिला डिप्टी जेलर के उत्पीडऩ और अवैध वसूली के चलते एक विचाराधीन बंदी की जान चली गई। बंदी के परिजनों ने जमकर बवाल मचाया। इस बवाल के बाद जेल में तैनात महिला डिप्टी जेलर समेत चार अन्य के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई। इस मामले में अभी तक कोई सुध तक नहीं ली गई है। विभागीय अफसरों में मामला चर्चा में बना हुआ है।
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बीते दिनों मैनपुरी जेल में एक कार्यक्रम के दौरान जेल अधीक्षक कोमल मंगलानी ने कार्यक्रम में मौजूद जेल सुरक्षाकर्मियों से अभद्रता करते हुए अपशब्दों का इस्तेमाल किया। मामला सुर्खियों में बना। अधीक्षक ने आरोप लगाया कि बंदियों से वसूली करने में सुरक्षाकर्मी बाज नहीं आते हैं, वहीं कार्यक्रम में सहयोग देने से कतराते हैं। सुरक्षाकर्मियों से अभद्रता और अपशब्दों के इस्तेमाल के बाद भी शासन व जेल मुख्यालय के अधिकारियों की नींद नहीं टूटी। मामला आज भी फाइलों में कैद है।
इसी प्रकार प्रदेश के जेलमंत्री के गृहजनपद की आगरा जेल में बीते दिनों अधिकारियों ने एक विचाराधीन बंदी की गलत रिहाई कर दी। मामला जेलमंत्री से जुड़ा होने की वजह से इस मामलें में कार्रवाई करने के बजाए पूरे मामले को ही दबा दिया गया। दूसरी ओर राजधानी की जिला जेल में एक विदेशी बंदी समेत तीन बंदियों की गल रिहाई और प्रदेश के बहुचर्चित सनसाइन सिटी मामले में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी जेल ने मामले की जांच की। इस जांच में अधीक्षक समेत कई अधिकारियों को दोषी भी ठहराया गया। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भी किसी दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि गलत रिहाई, अधिकारियों के सुरक्षाकर्मियों से अभद्रता करने और पावर ऑफ अटार्नी जैसे गंभीर मामले होने के बाद शासन व जेल मुख्यालय स्तर से किसी भी दोषी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं होने से अधिकारियों के हौंसले बुलंद हो गए हैं। हकीकत यह है कि कार्रवाई नहीं होने से बेलगाम हुए अधिकारियों को अब घटना के बाद भी शासन और जेल मुख्यालय के अफसरों का कोई खौफ नहीं रह गया है। इस बाबत जब प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह से बातचीत करने का प्रयास किया गया तो उनके निजी सचिव विनय सिंह ने उनके व्यस्त होने की बात कहकर बात कराने से ही इनकार कर दिया।