- हनुमान जी का है ननिहाल,
- माता अहिल्या ने किया था स्नान
रंजन कुमार सिंह
गोदना सेमरिया मेला/ रिविलगंज/ छपरा/ पटना। कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले गोदना सेमरिया मेला का इतिहास काफी पुराना है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। गंगा तट पर गौतम और श्रृंगी ऋषि का आश्रम भी है। यहां हनुमान जी का ननिहाल भी है। यहीं माता अहिल्या का तरण भी हुआ था। यहां गंगा और सरजू नदी का संगम है। मन्नत पूरी होने पर महिलाएं आंचल फैलाकर लौंडा नाच करवाती है। छपरा जिला के रिविलगंज में लगने वाले गोदना सेमरिया मेले का पुराना धार्मिक इतिहास है। यहीं पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम है। जिन्होंने राजा दशरथ के यज्ञ करवाए थे। इसके बाद पुत्र की प्राप्ति हुई थी। वहीं, गौतम ऋषि का आश्रम भी इसी गंगा तट पर है। जहां माता अहिल्या का तरण हुआ था। इस क्षेत्र को हनुमान जी का ननिहाल भी कहा जाता है। यही वजह की कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए नाथ बाबा घाट पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है।
छपरा जिला के रिविलगंज में लगने वाले गोदना सेमरिया मेले का पुराना धार्मिक इतिहास है। यहीं पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम भी है। जिन्होंने राजा दशरथ के यज्ञ करवाए थे। इसके बाद पुत्र की प्राप्ति हुई थी। वहीं, गौतम ऋषि का आश्रम भी इसी गंगा तट पर है। जहां माता अहिल्या का तरण हुआ था। इस क्षेत्र को हनुमान जी का ननिहाल भी कहा जाता है। यही वजह की कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए नाथ बाबा घाट पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है।
छपरा के रिविलगंज में लगने वाले गोदना सेमरिया मेला में श्रद्धालु तीन दिनों पहले से ही आना शुरू कर देते हैं। यहां छपरा सहित आस-पास के लोग भी कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं। इसके अलावे उत्तर प्रदेश से भी लोग यहां गंगा स्नान करने के लिए आते हैं। विद्वान पंडितों के अनुसार यहां गंगा स्नान काफी शुभ माना जाता है। मन्नत पूरी होने पर यहां कोसी भरकर मां गंगा की पूजा-अर्चना की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
छपरा के रिविलगंज में लगने वाले गोदना सेमरिया मेला में श्रद्धालु तीन दिन पहले से ही आना शुरू कर देते हैं। यहां छपरा सहित आस-पास के लोग भी कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं। इसके अलावे उत्तर प्रदेश से भी लोग यहां गंगा स्नान करने के लिए आते हैं। विद्वान पंडितों के अनुसार यहां गंगा स्नान काफी शुभ माना जाता है। मन्नत पूरी होने पर यहां कोसी भरकर मां गंगा की पूजा-अर्चना की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष पर बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु भी गंगा स्नान के लिए पहुंचती है। बताया जाता है कि श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होने पर नाथ बाबा गंगा घाट पर गंगा मैया की कोसी भरकर पूजा करती हैं। इसके साथ ही महिलाएं आंचल फैलाकर उसपर लौंडा नाच कराती हैं। यह परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है। कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष पर बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु भी गंगा स्नान के लिए पहुंचती है। बताया जाता है कि श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होने पर नाथ बाबा गंगा घाट पर गंगा मैया की कोसी भरकर पूजा करती हैं। इसके साथ ही महिलाएं आंचल फैलाकर उसपर लौंडा नाच कराती हैं। यह परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है।
छपरा में कार्तिक पूर्णिमा के दिन दो स्थानों पर भव्य मेला का आयोजन होता है। एक रिवीलगंज के गोदना सेमरिया लगता है तो दूसरा सोनपुर हरिहर क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है। दोनों फलों का काफी पुराना धार्मिक इतिहास है। लेकिन गंगा स्नान करने के नजरिए से देखा जाए तो गोदना सेमरिया में श्रद्धालु अधिक संख्या में आस्था की डुबकी लगाते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। वहीं, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन के अलावा स्काउट और गाइड के कैडेट तनात रहते हैं। छपरा में कार्तिक पूर्णिमा के दिन दो स्थानों पर भव्य मेला का आयोजन होता है। एक रिवीलगंज के गोदना सेमरिया लगता है तो दूसरा सोनपुर हरिहर क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है। दोनों फलों का काफी पुराना धार्मिक इतिहास है। लेकिन गंगा स्नान करने के नजरिए से देखा जाए तो गोदना सेमरिया में श्रद्धालु अधिक संख्या में आस्था की डुबकी लगाते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। वहीं, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन के अलावा स्काउट और गाइड के कैडेट तनात रहते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष्य पर लाखों शब्द लाल गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं। गंगा घाट पर सुरक्षा की दृष्टि से गोताखोर की टीम भी तैनात रहती है। इसके अलावा जिला प्रशासन के अधिकारी सहित पुलिस जवान तैनात रहते हैं। लोगों की भीड़ पर नजर बनाए रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जाती है। वहीं, श्रद्धालुओं की सेवा में स्काउट और गाइड के कैडेट भी तैनात रहते हैं। मेला को लेकर दो माह पूर्व से हीं तैयारी शुरू कर दी जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष्य पर लाखों शब्द लाल गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं। गंगा घाट पर सुरक्षा की दृष्टि से गोताखोर की टीम भी तैनात रहती है। इसके अलावा जिला प्रशासन के अधिकारी सहित पुलिस जवान तैनात रहते हैं। लोगों की भीड़ पर नजर बनाए रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जाती है। वहीं, श्रद्धालुओं की सेवा में स्काउट और गाइड के कैडेट भी तैनात रहते हैं। मेला को लेकर दो माह पूर्व से हीं तैयारी शुरू कर दी जाती है।