शाश्वत तिवारी
भारत की ओर से छह दिसंबर 1971 को बांग्लादेश को मान्यता देने की याद में बुधवार को ढाका में ‘मैत्री दिवस’ मनाया गया। इस अवसर पर बांग्लादेश की राजधानी में बुधवार को एक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें भारतीय उच्चायुक्त ने भी शिरकत की। ढाका में स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा भारत-बांग्लादेश मैत्री के 52 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है। बांग्लादेश में भारत का उच्चायोग एक स्वतंत्र, संप्रभु राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश की मान्यता के 52वें वर्ष का जश्न मना रहा है। भारत छह दिसंबर, 1971 को बांग्लादेश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था।
एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बांग्लादेश ने बुधवार को ढाका में ‘ए टेल ऑफ फ्रेंडशिप: भारत द्वारा बांग्लादेश को मान्यता के 52 वर्ष’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। कार्यक्रम में शामिल हुए बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने अपने संबोधन में 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश के लोगों को दिए गए समर्थन के लिए भारत को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा भारत के सक्रिय समर्थन के बिना मुक्ति का युद्ध केवल 9 महीनों में नहीं जीता जा सकता था।
इस अवसर पर बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने कहा 52 साल पहले बांग्लादेश की मुक्ति ने दक्षिण एशिया के राजनीतिक मानचित्र को बदल दिया, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने हमारे मनोवैज्ञानिक मानचित्र को भी बदल दिया। बांग्लादेश की आजादी ने बिना किसी संदेह के साबित कर दिया कि संस्कृति, सभ्यता, भाषा और हमारे दिलों के बीच के सामान्य संबंध ही मूल रूप से हम लोगों को एक-दूसरे के करीब लाते हैं। वर्मा ने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी आने वाली पीढ़ियां, हमारे युवा इस साझा इतिहास को आत्मसात करें और 1971 की विरासत को संरक्षित करें।