- CM की डांट-फटकार बेअसर, डीएम-कमिश्नर नहीं करवा रहे हैं कोई उपाय
बांदा से नया लुक के सह-सम्पादक देवेंद्र मिश्र की रिपोर्ट
साल 2017 का मार्च महीना था, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पूरे जोर-शोर के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता पर सवार हुई। गो-सेवक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया कि यूपी में अब गोकशी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। तब से लेकर आज तक यूपी में छुट्टा यानी अन्ना पशुओं (आवारा पशु ) के लिए वह कई योजनाओं की घोषणा कर चुके हैं। पशुपालन विभाग के अनुसार जिले में अन्ना पशुओं के संरक्षण का लक्ष्य 47658 है। इसके सापेक्ष 300 से अधिक स्थायी व अस्थाई गोशालाओं में 61 हजार से अधिक पशु संरक्षित है।
वहीं पशुपालन विभाग का दावा है कि बांदा जिला अन्ना पशुओं से मुक्त हैं। गोशालाओं में शत-प्रतिशत पशु संरक्षित हैं, जबकि हकीकत यह है कि हजारों पशु गांव व शहर की सड़कों पर अन्ना हैं। पशुओं की वजह से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। पिछले 3 साल में गोवंश के संरक्षण में जिले में 50 करोड रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन स्थिति अभी भी जस का तस बनी हुई है। अभी भी गांव हो या शहर सड़कों व खेतों पर अन्ना जानवर खुलेआम घूम रहे हैं, किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
अन्ना पशु बुंदेलखंड के शुष्क क्षेत्र में एक मुद्दा रहा है। हालाँकि, 2017 में योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद, गोहत्या के खिलाफ सख्त कदमों ने समस्या को और खराब कर दिया है। बांदा के ग्रामीण इलाके, खासकर बड़ोखर, नरैनी, बबेरू और तिंदवारा आवारा मवेशियों से प्रभावित हैं। अन्ना पशुओं से तबाह नरैनी के दशरथपुरवा के लोगों ने साल 2022 में वोट डालने से इनकार कर दिया था जब तक कि डीएम ने हस्तक्षेप नहीं किया। स्थानीय मनोज कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि हम वोट नहीं देना चाहते हैं, लेकिन मेरे पिता ने हमारी उपज की रखवाली करते हुए रातों की नींद हराम कर दी है, कोई भी हमारी समस्या सुनने नहीं आया।
बुंदेलखंड में अन्ना गोवंश किसानों के लिए परेशानी का सवब बने हुए हैं। सरकार ने किसानों की परेशानी दूर करने के लिए हर जिले में गौशाला बनाकर गोवंशों को संरक्षित करने की योजना बनाई, लेकिन यह योजना अब कागजों में नजर आ रही है। यूपी के बांदा में पशुपालन विभाग के अभिलेखों पर गौर करें तो यह जिला अन्ना पशुओं से मुक्त हो चुका है, पर हकीकत कुछ और है।
वहीं जिले में पशुओं के संरक्षण के लिए अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल सहित कान्हा गोशाला, कांजी हाउस, वृहद गो संरक्षण केंद्र स्थापित है। पशुओं के रख-रखाव सहित भरण पोषण के नाम पर प्रति वर्ष 15 से 20 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे है। पशुपालन विभाग का दावा है कि लक्ष्य के से अधिक अन्ना पशु गोसंरक्षण केंद्रों में संरक्षित है, लेकिन हकीकत इससे परे है। हजारों की संख्या में अन्ना मवेशी गांव व शहर की सड़कों पर छुट्टा धूम रहे है। किसानों की फसल चट कर करने के साथ ही रात के समय यह वाहनों के लिए दुर्घटना का सबब बने हुए है। पिछले एक माह के आकड़ों पर गौर करे तो अन्ना गोवंशों की वजह से 12 से अधिक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए। दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। दुर्घटनाओं के बाद भी जिम्मेदार सिर्फ खाना पूरी में लगे हुए है। मौजूदा समय में अधिकांश गोआश्रय स्थल खाली हैं। इक्का दुक्का ही पशु संरक्षित है। केयर टेकर यह कहकर गुमराह कर रहे है कि पशु चरने गए है। जब कि पशु पूरी तरह से छुट्टा है। रात के समय कुछ पशु चरकर खुद ही गोशाला आ जाते है।
प्रशासन के दावों की पोल खोलती रिपोर्ट
कहने के लिए तो सरकार द्वारा हर ग्राम सभा स्तर पर गौशालाओं का संचालन किया जा रहा है । लेकिन व्यवस्था के नाम पर या गोवंश के नाम पर सब अपनी-अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। यह परिदृश्यित चलचित्र जनपद बांदा के ब्लॉक बड़ोखर क्षेत्र में आने वाले ग्राम मोहनपुरवा का है। यहां के रकबे में करीब 500 से अधिक आवारा पशु किसानों की फसलो को उजाड रहे हैं। गरीब किसान प्रशासन से लेकर स्थानीय जल संसाधन राज्य मंत्री रामकेश निषाद का दरवाजा कई बार खटखटा चुके हैं। लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। गरीब किसान के खेतों में इन आवारा पशुओं की धमा चौकड़ी से उनके खेत पूरी तरह से मैदान बनते जा रहे हैं। कर्ज में बीज और खाद लेकर बुआई कराने वाला यह किसान आत्महत्या करने के लिए विवश होता जा रहा है। आवारा पशु किसानों को उजाड़ रहे हैं। उनके पास दो जून की रोटी तक के लिए अनाज पैदा होना मुश्किल है।
ये भी पढ़ें
पूर्व जिलाधिकारी ने समझी थी किसानों की पीड़ा
पूर्व जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने किसानों की पीड़ा को देखते हुए पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को सड़कों पर उतार दिया था। आए दिन पुलिस के जवान अन्ना जानवरों को पकड़ते हुए नजर आ रहे थे। जिसमें सिटी मजिस्ट्रेट बांदा, अधिशासी अभियंता बांदा और सीओ सिटी तक अन्ना जानवरों को पकड़ने में लगे हुए थे। आवारा जानवरों को गोशाला तक पहुंचाया जा रहा था।
बताते चलें कि ठीक एक साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री ने कहा था कि 31 जनवरी तक शत-प्रतिशत निराश्रित गोवंशों को गोशालाओं में संरक्षित करने के आदेश दिए थे। नोडल अधिकारी व विशेष सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन डॉ. अरविंद कुमार ने कान्हा गोशाला मटौंध, वृहद गो संरक्षण केंद्र कनवारा, अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल महुआ, खुरहंड, मकरी, गुरेह, पल्हरी एवं बेसहारा पशु आश्रय स्थल तुर्रा का निरीक्षण किया।
ये भी पढ़ें
अधिकारियों को निर्देश दिए कि गोशालाओं में शासन की मंशा के अनुसार गोवंशों का संरक्षण सुनिश्चित कराया जाए। लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी। गोवंशों को मानक के अनुसार खाने को चारा भूसा दिया जाए। सर्किट हाउस में गोशालाओं में शत प्रतिशत पशुओं के संरक्षण अभियान की समीक्षा की। बीडीओ को प्रत्येक गोशाला की सूचना प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को नामित करने के निर्देश दिए।
कागजों में अन्ना पशुओं से मिली मुक्ति
जिले में पशुपालन विभाग के अनुसार अन्ना पशुओं के संरक्षण का लक्ष्य 47658 है। इसके सापेक्ष 300 से अधिक स्थाई व अस्थाई गौशालाओं में 61000 से अधिक पशु संरक्षित है। पशुपालन विभाग का यह दावा दर्शाता है कि बांदा अन्ना पशुओं से मुक्त हो चुका है। जबकि विभाग का यह दावा खोखला साबित हो रहा है। यहां पशुओं के संरक्षण के लिए अस्थाई गोवंश, आश्रय स्थल सहित कान्हा गोशाला, कांजी हाउस, बृहद गो संरक्षण केंद्र स्थापित है। सरकार पशुओं के रखरखाव सहित भरण पोषण के लिए प्रतिवर्ष 15 से 20 करोड़ खर्च कर रही है। उसके बाद भी अन्ना गोवंशों से निजात नहीं मिल सकी है।
खाली पड़े हुए हैं गौशाला
जिले के हर गांव या सड़क पर शाम ढलते ही बड़ी संख्या में अन्ना गोवंश नजर आते हैं। सड़क पर घूम रहे अन्ना गोवंश सड़क हादसों को दावत देते हैं। अक्सर सड़क दुर्घटना में जहां लोग अपनी जान गंवा रहे हैं वहीं सड़क पर झुंड बनाकर बैठे पशु भी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। जिले में प्रतिदिन कहीं न कहीं हादसे का शिकार होकर गोवंश दम तोड़ रहे हैं।
इतना ही नहीं शहर की हर गली मैं अन्ना गोवंश घूमते नजर आ रहे हैं। पशुपालन विभाग भले ही अन्ना गोवंशों के संरक्षण की बात कर रहा हो वास्तविकता यह है कि इस समय सभी गौशाला खाली पड़े हुए हैं। गो संरक्षण के लिए सरकार जो धन दे रही है उसका बंदरबाट किया जा रहा है। अगर कोई जांच करने गौशाला में जाता है तो केयरटेकर यह कहकर गुमराह करते हैं कि पशु अभी चरने गए हुए हैं। जबकि वास्तविकता में पशु पूरी तरह से अन्ना घूम रहे हैं।
सड़क पर नजर आ रहे पालतू पशु
चित्रकूट धाम मंडल बांदा के उपनिदेशक (पशुपालन) का कहना है कि सरकार की मंशा के अनुसार जिले में लक्ष्य से अधिक पशु गोवंश संरक्षण केदो पर संचालित हैं। जो पशु गांव व सड़क पर नजर आ रहे हैं वह पालतू हैं। पशुपालक किसान दूध निकालने के बाद छोड़ देते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 6740 पशु किसानों की सुपुर्दगी में दिए गए हैं। जिन्हें सरकार की ओर से प्रति पशुओं के हिसाब से प्रतिदिन 30 रुपए भरण-पोषण भत्ता भी दिया जाता है।
पशुकेंद्रों से रात को छोड़ दिए जाते हैं मवेशी
खप्टिहाकलां स्थित पशु आश्रय केंद्र में किसानों द्वारा बंद किया जा रहे अन्ना मवेशियों को रात के अंधेरे में छोड़ दिया जाता है। यह मवेशी खेतों में घुसकर किसानों की फसल बर्बाद कर रहे हैं। किसान हनुमान सिंह, उमाशंकर द्विवेदी, बोंगी सिंह, बुधराज यादव सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि वह लोग अन्ना मवेशियों को गौशाला में बंद कराते हैं, लेकिन रात के अंधेरे में उन्हें गौशाला से बाहर कर दिया जाता है। इससे उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं। शिकायतों के बावजूद अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं। किसानों ने कहा कि अन्ना मवेशियों से निजात न मिली तो वह विरोध प्रदर्शन करेंगे।
पुलिस अधिकारी से समाज कल्याण मंत्री बने असीम अरुण कहते हैं कि सड़क पर घूम रहे अन्ना पशुओं की समस्या को दूर करने के लिए हर ग्राम पंचायत में एक अस्थायी और स्थायी गौशाला सरकार बनवा रही है। गौवंशों के चारा के लिए चारागाह की जमीनों को खाली कराया जा रहा है। साथ ही गौशालाओं को संचालित करने के लिए गौशाला से निकलने वाले गोबर से कंडा बनाकर गौशाला की आय बढ़ाई जाएगी। हमें सरकारी खर्चे पर ही निर्भर नहीं रहना होगा।
पशुपालन विभाग के विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय कहते हैं कि अन्ना पशुओं के लिए सरकार चिंतित है। गोशाला समेत कई कदम उठाए गए हैं। जल्द ही इस विकट समस्या से जनता को निजात मिल जाएगी।
वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधानसभा में कहा था कि सरकार कोई व्यवस्था नहीं कर पा रही है तो एक सांड सफ़ारी ही बना दे। कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा था कि UP में अब BJP के नेताओं का विशेष ‘रास्ता रोको स्वागत’ अन्ना पशुओं से किया जा रहा है। आखिर जनता की तकलीफ मंत्री को भी तो पता चले। चौपहियों के लिए चौपाये, ये है जनता का जवाब। हालाँकि अखिलेश यादव कई बार आवारा पशुओं के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोल चुके हैं।
ये भी पढ़ें