नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय सभ्यता, परंपरा और रीति रिवाज पर गर्व करने की गर्व करने की संस्कृति विकसित करने का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि कुछ अपने लोग भारत के विकास को स्वीकार नहीं पा रहे हैं। धनखड़ ने आज हरिद्वार में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय परिसर में महर्षि दयानंद सरस्वती की 220 जयंती और स्वामी श्रद्धानंद के 75 में बलिदान दिवस पर आयोजित वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत की सभ्यता और परंपरा शांति की है और हमने हमेशा शांति की बात की है।
उपराष्ट्रपति ने कहा,कि हमारी नई शिक्षा नीति हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप है और हमारी सांस्कृतिक विरासत का सृजन करने वाली है। हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत को लेकर गौरव अनुभव करना चाहिए। उन्होंने कहा, कि यह चिंता और चिंतन का विषय है कि कुछ गिने चुने लोग गौरव तो छोड़ दीजिए अपनी संस्कृति, गौरव मे अतीत और वर्तमान विकास को लेकर अपमान का भाव रखते हैं। हालांकि इनकी संख्या बहुत कम है| भारत की महान छवि को धूमिल करने में यह लोग लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि वे या तो भ्रमित हैं या पथभ्रष्ट हैं। अभी भी अंग्रेजीयत के गुलाम हैं। भारतीय संस्कृति में विश्वास नहीं रखते हैं। भारतीय सोच का अनादर करते हैं।उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत विरोधी प्रचार और देश की संस्कृति को धूमिल करने का हर कुप्रयास को रोकना हर भारतीय का परम दायित्व है और कर्तव्य है। (वार्ता)