उमेश चन्द्र त्रिपाठी
महराजगंज । भारत-नेपाल बॉर्डर पर क्षतिग्रस्त पुराने पिलर के चलते सीमा सुरक्षा को लेकर बार-बार उठ रहे सवालों को देखते हुए महराजगंज प्रशासन ने जिले की 84 किलोमीटर की खुली सीमा पर नये सिरे से पिलर लगाने की कवायद शुरू कर दी है। एसएसबी, राजस्व विभाग और पुलिस की टीम द्वारा किये गए संयुक्त सर्वे के बाद चिन्हित 5962 स्थानों पर सीमा स्तंभ लगाए जाएंगे। इन सीमा स्तंभों को लेकर ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने करीब 66 लाख रुपये का टेंडर निकाला है। छह महीने के अंदर संयुक्त टीम की मौजूदगी में ये पिलर लगाए जाने की योजना है। भारत-नेपाल सीमा सुरक्षा को लेकर दोनों देशों की तरफ की एजेंसियों की तरफ से सीमा स्तंभ को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
नेपाल सरकार की तरफ से भी बॉर्डर पर टूटे सीमा स्तंभ को लेकर आपत्ति दर्ज कराई जा चुकी है। जिसे देखते हुए डीएम महराजगंज के निर्देश पर राजस्व, एसएसबी और पुलिस की संयुक्त टीमें ने आठ महीने पहले बॉर्डर एरिया का सर्वे किया था। महराजगंज में भारत-नेपाल की खुली सीमा करीब 84 किलोमीटर लंबाई में है। प्रशासन के जिम्मेदारों के मुताबिक, सीमा स्तंभ 100 से 150 मीटर दूरी पर लगाए जाने हैं। सीमा स्तंभ बनवाने का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को सौंपा गया है। एक स्तंभ पर 9 से 10 हजार रुपये का खर्च आने का अनुमान है।
नेपाल के गृहमंत्री ने उठाया था सीमा स्तंभ का मामला
वर्ष 2019 में नेपाल के तत्कालीन गृहमंत्री राम बहादुर थापा बादल ने भारत-नेपाल सीमा के सीमा स्तंभों को लेकर कांठमांडू से रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें कहा गया था कि भारत-नेपाल सीमा की कुल लंबाई 1880 किलोमीटर है। जिसमें लगाए गए कुल सीमा स्तंभों में सिर्फ 457 स्तंभ पूरी तरह सुरक्षित हैं। 1556 सीमा स्तंभ अधिक क्षतिग्रस्त हैं। इसके अलावा 2716 गायब हैं। इसमें महराजगंज सीमा से सटे 44 सीमा स्तंभ भी शामिल हैं। इस रिपोर्ट के बाद से ही सीमा स्तंभ को लेकर दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक में बार-बार चर्चा होती रही है।
क्या बोले अफसर
ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के एक्सईएन दिलीप कुमार शुक्ला ने कहा कि महराजगंज जिला प्रशासन के पत्र के आधार पर 5962 सीमा स्तंभ का टेंडर निकाला गया है। इन पिलर पर करीब 66 लाख रुपये खर्च होंगे। छह महीने के अंदर पिलर निर्माण का कार्य पूरा हो जाएगा। महाराजगंज के डीएम अनुनय झा ने कहा कि भारत नेपाल सीमा पर क्षतिग्रस्त स्तंभ को एसएसबी और राजस्व की टीमों की मौजूदगी में मरम्मत कराया जाएगा। इसके साथ ही नेपाल से लगने वाली करीब 84 किमी लंबी सीमा पर नये स्थानों पर स्तंभ लगाया जाना है। पिलर बनवाने की जिम्मेदारी ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को दी गई है। जल्द ही संयुक्त टीम की मौजूदगी में पिलर को नियत स्थान पर लगवा दिया जाएगा।