हिंसा से जिसको दुख होता
वह है हिंदुस्थान हमारा।
और अहिंसा मे जो जीता
ऐसा हिंदू नाम हमारा।।
प्रेम भाव से विश्व बनाया
वह सच्चिदानंद जग पावन।
यहां बाल क्रीड़ा करते हैं
बारंबार जन्म ले उन्मन।।
कभी राम बन कर आता हैं,
कभी कृष्ण बन खेल रचाता।
गौएं चरा बजाता वंशी ।
हलधर हो बलराम कहाता।।
ऋषि मुनि संत योगिजन आते
मानव बन पावन धरती पर।
वेदमंत्र से गूंजे अंबर-
संस्कृत से शोभा है पाते।।
अक्षर स्वर व्यंजन ज्योतिर्मय।
वर्णो का इतिहास यहां पर।।
छत्तिस रागिनियां गाती हैं।
छ: रागों से उतर धरा पर।।
गंधर्वो का गायन होता।
नृत्य करे अप्सरा निरंतर।।
जो सुरलोक सप्त सुर भरतीं,
धरती उतरें स्वर्ग बना कर।।
हिंदी सबसे मधुर धरा पर
भीतर से बाहर है आती।
आत्मा का अनहद निनाद है।
है गुंजार प्रकृति की थाती।।