डॉ दिलीप अग्निहोत्री
एक तरफ देश में श्रीराम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह है, दूसरी तरफ इंडी गठबंधन में मन्दिर विरोधी नेता मुखर हैं। यूपीए सरकार ने तो लिखित रूप में श्रीराम को काल्पनिक बताया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मन्दिर की मूर्तियों को शक्तिहीन मानते हैं। वर्तमान अध्यक्ष कहते हैं कि नरेंद मोदी विजयी हुए तो सनातन राज आ जाएगा। इंडी एलायंस की एक पार्टी कहती है कि उसका जन्म ही सनातन उन्मूलन के लिए हुआ है।
मतलब जनसेवा उसका उद्देश्य नहीं है। एक पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव हिन्दू धर्म को धोखा मानता है। शीर्ष नेतृत्व भी बहुत हिम्मत करते इतना ही कहता है कि यह उनके निजी विचार है। बिहार में जंगल राज और चारा के चर्चित पार्टी का नेता कहता है कि मन्दिर बनने से गुलामी की मानसिकता बढ़ेगी। इसकी जगह स्कुल और अस्पताल बनने चाहिए। जिसके लिए राजनीति का मतलब एक परिवार की गुलामी मात्र है, वह धर्म पर ज्ञान बांट रहे है। उनकी पार्टी को बिहार में पंद्रह साल सरकार चलाने का अवसर मिला।
तब वहां की शिक्षा स्कुल और अस्पताल सब बदहाल थे। इनकी जगहसाई हुआ करती थी। इनमे से एक भी नेता की किसी अन्य मजहब पर ऐसी टिप्पणी करने की औकात नहीं है। वैसे इनकी हरकतों से मतदाताओं का काम आसान हो रहा है। उन्हें दो विचारधाराओं में से एक का चयन करना है।