बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
जयंती मंगला काली भद्र काली कपालिनी..दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते। महाकाली के तीनों रूप में ही नही सभी रूप मे मां समया विराज मान हैं। इस रहस्यमय स्वरुप को समझ पाना सबके वश की बात नहीं। महाकाल और महाकाली ब्रमाण्ड सबसे शक्तिशाली देवी देवता है। जिनकी कल्पना हाथी के सिंबल मे की गई। इसीलिए हर गांव मे पिंडी के रूप मे देवी का प्रतीक बैठा कर उन्हें पकी मिट्टी का हाथी चढ़ाते हैं।
हर शुभ कार्य मे देवी की.. शक्ति की पूजा होती है। हर युद्ध की यात्रा के पूर्व राजा गण देवी को प्रसन्न करने के लिए बलि.. या ज्यौनार चढ़ाते थे। हर वंश मे देवी की पूजा चढ़ाई जाती है। हर परिवार की कुल देवी और कुल देवता होते हैं। जिसमे वर्तमान मे हम भूलते जारहे हैं। सोलह संस्कारों मे सबको याद किया जाता है। जहां पूजा नहीं होती वहां कल्याण नहीं होता।