नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को तमिलनाडु सरकार पर सोमवार को अयोध्या में आयोजित होने वाले राम मंदिर कार्यक्रमों के सीधे प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने का आरोप लगाते हुए इस फैसले को ‘हिंदू विरोधी घृणित कार्रवाई’ बताया। सीतारमण ने आरोप लगाया कि राज्य पुलिस निजी मंदिरों को अयोध्या में मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित करने से रोक रही है।
उन्होंने एक्स पर कहा,कि तमिलनाडु सरकार ने 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर के कार्यक्रमों के लाइव टेलीकास्ट देखने पर प्रतिबंध लगा दिया है। तमिलनाडु में, 200 से अधिक राम मंदिर हैं। जिन मंदिर का प्रबंधन हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडॉमेंट डिपार्टमेंट (एचआर एंड सीई) द्वारा किया जाता है, उनमें राम के नाम पर किसी भी तरह की पूजा व भजन और प्रसादम व अन्नदानम की अनुमति नहीं है। पुलिस निजी तौर पर आयोजित मंदिरों को कार्यक्रम आयोजित करने से रोक रही है।
उन्होंने कहा,कि वे आयोजकों को धमकी दे रहे हैं कि वे पंडालों को तोड़ देंगे। इस हिंदू विरोधी, घृणित कार्रवाई की कड़ी निंदा करती हूं। उन्होंने कहा,कि तमिलनाडु सरकार अनौपचारिक रूप से लाइव टेलीकास्ट प्रतिबंध को सही ठहराने के लिए कानून और व्यवस्था के मुद्दों का दावा कर रही है। झूठी और फर्जी कहानी! अयोध्या फैसले के दिन कोई कानून-व्यवस्था के मुद्दे नहीं थे। उस दिन भी नहीं जब प्रधानमंमत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की नींव रखी थी।
तमिलनाडु में श्रीराम का जश्न मनाने के लिए जमीनीस्तर और लोगों की स्वैच्छिक भागीदारी ने हिंदू विरोधी द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम को परेशान कर दिया है। उधर, तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक सरकार ने पलटवार करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) सलेम में द्रमुक युवा सम्मेलन से लोगों का ध्यान हटाने के लिए गलत जानकारी का प्रचार कर रही है। राज्य के एचआर एवं सीई मंत्री पी के शेखरबाबू ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीतारमण जैसा व्यक्ति, (जो ‘उच्च पद’ पर आसीन है) ऐसी खबरें फैलाने रहा है, ‘जो स्पष्ट रूप से झूठी और फर्जी हैं’। (वार्ता)