महात्मा के अहिंसा पाठ से अभिभूत होकर गांधी बने थे जगदीश

  • बड़े शिक्षाविद से ज़्यादा अच्छे इंसान भी थे जगदीश गांधी
  • जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि”

लखनऊ। जगदीश गांधी का देहांत की ख़बर सुनकर बहुत दुख हुआ मैं अपनी तरफ से उनको सच्ची श्रद्धांजलि पेश करता हूं, जगदीश गांधी की शान में मैं क्या लिखूं, गूगल में सर्च करने पर पता चला कि जगदीश गांधी का नाम जगदीश अग्रवाल था, उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी वह उनके अहिंसा और शांति पाठ से प्रभावित होकर अपने माता-पिता से अपना सरनेम अग्रवाल की जगह गांधी लगाने की प्रार्थना की, जिस पर उनके माता-पिता ने सहमति जताते हुए स्कूल व कॉलेज में उनका नाम जगदीश गांधी करवाया, जगदीश गांधी ने अहिंसा और शांति को क़ायम करने के लिए शिक्षा का माध्यम सबसे उचित समझा।

उन्होंने इसी मक़सद पर काम करते हुए, अपने पहले स्कूल की स्थापना 1959 मे पांच बच्चों से ₹300 उधार/ लोन लेकर शुरू किया,धीरे धीरे जगदीश गांधी का स्कूल दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल हुआ (गिनीज़ बुक रिकॉर्ड) जगदीश गांधी ने ग़रीब बच्चों उन बच्चों के जिनके पिता का देहांत हो चुका है, कुछ अलग से योजनाएं लाए, जिससे ग़रीब बच्चों को भरपूर फायदा मिला, उनके स्कूल से शिक्षा प्राप्त किये छात्रा दुनिया के कोने-कोने में जगदीश गांधी के स्कूल का नाम रौशन कर रखा है, शिक्षक के क्षेत्र में क्रांति लाने व इतना नाम कमाने के बाद भी  स्वर्गीय जगदीश गांधी प्रथम स्कूल के कमरे में बहुत साधारण रूप से रहते थे। जगदीश गांधी की महानता इससे साबित होती है कि एक घटना उनके स्कूल में मेरे बेटे के साथ हुई।

आलमबाग ब्रांच में स्कूल चैंपियनशिप टूर्नामेंट का आयोजन किया गया जिसमें मेरे बेटे ने अपने स्कूल से खेलने के लिए आलमबाग ब्रांच गया, वहां सेम वेट न होने की वजह से बच्चा दो दिन तक बैठा रहा,और पार्टिसिपेट नहीं कर सका, उसको दूसरे दिन यह कह कर के वापस कर दिया गया कि तुम्हारे वेट का छात्र नहीं है,जिसकी शिकायत मैंने mail के माध्यम से जगदीश गांधी जी को की, 24 घंटे के अंदर जगदीश गांधी जी का स्वयं फोन आया और घटना की पूरी जानकारी ली और कहा इससे तो बच्चे का मनोबल टूट जाएगा।

उन्होंने एक सर्टिफिकेट व मेडल अपने एक जिम्मेदार टीचर के हाथ भेज कर बेटे को सम्मानित करवाया, उन्होंने पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा के लिए सभी धर्म का अध्ययन किया और देखा कि सब लोग अपने-अपने धर्म की प्रशंसा कर रहे हैं और धर्म के मूल मंत्र अहिंसा और शांति पर नहीं है, इसलिए उन्हे बहाई धर्म सबसे अच्छा लगा और वह उनके प्रोग्राम में जाया करते थे।

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