शाश्वत तिवारी
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करने के लिए गुरुवार को भारत पहुंचेंगे। माना जा रहा है कि उनका यह दौरा भारत-फ्रांस साझेदारी में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। भारत-फ्रांस पुराने रणनीतिक साझेदार हैं, जिसमें सुरक्षा और अंतरिक्ष से लेकर जलवायु और नीली अर्थव्यवस्था तक विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सहयोग शामिल है। फ्रांस के साथ भारत की सामरिक और राजनयिक दोस्ती पिछले कुछ वर्षों से लगातार मजबूत हो रही है और गणतंत्र दिवस समारोह इसका गवाह रहा है। फ्रांस इकलौता ऐसा देश है, जिसके राष्ट्रपति सबसे अधिक बार भारत की गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए हैं।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा मैक्रों का यह नई दिल्ली दौरा भारत-फ्रांस साझेदारी में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। मैक्रों फ्रांस के पांचवें राष्ट्रपति और छठे नेता हैं, जो गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे। मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों ने स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए हाथ मिलाया है। मई 2022 में दोनों पक्षों ने ग्रीन हाइड्रोजन के रोडमैप पर सहमति जताई थी। इसके साथ ही मजबूत सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के संबंधों में भी इजाफा हो रहा है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और फ्रांस की स्पेस एजेंसी सीएनईएस ज्वाइंट ऑपरेशन और सैटेलाइट लॉन्चिंग को अंजाम दे रहे हैं और इस दिशा में साझेदारी लगातार बढ़ रही है। दोनों देश डिजिटल रोडमैप पर साथ में काम कर रहे हैं। जुलाई 2023 में फ्रांस में यूपीआई पेमेंट की स्वीकार्यता इसका प्रमाण है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, शिक्षा क्षेत्र में सहयोग द्विपक्षीय साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है। जून 2022 में इंडो-फ्रेंच कैंपस की स्थापना हुई थी, जिसमें कोई भी छात्र भारतीय और फ्रांस के संस्थानों से डबल डिग्री प्राप्त कर सकता है। दोनों देशों के बीच डिफेंस और मेरिटाइम को-ऑपरेशन मजबूत हो रहा है। पिछले साल पेरिस स्थित भारतीय उच्चायोग में डीआरडीओ की शाखा की स्थापना इसका जीता जागता उदाहरण है। दोनों देशों के बीच 13.8 अरब डॉलर का व्यापार हो रहा है, जिसके जल्द ही 15 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। जुलाई 2023 में पीएम मोदी की पेरिस यात्रा के दौरान जारी किए गए नए भारत-फ्रांस हिंद-प्रशांत रोडमैप ने दोनों देशों के बीच दोस्ती को नए शिखर पर पहुंचा दिया है। इस रोडमैप ने द्विपक्षीय सहयोग के दायरे को हिंद महासागर क्षेत्र से बढ़ाकर पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक विस्तार दे दिया है। मैक्रों की इस यात्रा से उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र और विस्तारित होंगे।