यूपी में जारी है सर्दी का सितम, कोहरे के कारण जन-जीवन अस्त-व्यस्त

  • पश्चिमी विक्षोभ के चलते अगले दो-तीन दिन और सताएगी सर्दी
  • करीब तीन डिग्री के आसपास रातों में पहुंच जाता है पारा

नया लुक ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कड़कड़ाती ठंड और गलन का दौर जारी है। एक दिन पहले राजधानी लखनऊ समेत कानपुर में धुंध और कोहरे के बाद धूप खिली थी। इसके बावजूद तेज बर्फीली हवाओं के चलते मौसम में गलन और ठिठुरन का दौर जारी रहा। शुक्रवार देर रात तक धुंध और घना कोहरा छा गया था। मौसम विभाग ने शुक्रवार को रेड अलर्ट, शनिवार को ऑरेंज अलर्ट और रविवार और सोमवार के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। सूबे के कई इलाकों में उत्तरी पश्चिमी हवाएं चल रहीं हैं। जिसके कारण न्यूनतम तापमान में कमी दर्ज की जा रही है। ज्यादातर जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि विश्व भर में हो रहे जलवायु परिवर्तन का असर मौसम पर भी देखने को मिला है। साल 2003 के बाद यानी करीब 20 बरसों बाद इतनी सर्दी पड़ी है। अभी आगे चार दिन और सर्दी पड़ने की संभावना है। तेज बर्फीली हवाएं की स्पीड 30 से 35 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। पिछले 24 घंटे में उत्तर प्रदेश के कई जिले कोल्ड डे कंडीशन में रहे। आगरा सबसे अधिक सर्द दिन का शिकार हुआ, जहां पर अधिकतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया जो कि सामान्य से 12 डिग्री सेल्सियस कम है। आगरा के अलावा मेरठ 6, मुरादाबाद 7, बिजनौर 8, बरेली 6, हमीरपुर 6, झांसी 8, बस्ती 6, फर्रुखाबाद 7, रायबरेली 6, सुल्तानपुर 6, प्रयागराज 11, वाराणसी 7, गोरखपुर 5, लखीमपुर खीरी 7, इटावा 5, कानपुर नगर 6, लखनऊ 5 डिग्री सेल्सियस सामान्य से कम रिकॉर्ड किए गए।

कानपुर में शुक्रवार रात का पारा तीन डिग्री सेल्सियस तक चला गया। वहीं गुरुवार रात में लखनऊ का तापमान चार डिग्री था। इससे पहले 12 और 13 जनवरी को भी न्यूनतम पारा तीन डिग्री सेल्सियस था। अब तक आठ दिन ऐसे रहे हैं, जब न्यूनतम तापमान पांच डिग्री या इससे कम रहा है। इस सीजन में 19 जनवरी को सबसे कम रात का पारा कानपुर में 2.4 डिग्री रिकार्ड किया गया। मात्र दो दिन न्यूनतम पारा 10 के पार जा सका है। गुरुवार को दोपहर बाद सही लेकिन तेज धूप खिली। बावजूद शहरी कांपते रहे। बर्फीली तेज हवाएं गलन पैदा करती रहीं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ का असर उत्तरी पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर पर है। जिसका असर शुक्रवार को देखने को मिला। एक और विक्षोभ 27 जनवरी से पश्चिमी हिमालय के करीब पहुंच सकता है। इसलिए अभी कुछ दिनों तक भीषण सर्दी के बने रहने की संभावना है। कहीं-कहीं हल्के बादल छा सकते हैं। हालांकि अभी बारिश की संभावना नहीं है। करीब 20 दिनों से सर्दी का सितम जारी है। वहीं मौसम विभाग का कहना है कि आगामी तीन दिनों तक प्रदेशवासियों को भीषण ठंड से निजात मिलने की संभावना कम दिखाई पड़ रही है।

हाड़कपाऊं ठंड भी नहीं रोक पाती श्रद्धा का वेग

कड़कड़ाती ठंड पर देव-आस्था की गर्माहट की विजय का प्रतीक श्रद्धालुओं के चेहरे पर साफ दिखलाई पड़ रहा है। श्रद्धालुओं ने संगम स्नान करने के बाद गरम कंबल, तिल ,सेव, चावल के लड्डूओं, चवल आदि का दान किया था। दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम माघ मेले का पहले स्नान पर्व “मकर संक्रांति” पर बर्फीली हवाओं और हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई थी।

जानकारी के अनुसार संगम तट पर 15 जनवरी को भोर के चार बजे से दोपहर 12 बजे तक 12 लाख 50 हज़ार श्रद्धालुओ ने स्नान कर लिया था। मकर संक्रांति के अवसर पर प्रात:काल में संगम तट दूधिया रोशनी से नहाया हुआ था। सुबह चार बजे घने कोहरे और सर्द हवाओं के कारण संगम तट पर श्रद्धालुओं की अधिक भीड नहीं थी। भोर में साधु-संतों के साथ गृहस्थ और कल्पवासियों ने भी आस्था की डुबकी लगाई।

तीर्थ पुरोहित राजेन्द्र पाल ने बताया कि साधु-संतों के साथ-साथ गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग भी कल्पवास को धारण करते हैं। माघ मेला क्षेत्र में पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास करने का विधान बताया गया है। कुछ कल्पवासी मकर संक्रांति से माघ शुक्ल की संक्रांति तक कल्पवास करते हैं जबकि 90 फीसदी कल्पवासी पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं। मकर संक्रांति से माघ शुक्ल की संक्रांति तक कल्पवास करने वालो में मैथिल के साथ बिहार और बंगाल के श्रद्धालुओं के अलावा हिमाचल प्रदेश और नेपाल से आने वाले श्रद्धालु-कल्पवासी भी शामिल है। मान्यता है कि सभी नियमों का पालन कर कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं को किसी न किसी रूप में देव दर्शन होते हैं।

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