एक और फ़र्ज़ी बेसिक शिक्षक बर्खास्त, अब तक 27 कि नौकरी गयी

कन्नौज। जिले के सौरिख ब्लाक क्षेत्र के एक प्राइमरी स्कूल में तैनात शिक्षक पर सेवा समाप्ति की कार्रवाई की गई। फर्जी अभिलेख लगाकर नौकरी पाने वाले फिरोजाबाद जिले के निवासी शिक्षक पर FIR दर्ज कराने के भी BSA ने आदेश दिए हैं। इससे पहले 26 और शिक्षकों पर सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जा चुकी है। मूलरूप से फिरोजाबाद के शिवनगर स्थित जलेसर रोड निवासी श्यामवीर सिंह के बेटे देवेंद्र सिंह का सिलेक्शन 69 हजार शिक्षक भर्ती के दौरान सहायक अध्यापक के पद पर हुआ था। उन्हें कन्नौज जिले के सौरिख ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बीलमपुर में सात दिसम्बर 2020 को तैनात किया गया था।

तब से वह सहायक अध्यापक के पद पर कार्य कर रहे थे। ऐसे में BSA कार्यालय में शिक्षकों के एरियर भुगतान को लेकर अभिलेखों की जांच-पड़ताल का काम किया जा रहा है, जिसकी जांच तीन सदस्यीय टीम द्वारा की जा रही है। यहां देवेंद्र सिंह के दस्तावेजों की जांच की गई तो वह फर्जी पाए गए। BSA उपासना रानी वर्मा ने बताया कि जांच में सहायक अध्यापक देवेंद्र सिंह के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। आधार में किसी राजकुमार का था नाम इतना ही नहीं, बल्कि जब उनके आधार कार्ड का क्यूआर कोड स्कैन किया गया तो वह भी किसी और का निकला।

पड़ताल के दौरान आधार कार्ड में फिरोजाबाद के किसी राजकुमार का नाम लिखा है, जोकि आसदेवमई नूरपुर जिला फिरोजाबाद का है। कई बिंदुओं पर जांच कराने के बाद देवेंद्र सिंह को विभाग की ओर से तीन बार अलग-अलग नोटिस जारी किए गए, लेकिन न तो उन्होंने जवाब दिया और न ही कोई स्पष्टीकरण दिया। FIR दर्ज कराने के आदेश इसके बाद शिक्षक देवेंद्र सिंह की सेवा समाप्ति कर दी गई। BSA ने सौरिख ब्लाक के बीईओ को फर्जी शिक्षक के खिलाफ FIR दर्ज कराने के आदेश दिए हैं। बताया गया कि इससे पहले भी कन्नौज जिले में 26 शिक्षकों को फर्जी प्रमाण पत्र के कारण बर्खास्त किया जा चुका, जबकि देवेंद्र सिंह को मिलाकर 27 शिक्षक इस सूची में शामिल हो चुके हैं।

इन पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की जा चुकी है। एरियर भुगतान में देरी से शिक्षकों में रोष 69 हजार शिक्षक भर्ती के तहत कन्नौज जिले में दिसम्बर 2020 में शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिल गए थे। तब से लेकर अब तक बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी उनके अभिलेखों की जांच पूरी नहीं कर सके, जिस कारण शिक्षकों का एरियर फंसा पड़ा है। तीन साल के बाद भी एरियर भुगतान न हो पाने के कारण शिक्षकों में अपने ही विभाग के अधिकारियों के खिलाफ रोष है। नाम न छापने की शर्त पर शिक्षकों ने बताया कि BSA कार्यालय में तैनात बाबुओं के द्वारा एरियर भुगतान के एवज में रिश्वत की पेशकश की जाती है। पैसे देने वाले कुछ शिक्षकों को एरियर का भुगतान कर दिया गया, जबकि अन्य शिक्षकों की फाइलें ठंडे बस्ते में डाल दीं गईं। एरियर भुगतान का मुद्दा न उठाने की वजह से शिक्षक अपने ही संगठन के पदाधिकारियों को भी कोसते नजर आते हैं।

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