झूठ से कर लो तौबा, नहीं तो बन जायेगा ’बात का बतंगड़’

  • कुंआरे जब बताते हैं खुद को शादीशुदा,
  • बन जाता है ’बात का बतंगड़’
  • वाल्मीकि रंगशाला में स्त्री सुरक्षा पर हास्य नाटक का मंचन

लखनऊ । हंसी हंसी में व्यक्तिगत उलझनों और समाज की समस्याओं को कह देना यह खूबी है रंगमंच की। रंगमंच की इसी खूबी को बिम्ब सांस्कृतिक समिति के कलाकारों ने रंग प्रस्तुति ’बात का बतंगड़’ में भुनाते हुये दर्शकों को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया। तमाल बोल के लिखे इस नाटक को आज शाम महर्षि कपूर के निर्देशन व परिकल्पना में वाल्मीकि रंगशाला गोमतीनगर में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की रसमंच योजना और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की रंगमण्डल योजना के अंतर्गत मंचित किया गया।

इस अवसर पर कलाकारों और कला विद्वानों को सम्मानित भी किया गया। मकान की सामाजिक समस्या पर केंद्रित इस नाटक में बेटियों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों की चिंता को भी रेखांकित किया गया दर्शाया है। नाटक में मकान मालिक पोखरमल घर के कमरे तो किराये पर उठाना चाहते हैं, लेकिन अपनी खूबसूरत जवान बेटी शालू को लेकर परेशान हैं कि कहीं कोई कुंआरा किरायेदार उनकी बेटी को बरगला कर भगा न ले जाये। लिहाजा वे अपना कमरा इस शर्त पर किराये पर देना चाहते हैं कि किरायेदार शरीफ। और शादीशुदा हो। किराये पर कमरा ढूंढते ढूंढते परेशान नायक कुंआरा प्रसाद इस मकान में कमरा किराये पर पाने के लिए अपने आपको शादीशुदा बता देता है।

यहीं से उसके लिये मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं और कहीं ये मकान हाथ से न निकल जाए, इस कश्मकश में उसे झूठ पर झूठ बोलने और बुलवाने पड़ते हैं। ऐसे में विरोधाभासी हालात और बयान पैदा होने से समस्याएं और उलझ जाती हैं। इन्हीं स्थितियों से उपजा हास्य दर्शकों को खूब हंसाता चलता है और बेचारा कुंआरा प्रसाद अपने को मकड़जाल में उलझा पाता है। आखिरकार उसकी उलझनें तब सुलझती हैं, जब उसके बड़े पापा आ टपकते हैं। सभी के झूठों की पोल भी दर्शकों को लुभाते हुये जहां किरायेदारों की समस्या पर ध्यान खींचती है, वहीं बेटी की सुरक्षा के लिये चिंतित माता-पिताओं की परेशानी इंगित करती ये संदेश देती है कि झूठ फरेब को जितना अपनाओगे, मुसीबतों से घिरते जाओगे। नाटक में पुराने फिल्मी गीतों के टुकड़ों का हालात के हिसाब से इस्तेमाल और रोचकता पैदा करता है।

मंच पर मिस लिली के किरदार में प्रियंका दीक्षित के साथ माधुरी-अनामिका सिंह, कुँवारा प्रसाद-ऋषभ पांडे, परेशान सिंह-सनी मौर्या, बजरंगी-अभिषेक पाल, लप्पू पहलवान-कृष्णकुमार पाण्डेय, पोखरमल -कुलदीप श्रीवास्तव, शालू-कशिश सिंह, प्रेमी पतंगबाज-सनुज प्रजापति, अचानक- रामकृष्ण शुक्ला और बड़े पापा के तौर पर रोहित श्रीवास्तव ने चरित्रों को जीवंत किया। पार्श्व पक्षों में दृश्यबंध- अभिषेक पाल व कुलदीप श्रीवास्तव, मंच सामग्री- अनूप अवस्थी, वेशभूषा- अनामिका सिंह व सरिता कपूर, मुख सज्जा- प्रियंका, मंच व्यवस्था- सनुज प्रजापति, गीत-संगीत- ऋषभ पांडे का रहा। प्रस्तुति नियंत्रण ऋषि नाग, राम किशोर नाग व राकेश कोहली का तथा सहयोग डा.ओपी सिंह, सनातन महासभा और पृथ्वी रंगमंच कानपुर का रहा।

Raj Dharm UP

अब भिखारियों की कुंडली खंगालेगी पुलिस, कमिश्नर ने दिए सूची तैयार करने के आदेश

हनुमान सेतु मंदिर के बाहर प्रसाद वितरण के दौरान हुई घटना के बाद जागी पुलिस इससे पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं, लेकिन तब कुम्भकरणी नींद सो रहा था प्रशासन ए अहमद सौदागर लखनऊ। राजधानी लखनऊ की मशहूर हनुमान सेतु मंदिर के बाहर मंगलवार को प्रसाद लेने वालों की भीड़ लगी थी। इसी दौरान […]

Read More
Raj Dharm UP

नहीं रहे सीतारामः मौत का दोषी कौन, लॉरी… डॉ. रविकांत या सिस्टम?

लाख जतन के बाद आखिरकार रात 10 बजे लग पाया था पेसमेकर तड़के सुबह पांच बजे के आसपास लॉरी में ही ली अंतिम सांस भौमेंद्र शुक्ल लखनऊ। संतकबीर नगर निवासी सीताराम पांडेय की मौत रविवार की अलसुबह हो गई। वो हृदय रोग की गम्भीर बीमारी के चलते राजधानी लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) […]

Read More
Raj Dharm UP

सड़क सुरक्षा के दावे फेल: खिलौना बनी ज़िन्दगी

सड़क हादसों में आए दिन जा रही हैं जानें ए अहमद सौदागर लखनऊ। यूपी के अलावा अन्य राज्यों में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सरकारों ने अनगिनत योजनाएं शुरू की, लेकिन योजनाओं की लेट-लतीफी, अव्यवस्था, सड़क पर वाहनों की बढ़ती भीड़ और बेतरतीब रफ्तार ने जिन्दगी को खिलौना बना दिया है। आए दिन […]

Read More