जानिए पूजा पाठ करने से क्या क्या होते हैं फ़ायदे, जानकर रह जाएँगे दंग

लखनऊ। कोई भी साधक अपने इष्ट के निरंतर नाम जप से यहीं अनुभूति का आभास करता है।

1- शरीर में हल्कापन और मन में उत्साह होता है ।

2- शरीर में से एक विशेष प्रकार की सुगन्ध आने लगती है ।

3- त्वचा पर चिकनाई और कोमलता का अंश बढ़ जाता है ।

4- तामसिक आहार-विहार से घृणा बढ़ जाती है और सात्त्विक दिशा में मन लगने लगता है ।

5- स्वार्थ का कम और परमार्थ का अधिक ध्यान रहता है ।

6- नेत्रों में तेज झलकने लगता है ।

7- किसी व्यक्ति या कार्य के विषय में वह जरा भी विचार करता है, तो उसके सम्बन्ध में बहुत-सी ऐसी बातें स्वयमेव प्रतिभासित होती हैं, जो परीक्षा करने पर ठीक निकलती हैं।

8- दूसरों के मन के भाव जान लेने में देर नहीं लगती ।

9 – भविष्य में घटित होने वाली बातों का पूर्वाभास मिलने लगता है ।

10 – शाप या आशीर्वाद सफल होने लगते हैं। अपनी गुप्त शक्तियों से वह दूसरों का बहुत कुछ लाभ या बुरा कर सकता है।

अष्ट सिद्धियाँ, नौ निधियाँ प्रसिद्ध हैं। उनके अतिरिक्त भी अगणित छोटी-बड़ी ऋद्धि-सिद्धियाँ होती हैं। वे साधना का परिपाक होने के साथ-साथ उठती, प्रकट होतीं और बढ़ती हैं। किसी विशेष सिद्धि की प्राप्ति के लिये चाहे भले ही प्रयत्न न किया जाए, पर युवावस्था आने पर जैसे यौवन के चिह्न अपने आप प्रस्फुटित हो जाते हैं, इसी प्रकार साधना के परिपाक के साथ-साथ सिद्धियाँ अपने आप आती-जाती हैं।

11- उनका व्यक्तित्व आकर्षक, नेत्रों में चमक, वाणी में बल, चेहरे पर प्रतिभा, गम्भीरता तथा स्थिरता होती है जिससे दूसरों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। जो व्यक्ति उनके सम्पर्क में आ जाते हैं, वे उनसे काफी प्रभावित हो जाते हैं तथा उनकी इच्छानुसार आचरण करते हैं।

12- साधक को अपने अन्दर एक दैवी तेज की उपस्थिति प्रतीत होती है। वह अनुभव करता है कि उसके अन्तःकरण में कोई नई शक्ति काम कर रही है।

13- बुरे कामों से उसकी रुचि हटती जाती है और भले कामों में मन लगता है। कोई बुराई बन पड़ती है, तो बड़ा खेद और पश्चात्ताप होता है। सुख के समय वैभव में अधिक आनन्द न होना और दुःख, कठिनाई था आपत्ति में धैर्य नही खोते यह उनकी विशेषता होती है ।

14- भविष्य में जो घटनायें घटित होने वाली हैं, उनका उनके मन में पहले से ही आभास आने लगता है। आरंभ में तो कुछ हल्का-सा ही अन्दाज होता है, पर धीरे-धीरे उसे भविष्य का ज्ञान बिल्कुल सही होने लगता।

15- उसके शाप और आशीर्वाद सफल होते हैं। यदि वह अन्तरात्मा से दुःखी होकर किसी को शाप देता तो उस व्यक्ति पर भारी विपत्तियाँ आती हैं और प्रसन्न होकर जिसे वह सच्चे अन्तःकरण से आशीर्वाद देता है, तो मंगल होता है। उसके आशीर्वाद विफल नहीं होते ।

16- वह दूसरों के मनोभावों को देखते ही पहचान लेता है, कोई व्यक्ति कितना ही छिपावे, उसके सामने छिपते नहीं। वह किसी के भी गुण, दोषों, विचारों तथा आचरणों को पारदशीं की तरह सूक्ष्म दृष्टि से देख सकता है।

17- वह अपने विचारों को दूसरे के हृदय में प्रवेश करा सकता है। दूर रहने वाले मनुष्यों तक बिना वास्तविक दैही बात के बिना सहायता के अपने सन्देश पहुँचा सकता है ।

18- जहाँ वह रहता है, उसके आस-पास का वातावरण बड़ा शान्त एवं सात्त्विक रहता है । उसके पास बैठने का मन करता है, ईश्वर का निरंतर जाप उसके मन में चलता रहता है अपितु यही जाप वह सबको करने के लिए कहते है।

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