शाश्वत तिवारी
विदेश मंत्रालय और पुणे इंटरनेशनल सेंटर की ओर से गुरुवार को यहां एशिया आर्थिक संवाद 2024 का आयोजन किया गया, जिसमें नेपाल और बांग्लादेश के विदेश सचिवों के साथ ही विभिन्न देशों के नीति निर्माताओं और उद्योग विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
‘परिवर्तनशील युग में भू-आर्थिक चुनौतियां’ थीम पर आयोजित एशिया इकोनॉमिक डायलॉग का यह 8वां सम्मेलन है, जो कि 2 मार्च तक चलेगा। संवाद के पहले दिन ‘सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल कूटनीति में भारत की भूमिका’ पर चर्चा हुई, जिसमें इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के चेयरमैन किरण कार्णिक और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीनानाथ खोलकर ने अपने विचार रखे।
इससे पहले ‘दक्षिण एशिया में आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना’ विषय पर उद्घाटन सत्र आयोजित हुआ, जिसे विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा, नेपाल की विदेश सचिव सेवा लमसल और बांग्लादेश के विदेश सचिव मसूद बिन मोमन ने संबोधित किया। डायलॉग के संयोजक और पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त रह चुके गौतम बंबावले ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। अपने संबोधन के दौरान विदेश सचिव क्वात्रा ने दक्षिण एशिया के प्रमुख आर्थिक मुद्दों को लेकर भारत की प्रतिबद्धताओं का उल्लेख किया।
विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एशिया और पूरे विश्व के समक्ष मौजूद महत्वपूर्ण आर्थिक मामलों पर व्यावहारिक चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करता है। तीन दिवसीय कार्यक्रम में कुल 12 सत्र आयोजित होंगे, जिनमें 11 देशों के 46 वक्ता शामिल होंगे और इस दौरान जियो-इकोनॉमिक के अलावा आईटी, डिजिटल उत्पाद, ऑटोमोबाइल, कनेक्टिविटी के विस्तार जैसे विषयों पर विचार-विमर्श होगा।