- CM से हुई शिकायत में दोषी पाए गए अधिकारियों को मिला तोहफा
- रिटायर प्रधान प्रबंधक को अस्थाई नियुक्ति और दूसरे की हुई वापसी
राकेश यादव
लखनऊ। लौट के बुद्धू घर को आए… यह कहावत चीनी निगम में एकदम फिट बैठती है। मुख्यमंत्री से हुई शिकायत में दोषी पाए गए मुख्य लेखाकार को मुंडेरवा चीनी मिल से हटाने के बाद एक बार फिर उनकी उसी चीनी मिल पर वापसी हो गई। आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त इस लेखाकार की वापसी निगम अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा तो यह है कि गन्ने की ढुलाई के बिलों में हेराफेरी के लिए इनकी मुंडेरवा मिल पर वापसी की गई है।
बीते दिनों मुंडेरवा चीनी मिल में गन्ना विकास और मार्केटिंग करने वाली एजेंसी की शिकायत की गई थी। मुख्यमंत्री को दी गई इस शिकायत की नौ पन्नो की जांच में चीनी निगम के कंपनी हेड एवम प्रधान प्रबंधक समेत अन्य कई महत्वपूर्ण प्रभार संभाल रहे एसके मेहरा और चीनी मिल के मुख्य लेखाकार रवि प्रभाकर को दोषी ठहराया गया। शासन में बैठे आला अफसरों ने जांच के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए तोहफा दे दिया। प्रधान प्रबंधक एसके मेहरा को रिटायर होने के एक दिन बाद ही उन्ही सभी प्रभारों के साथ अस्थाई नियुक्ति प्रदान कर दी गई।
सूत्रों का कहना है कि गन्ना विकास और मार्केटिंग में गोलमाल के दोषी एसके मेहरा के सहयोगी मुख्य लेखाकार रवि प्रभाकर का स्थानांतरण मेरठ की मोइनुद्दीन चीनी मिल में कर दिया गया। बताया गया है स्थानांतरित मुख्य सलाहकार की गतिविधियों से अवगत मिल के प्रधान प्रबंधक ने उन्हें बगैर कोई प्रभार सौपें बैठाकर वेतन दिया। मुख्य सलाहकार ने इसकी जानकारी चीनी निगम मुख्यालय में बैठे अपने हितैषी प्रधान प्रबंधक एसके मेहरा को दी। मेहरा ने तत्कालीन प्रबंध निदेशक से साठ गांठ और सेटिंग करके सहयोगी मुख्य सलाहकार रवि प्रभाकर का तबादला एक बार फिर मुंडेरवा चीनी मिल में करा दिया। वर्तमान समय में पेराई सत्र चलने की वजह से गन्ने की ढुलाई और उतराई का काम जोरशोर से चल रहा है। पिछले पेराई सत्र में इन दोनों अधिकारियों ने मिलजुलकर गन्ने की ढुलाई के काम में करोड़ों का गोलमाल किया था। मुख्य लेखाकार की मुंडेरवा चीनी मिल में वापसी के बाद आशंका व्यक्त की जा रही है कि इस बार भी इसके बिलों में बड़ा गोलमाल व धांधलेबाजी की जा सकती है।
ट्रक के बजाए ट्राला से मिल पहुंच रहा गन्ना
पेराई सत्र में गन्ने की ढुलाई के बिलों में हेरफेर करने के नियमों को दर किनार कर दिया है। चीनी मिल में गन्ने की ढुलाई ट्रक से कराए जाने के बजाए ट्राला से कराई जा रही है। ट्राला से ढुलाई करने की वजह से मिल के आसपास सड़कों की हालत काफी जर्जर हो गई है। ऐसा तब किया जा रहा है जब गन्ने की ढुलाई के लिए ट्रकों से एग्रीमेंट करती है। ट्रक में डेढ़ सौ कुंतल गन्ना आता है जबकि ट्राला में ढाई से तीन सौ कुंतल गन्ने की ढुलाई हो पाती है।
निगम का एमडी बनने की फिराक में जुटे कई अफसर
चीनी निगम में करोड़ों की लागत के तीन प्रोजेक्ट होने की वजह से कई अफसर प्रबंध निदेशक बनने की फिराक में जुटे हुए हैं। निगम में लंबे समय से खाली पड़े एमडी के पद पर पिछले दिनों वरिष्ठ आईएएस विमल दूबे को तैनात किया गया। दो दिन पहले इनका तबादला कर दिया गया। इससे पूर्व खाली पड़े पद का अतिरिक्त प्रभार सहकारी चीनी मिल संघ के एमडी रमाकांत पांडे को सौंपा गया था। गोरखपुर के पिपराइच और मेरठ की मोइनुद्दीन चीनी मिल में डिस्लरी और छाता में बन रही नई चीनी मिल के चलते पूर्व कार्यवाहक एमडी समेत कई अधिकारी निगम का एमडी बनने की जुगत में लगे हुए हैं।