दो टूक : पीएम साहब! जो युवा आपको जिता रहा, जरा उसके बारे में भी सोचिए 

राजेश श्रीवास्तव

मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है,
ये आंख रोने की शिद्दत से लाल थोड़ी है,
बस अपने वास्ते ही फिक्रमंद हैं सब लोग,
यहां किसी को किसी का ख्याल थोड़ी है…

एक शायर की ये लाइनें यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा लीक से परेशान युवाओं की तकलीफ को एकदम सटीक बयां कर रही है। सिर्फ एक परीक्षा हो तो रोकर भी अपना दर्द बयां कर लिया जाये। यहां तो पेपर लीक की कहानी का फलसफा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 सालों में भारत के 15 राज्यों में पेपर लीक के मामले समाने आए हैं। करीबन 41 नौकरी भर्ती परीक्षाओं में परीक्षा से पहले पेपर लीक हो गया था। आंकड़ों के अनुसार, तेलंगाना और मध्यप्रदेश में 5 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। तेलंगाना की इन 5 परीक्षाओं में 3,77० पद पर भर्ती होनी थी जिसके लिए 6 लाख 74 हजार कैंडिडेट्स पेपर देने वाले थे लेकिन उससे पहले ही पेपर आउट हो गया था। वहीं, एमपी की 5 परीक्षाओं में कुल 3,69० पदों पर आवेदन मांगे गए थे, इसमें 1 लाख 64 अभ्यर्थी परीक्षा में बैठने वाले थे। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में 3 परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं। ताजे मामले यूपी में पुलिस भर्ती का है। यूपी पुलिस भर्ती पेपर लीक से पहले भी कई परीक्षाओं में सेंध लग चुकी है। पेपर लीक मामलों में राजस्थान सबसे आगे है। राजस्थान में 2०19 के बाद से हर साल औसतन 3 पेपर लीक हुए हैं। इससे लगभग 4० लाख छात्र प्रभावित हुए हैं। एक जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों ने पाया कि लीक हुए पेपर 5 से 15 लाख रुपये में बिके हैं। राज्य में 2०11 से 2०22 के बीच पेपर लीक के लगभग 26 मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें से 14 पिछले चार वर्षों में रिपोर्ट किए गए।

पेपर लीक कांड के बाद एक सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जो देश विश्व गुरु बनने का दावा कर रहा हो, उस देश के सामने सरकारी नौकरी की परीक्षा कराना चुनौती क्यों बनता जा रहा है? यूपी में पेपर लीक कांड का मामला कोई नया नहीं है। राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, तेलंगाना समेत देश के अलग-अलग राज्यों से पीक लीक की खबरें सामने आ चुकी हैं। पेपर लीक मामला अखबारों की सुर्खियों से लेकर अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक खबरों में खूब छाया। इस गंभीर विषय पर चर्चा भी बहुत हुईं, लेकिन आज तक स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। समाज का प्रबुद्ध वर्ग मानता है कि पेपर लीक के मामले को राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। यह किसी ‘राज्य विशेष’ और ‘पार्टी विशेष’ का मामला नहीं है, यह देश की युवा आबादी के भविष्य से जुड़ा अहम विषय है। लेकिन क्या सिर्फ इसी से सरकारों को बच-बचाकर निकल लेना चाहिए। क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती है।

जहां एक तरफ भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रही है, भारत ने चांद के साउथ पोल में पहुंचकर दुनिया को चौंका दिया है, कोरोना के संकट में अपने पड़ोसी देशों को मुफ्त में वैक्सीन देकर दुनिया को बताया मित्रता धर्म क्या होता है, उस देश में पेपर लीक कांड का मामला बार-बार सामने आना बेहद दुखद है। आज अमेरिका, रूस जैसे ताकतवर देश भी वैश्विक संकट के दौरान भारत की तरफ देखते हैं। ऐसे में दुनिया के सबसे ज्यादा युवा आबादी वाले भारत में पेपर लीक कांड को लेकर सवाल पूछा जाना लाजमी है। आगामी परीक्षाओं में प्रश्न पत्रों की सुरक्षा आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। परीक्षाएं छोटी हों या बड़ी, लेकिन पेपर लीक जैसी घटनाएं भर्ती संस्थानों पर बड़ा दाग लगाती हैं। लोकसभा चुनाव भी करीब हैं। ऐसे में परीक्षा के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकना आयोग, स्थानीय प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

https://www.nayalook.com/category/national/raj-dharm-up/#google_vignette

दअरसल, परीक्षा केंद्रों पर निगरानी की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन के पास ही होती है। सरकारी नौकरियों के एग्जाम में पेपर लीक होने से पूरी नियुक्ति प्रक्रिया अधर में पड़ जाती है। पेपर लीक के ट्रेंड ने युवाओं के भीतर गुस्सा दिया है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में पुलिस परीक्षा में पेपर लीक होने के बाद युवाओं का गुस्सा सड़क पर निकला। इसने उत्तर प्रदेश से लेकर केंद्र तक की सरकारों को बेचैन कर दिया। लोकसभा चुनाव बिल्कुल नजदीक हैं। इस वक्त सड़क पर उबलता युवाओं का आक्रोश सत्ताधारी दल के किए मुश्किल पैदा कर सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने डैमेज कंट्रोल करते हुए एग्जाम रद्द कर दिया है। राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा में पेपर लीक को मुद्दा बना रहे हैं। अखिलेश यादव भी आंदोलन कर रहे युवाओं के संपर्क में हैं। ऐसे उत्तर प्रदेश में सरकार की तरफ से आनन-फानन में डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई है। परीक्षा रद्द कर दी गई। सरकार ने यह भी वादा किया है कि आगे से किसी परीक्षा में ऐसा नहीं होगा। सरकार की कोशिश लोकसभा चुनाव तक युवाओं के गुस्से को खत्म करने की है।

यूपी में पहले भी कई बार पेपर लीक हुए। मसलन जुलाई 2०17, दरोगा भर्ती परीक्षा, फरवरी 2०18, UPPCL परीक्षा, जुलाई 2018, UPSSSC, सितंबर 2018, नलकूप ऑपरेटर भर्ती, अगस्त 2०21, बीएड, नवंबर 2०21, यूपीटीईटी, मार्च, 2०22 यूपी बोर्ड परीक्षा, साल 2022 में 30 मार्च को 12वीं बोर्ड परीक्षा आदि खासे चर्चा में रहे। क्यों प्रधानमंत्री मोदी इस पर चर्चा नहीं कर रहे। क्या ये परीक्षा पर चर्चा से ज्यादा अहम विषय नहीं है। सरकार को लगता है कि वह जीत रही है मतलब सब आल इज वेल है, लेकिन ऐसा है नहीं, युवा घुट रहा है। NCRB आंकड़ों के अनुसार, भारत के बेरोजगार युवा अब हताश होकर आत्महत्या करने लगे हैं। तीन साल में करीब 35००० छात्रों ने खुदकुशी की है। सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर अपनी जान गंवा रहे हैं। केंद्र सरकार, गत आठ वर्ष में मात्र 7.22 लाख नौकरी दे सकी है, जबकि आवेदकों की संख्या 22 करोड़ से भी ज्यादा थी।

National

आतंकियों के स्लीपिंग माड्यूल्स निष्क्रिय करने में फेल है सुरक्षा एजेंसियां 

इंतजाम: जुड़ने से पहले ही टूट जाती हैं कड़ियां ए अहमद सौदागर लखनऊ। सूचनाओं की कड़ियां जुड़ने से पहले ही टूट जा रही है। यही वजह है कि बीते दो-तीन दशकों के भीतर देश व प्रदेश कई जिलों में दो दर्जन से अधिक आतंकी घटनाएं होने के बावजूद यहां सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों के स्लीपिंग माड्यूल […]

Read More
Raj Dharm UP

अब भिखारियों की कुंडली खंगालेगी पुलिस, कमिश्नर ने दिए सूची तैयार करने के आदेश

हनुमान सेतु मंदिर के बाहर प्रसाद वितरण के दौरान हुई घटना के बाद जागी पुलिस इससे पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं, लेकिन तब कुम्भकरणी नींद सो रहा था प्रशासन ए अहमद सौदागर लखनऊ। राजधानी लखनऊ की मशहूर हनुमान सेतु मंदिर के बाहर मंगलवार को प्रसाद लेने वालों की भीड़ लगी थी। इसी दौरान […]

Read More
National

दहशतगर्दों का स्केच जारी, जांच एजेंसियां सक्रिय जल्द होगें खूंखार सलाखों के पीछे 

 बताया जा रहा है सात थे आतंकी  बदले की आग में जल रहा पूरा देश ए अहमद सौदागर लखनऊ। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान की अहम भूमिका होने की सुगबुगाहट धीरे-धीरे सामने आ रही है। जानकार बताते हैं कि घटना वाले स्थान पर सात खूंखार आतंकी मौजूद थे। बताया […]

Read More