शाश्वत तिवारी
नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का सिंगापुर दौरा और वहां के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात कई क्षेत्रों में प्रगति तथा द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने का अवसर प्रदान करेगा। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में यह बात कही।
जयशंकर ने सिंगापुर, फिलीपींस और मलेशिया की अपनी यात्रा के पहले चरण के रूप में 23-25 मार्च के बीच सिंगापुर की आधिकारिक यात्रा की। उन्होंने सिंगापुर पहुंचकर सबसे पहले युद्ध स्मारक पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भारतीय सेना के जवानों को श्रद्धांजलि दी।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस दौरान उन्होंने अपने समकक्ष विवियन बालाकृष्णन के साथ द्विपक्षीय, वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की। इसके अलावा विदेश मंत्री ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सेन लूंग, उप-प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री लॉरेंस वोंग और कैबिनेट के अन्य शीर्ष नेताओं के साथ भी रणनीतिक द्विपक्षीय संबंध और हिंद-प्रशांत एवं पश्चिमी एशिया क्षेत्रों की स्थिति पर विचार-विमर्श किया।
सिंगापुर के अपने समकक्ष के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा हमारे द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति की समीक्षा की। अगली आईएसएमआर बैठक की तैयारियों के बारे में बात की। हमारे राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे होने पर चर्चा की गई। इंडो-पैसिफिक और पश्चिम एशिया पर विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर ने व्यापार एवं उद्योग मंत्री गैन किम योंग से बैठक के दौरान हरित ऊर्जा, आपूर्ति श्रृंखला और रक्षा पर चर्चा की। उन्होंने कानून एवं गृह मामलों के मंत्री के. शनमुगन और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री टिओ ची हीन से भी मुलाकात की। विदेश मंत्री ने सिंगापुर में भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत की। उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्होंने थिंक टैंक और नीति निर्माताओं से विचार साझा किए।