जीत के लिए दम भरते दावेदार,  विपक्ष के दावे में कितना है दम

 

मधुकर त्रिपाठी| देश धीरे धीरे लोकसभा चुनाव की ओर आगे बढ़ रहा है। बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में अपने लिए 370 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। मोदी और उनकी टीम जिस तरह के बयान दे रहे हैं उससे तो यह साफ हो जाता है कि वे अपने प्रचंड जीत के लिए आश्वस्त हैं। एक तरफ इंडिया गठबंधन है तो वहीं दूसरी ओर मोदी की गारंटी। प्रधानमंत्री मोदी के सामने भारत में कोई दूसरा विकल्प विपक्ष के सामने नजर नहीं आ रहा। हालांकि विपक्ष मोदी को नोटबंदी, अदानी, मणिपुर हिंसा, ईवीएम और भी तमाम मुद्दों पर घेरते हुए नजर आ रहा है। लेकिन विपक्ष हर जतन के बावजूद मोदी की काट नहीं खोज पा रहा है। मोदी कई बार इस बात का जिक्र भी किए हैं कि आज हम चारों तरफ विकसित भारत का निर्माण होते देख रहे हैं। वे तीन करोड़ लखपती दीदी, पक्के घर, गैस सिलेंडर, हर घर नल जैसे आमजनमानस से जुड़े मुद्दों की बात करने से भी नहीं हिचकते। मोदी अपनी रैलियों में इस बात का भी जिक्र करते हैं कि  हमने वो काम किया है, जो आजादी के बाद पिछले पांच-छह दशकों में नहीं हो सका।  देश को जिस गति की जरूरत थी, हमने उस गति से काम किया। कांग्रेस ने सिर्फ गरीबी हटाओ का नारा दिया था, भाजपा ने वो करके दिखाया है। 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया। वे इस बात को भी कहते हैं कि अगर मोदी है, तो देश वैश्विक चार्ट पर (अर्थव्यवस्था के मामले में) तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। पीएम मोदी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि एक तरफ भाजपा है जो देश को अपना परिवार मानती है, वहीं दूसरी तरफ सबसे पुरानी पार्टी अपने परिवार को देश से बड़ा मानती है. उन्‍होंने कहा, ‘भाजपा वैश्विक स्तर पर भारत को गौरवान्वित करने जा रही है दूसरी ओर, कांग्रेस विदेश जाकर भारत को गाली देती है।

मोदी के मन की बात देश की जनता आसानी से समझ ले रही है। इसी कारण देश की जनता उनको हर चुनाव में प्रधानमंत्री बना रही है।जब से मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं तब से उनका जादू देश के आम जनमानस पर छा गया है।  इसके पीछे मोदी और अमित शाह की कुशल युगलबंदी है। राजनीतिक जानकारों का ऐसा भी मानना है कि अमित शाह को ऐसे ही चाणक्य नहीं कहा जाता क्यों कि वे हर छोटे बड़े चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए एक एक मोहरे सेट करते हैं। इस बात को वे बखूबी जानते हैं कि अगर चुनाव जीतना है तो तैयारी मजबूत होनी चाहिए।

भाजपा के सामने विपक्ष इतना कमजोर स्थिति में है कि न चाहते हुए भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सरीखे बेमेल पार्टियों को एक बैनर तले साथ आने को मजबूर कर दिया। इस मजबूरी को देश की जनता भी धीरे धीरे समझने लगी है। मोदी सरकार में जिस तरह से ताबड़तोड़ छापे पड़ रहे हैं उससे देश के हर कोने में इसका असर भी देखने को मिल रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली में शराब नीति से जुड़े घोटाले के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। उससे पहले विपक्ष के एक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया बाद में उन्हें पद से इस्तीफ़ा भी देना पड़ा। आम आदमी पार्टी के कई नेता शराब घोटाला मामले से लेकर हवाला लेन-देन और अन्य मामलों में गिरफ्तार हो चुके हैं और जेल में बंद हैं। संजय सिंह को तो जमानत मिल गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल भेजने को लेकर आप भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आक्रामक दिख रही है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने जेल का जवाब वोट से अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत लोगों से आप को वोट देकर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का विरोध करने की अपील की गई है। पार्टी कार्यालय समेत दिल्ली में जगह-जगह जेल का जवाब वोट से पोस्टर लगाए जा रहे हैं।

राहुल गांधी भले ही भारत जोड़ों यात्रा के माध्यम से पूरे देश में एक अलग संदेश देना चाहते हैं लेकिन नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के आगे सब फीका पड़ रहा है। यूपी में अखिलेश यादव अपने कुनबे के साथ पीडीए की राजनीति कर रहे हैं तो वहीं देश की मौजूदा सियासत में सबसे बड़ी दलित नेता मानी जाने वालीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती गठबंधन से बाहर हैं। उनको ऐसा लगने लगा है कि किसी भी दल के साथ गठबन्धन करने पर उनको फायदा की जगह नुकसान उठाना पड़ता है। बसपा ने पहले चरण के मतदान को देखते हुए अब तक कुल 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। ऐसा ही कुछ पश्चिम बंगाल मे ममता बनर्जी भी कर रही हैं। बिहार में नीतीश कुमार के पाला बदल लेने से बीजेपी के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। हालांकि तेजस्वी यादव एक नई ऊर्जा के साथ मेहनत कर रहे हैं। बहरहाल अब देखना होगा कि विपक्ष नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल को कैसे रोकता है।

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