बंगाल के पहले बिहार में ढहा था वामपंथियों का गढ़

  • अब तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल से कर दिया वामदलों को साफ
  • केरल के अलावा भारत में नहीं बचा लेफ्ट का अस्तित्व

पटना पहले यह राज्य वामपंथियों का अड्ढा हुआ करता था। लेकिन अब इसे दोष लग चुका है। वो दोष हैं सूबे के विभाजन का। बंटवारें के बाद बिहार में हुए लोकसभा चुनाव में वामदल का खाता नहीं खुला है। बिहार और झारखंड का विभाजन 15 नवंबर 2000 को हुआ था। विभाजन से पूर्व बिहार में 54 सीटें हुआ करती थी। विभाजन के बाद बिहार में 40 सीटें रह गयी। विभाजन के बाद बिहार में हुये लोकसभा चुनाव में वामदल में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले)का खाता नहीं खुला है।

विभाजन के बाद बिहार में वर्ष 2004, 2009, 2014 और वर्ष 2019 में लोकसभा के चुनाव हुये। इन चार चुनावों में वामदल के किसी भी प्रत्याशी ने जीत हासिल नहीं की है। वर्ष 2004 में भाकपा ने 06, माकपा ने 01 और भाकपा माले ने 21 प्रत्याशी चुनावी रणभूमि मे उतारे लेकिन उसे किसी सीट पर कामयाबी नहीं मिली। वर्ष 2009 में भाकपा ने 07, माकपा ने 05 और भाकपा माले ने 20 प्रत्याशी चुनावी समर में उतारे लेकिन उसे किसी सीट पर कामयाबी नहीं मिली।वर्ष 2014 के चुनाव में भी वामदल के सभी प्रत्याशी को बिहार के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में भाकपा के दो, माकपा के चार और भाकपा माले के 22 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे।

वर्ष 2019 के चुनाव में भाकपा माले ने चार सीट ,भाकपा ने दो सीट जबकि माकपा ने एक सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे। वामदल के कुल सात प्रत्याशी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरे थे लेकिन बिहार की चालीस सीटों में किसी भी सीट पर वामदलों का खाता नहीं खुल पाया। विभाजन से पूर्व अंतिम बार वर्ष 1999 मे भागलपुर से माकपा प्रत्याशी सुबोध राय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रभास चंद्र तिवारी को पराजित कर लोकसभा पहुंचे थे। इस चुनाव में भाकपा और भाकपा माले को कोई सीट नहीं मिली। माकपा की टिकट पर चुनाव जीतने वाले सुबोध राय अंतिम वामदल के सांसद थे।

बिहार लोकसभा चुनाव 2024 के लिए इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस (इंडी गठबंधन) के घटक दलों के बीच सीटों के तालमेल के तहत वाम दल पांच सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। वामदल में शामिल (भाकपा-माले) आरा, काराकाट और नालंदा, (भाकपा) बेगूसराय और (माकपा) खगड़िया सीट से चुनाव लड़ेगी। भाकपा माले ने आरा संसदीय क्षेत्र से भोजपुर जिले के तरारी विधानसभा से विधायक सुदामा प्रसाद, काराकाट से पूर्व विधायक राजा राम सिंह और नालंदा संसदीय क्षेत्र से पटना जिले के पालीगंज से विधायक संदीप सौरभ को अपना उम्मीदवार बनाया है।इसी तरह बेगूसराय सीट पर भाकपा ने बेगूसराय जिले की बछ़वाड़ा सीट से तीन बार जीते पूर्व विधायक अवधेश राय को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है जबकि खगड़िय सीट से माकपा ने पूर्व विधायक योगेन्द्र सिंह के पुत्र और विभूतिपुर के विधायक अजय कुमार के भाई संजय कुमार चुनाव लड़ेंगे। संजय कुमार खगड़िया से माकपा के जिला सचिव हैं। देखना दिलचस्प् होगा कि वाम दल के ये पांच सूरमा विभाजन के बाद बिहार में पार्टी का खाता खोलने में कितना सफल हो पाते हैं। (वार्ता)

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