ए अहमद सौदागर
लखनऊ। मित्र पुलिस का तमगा लिए उत्तर प्रदेश पुलिस हकीकत में कितनी नरम दिल की है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूछताछ या फिर दबिश देने से लेकर थाने या चौकी में जिस तरह से पेश आती है उसका चेहरा किसी खूनी दरिंदे से कम नहीं होता। छापे और दबिश के दौरान महिलाओं से बदसलूकी उनसे मारपीट की घटनाएं तो आम है ही, लेकिन चौकी में बुलाकर पूछताछ के नाम पर एक महिला की जमकर पिटाई कर देना भी यूपी पुलिस का अमानवीय चेहरे को दर्शाता है।
कहीं छापेमारी के दौरान महिलाओं और बच्चों को थप्पड़ मारा जाता है तो कहीं हाईसिक्योरिटी जोन में आने वाली पुलिस चौकी में महिला के ऊपर पुलिस पूछताछ के नाम पर बेरहमों की तरह टूट पड़ती है। ऐसे भी पूर्व और हाल में कई ऐसे मामले सामने आए हैं कि थानों या चौकियों में आरोपी की इतनी पिटाई की जाती है कि वह पीड़ित खुदकुशी को मजबूर हो जाते हैं। पुलिस प्रताड़ना से लोगों का मरना या फिर पीड़ित और प्रताड़ित शख्स द्वारा जान देनी जैसी घटनाएं मानवाधिकार के निर्देशों का खुला उलंघन है।
लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस पर एक नजर,,,
हजरतगंज स्थित दारुल शफा चौकी प्रभारी ने पूछताछ के लिए एक महिला को बुलाया और उस पर कहर बनकर टूट पड़े। बताया जा रहा है कि बेबस महिला चिल्लाती रही और चौकी प्रभारी का खूनी डंडा महिला की शरीर पर बरसता रहा। लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस की हाल तो बानगी भर है इससे पहले भी कई बार यूपी पुलिस का कठोर चेहरा सामने आ चुका है।
- 17 अप्रैल 2013 में हसनगंज थाने की हवालात में एक युवक की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।
- दो दिसंबर 2007 में कृष्णा नगर कोतवाली की हवालात में चोरी के आरोप में पकड़े गए राहुल की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।
- इस मामले में तत्कालीन निरीक्षक अजीत सिंह चौहान सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई हुई थी।
- दस जून 2011 में लखीमपुर खीरी जिले के निघासन थाना परिसर में एक किशोरी की हत्या कर दी गई थी।
- दस अगस्त 2015 में सीतापुर जिले के महमूदाबाद कोतवाली के शौचालय में एक युवती का शव मिला। युवती के गले में उसी के दुपट्टे का फंदा था । यह तो फिलहाल बानगी भर है इससे पहले भी कई बार यूपी पुलिस का कठोर चेहरा सामने आ चुका है। बस इतनी ही घटनाएं दर्शाने के लिए काफी है कि या तो पुलिस का इकबाल खत्म हो रहा है या जनाक्रोश की हदें टूट रही हैं।