समाज और परिवार प्रबोधन

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की शाहजहांपुर यात्रा समाज प्रबोधन की दृष्टि से महत्वपूर्ण रही। यहां उन्होंने समाज को कुरीतियों से मुक्त होने का संदेश दिया। देश को दुनिया में नम्बर वन बनाने में एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया। आनंदी बेन पटेल ने शाहजहांपुर में सफाई कर्मियों और बच्चों को सम्मानित किया। वह
अखिल भारतीय सफाई मजदूर गरीब उत्थान यूनियन द्वारा आयोजित कार्यक्रम शामिल हुईं। उन्होंने
कहा पिछले दस
साल से प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छता अभियान की शुरूआत की गयी है। आने वाली पीढ़ी में सफाई की आदत डाली जाए। उन्होंने बच्चों, सफाई कर्मचारियों एवं शिक्षकों से विशेष रूप से कहा कि साफ सफाई एवं स्वच्छता रखना बहुत जरूरी है। राज्यपाल ने प्रसिद्ध हनुमत धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना भी की।आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश आगे बढ़े और विश्व का नेतृत्व करें। प्रधानमंत्री का सपना है कि विश्व में भारत हर क्षेत्र में प्रथम स्थान पर हो। सभी लोग एक बनकर भारत को नंबर एक पर लाना है।राज्यपाल ने विनोबा सेवा आश्रम बरतारा आश्रम के परिसर में स्थित बैंक ऑफ बड़ोदा शाखा बरतारा के नव सुसज्जित भवन का उद्धाटन किया। सुसज्जित अहिंसा प्रेक्षागृह ग्रंथागार भवन का लोकार्पण किया। स्वयं सहायता समूह को सीसीएल की प्रतीकात्मक चेक वितरण किया। विनोबा जी के विचारों पर आधारित पुस्तकों का भी विमोचन किया। राज्यपाल ने कहा कि विनोबा सेवा आश्रम के सभी लोगो ने गरीबों का जीवन सुधारने में पूरा जीवन लगा दिया है। विनोवा एवं गांधी जी के विचारों पर चलने पर लिए जोर दिया। कहा कि लोगों को अपना फर्ज नहीं भूलना चाहिए उस पर ध्यान देना चाहिए। लोग अपने ऐसे बूढ़े माता-पिता को आश्रमों में छोड़ देते हैं जिन्होंने जीवन में कष्ट उठाकर पढ़ाया-लिखाया बड़ा किया। अपने माता-पिता को कभी आश्रमों में नहीं छोड़ना चाहिए। उन्हें अपने पास रखें, उनकी सेवा करें। राजभवन की ओर से ऐसे आश्रमों की सेवा करने के लिए डेढ़ सौ करोड़ रुपए का सहयोग प्रदान किया जाता है। जिससे बच्चों को शिक्षा आदि शैक्षिक कार्य कराया जा सके। आश्रमों में वातानुकूलित, गर्म, पानी, पुस्तकालय आदि व्यवस्थाएं कराई जा सके। आश्रमों द्वारा चौराहों पर भीख मांग कर जीवन व्यतीत करने वाले बच्चों को शिक्षण संस्थान में नाम लिखाकर पढ़ाना चाहिए, उन्हें जीवन की मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में गांवो को गोद लेकर कार्य किया जा रहा है। गांव में आंगनवाड़ी केन्द्र, टीवी के मरीजों को गोद लेकर सुधार किया जा रहा है। भारत सरकार कई योजनाओं के माध्यम से महिलाओं और गरीब परिवारों को लाभान्वित कर रही है, सभी योजनाएं घर-घर तक पहुंच रही हैं। राज्यपाल ने गांधी और बिनाेवा के विचारों का उल्लेख किया। गांधी-दर्शन के चार आधारभूत सिद्धांत हैं। उन्होंने
सत्य,अहिंसा,प्रेम और सद्भाव पर बल दिया। उनका विश्वास था कि सत्य ही परमेश्वर है। उन्होंने सत्य की आराधना को भक्ति माना। उन्होंने अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग शीर्षक से प्रस्तुत की। सत्यमेव जयते का उल्लेख

श्रमजीवी पत्रकार यूनियन उत्तर प्रदेश का तहसील ईकाई गठित

मुंडकोपनिषद में है। गांधी जी ने इसको ध्येय वाक्य बनाया। अहिंसा का दायरा
मन, क्रम और वचन तक व्यापक है। किसी के प्रति ईर्ष्या
द्वेष नहीं रखना चाहिए। अहिंसा के मार्ग से ही सत्य की सिद्ध किया जा सकता है। अहिंसा साधन है। सत्य साध्य हैं। बिनोवा भी महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे। बाल्यकाल से ही उनकी आध्यात्म में रूचि थी। उन्होंने अध्यात्मिक साधना के लिए हिमालय जाने का निर्णय लिया था। इसी दौरान उनकी गांधी जी से मुलाकात हुईं थी। इसके बाद उन्होंने समाज और राष्ट्र सेवा के मार्ग का चयन किया। गांधी जी की सलाह पर उन्होंने वर्धा को अपनी कर्मभूमि बनाया और आजादी तक स्थानीय लोगों में जागरूकता और सेवाभाव से कार्य कर रहे. स्वतन्त्रता के बाद तेलंगाना इलाके में वामपंथियों की अगुवाई में भूमिहीन किसानों का एक हिंसक आंदोलन चल रहा था. यहां हिंसा और किसानों की समस्या सुलझाने के लिए विनोबा भावे नलगोंडा के पोचमपल्ली गांव गए थे। किसानों ने उनसे अपनी आजीविका के लिए अस्सी एकड़ जमीन की मांग की. उन्होंने कहा कि यदि चालीस परिवारों के लिए अस्सी एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। इसके लिए विनोबा ने जमींदारों से बात की और उससे प्रभावित होकर रामचंद्र रेड्डी ने अपनी सौ एकड़ जमीन दान दे दी. इसी घटना से प्रेरित होकर उनके मन में भूदान आंदोलन शुरू किया। उन्होंने तेरह लाख गरीब किसानों को करीब पैतालीस
लाख एकड़ जमीन
भूदान आंदोलन के माध्यम से उपलब्ध कराई। उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

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