मुख्यालय अफसरों ने 24 घंटे में बदल दी जेल, आईजी जेल की सख्ती के बाद भी तबादलो में हुआ खेल!

  • बांदा और मुरादाबाद जेलर को मिली प्राइज पोस्टिंग
  • कमाई से अधिक कमाई वाली जेल पर भेजे गए दर्जनों जेलर

राकेश यादव

लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग के मुखिया पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक कारागार की तमाम सख्ती के बाद भी अधिकारी तबादलों में खेल करने से बाज नहीं आए। जेलर संवर्ग की तबादलों सूची को जारी हुए अभी 24 घंटे बीत नहीं पाए थे कि दो जेलर की जेल बदल दी गई। मेरठ जेल से स्पेशल ड्यूटी पर बांदा भेजे गए जेलर को तोहफे में कानपुर नगर और मुरादाबाद के जेलर को लखनऊ जेल भेज दिया गया। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

बीती 28 जून को कारागार मुख्यालय की ओर से जेलर संवर्ग के तबादलों की सूची जारी की गई। इस सूची में डेढ़ दर्जन जेलरों को इधर उधर किया गया। सूची में मेरठ से स्पेशल ड्यूटी पर बांदा जेल पर लगाए गए जेलर मनीष कुमार को झांसी जिला जेल और मुरादाबाद के जेलर मृत्युंजय कुमार पांडेय को जिला कारागार इटावा स्थानांतरित किया गया। स्थानांतरण हुए अभी 24 घंटे भी नहीं बीत पाए थे कि इन दोनों जेलरों की जेल बदल दी गई। 29 जून को मुख्यालय ने आंशिक संशोधन की बात कहते हुए बांदा से झांसी जेल भेजे गए मनीष कुमार को जिला कारागार कानपुर नगर और मुरादाबाद से इटावा स्थानांतरित हुए मृत्युंजय कुमार पांडेय को लखनऊ जिला कारागार स्थानांतरित करने का फरमान जारी कर दिया।

24 घंटे के अंदर हुए इस परिवर्तन को लेकर विभागीय अधिकारियों में हलचल मची हुई है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यालय के अफसरों ने बांदा के जेलर मनीष कुमार को तोहफा दिया है। बताया गया है कि मनीष का अधिकांश कार्यकाल पश्चिम की कमाऊ जेलों पर ही रहा है। उन्हें पूर्वांचल और बुंदेलखंड की जेलों पर आज तक तैनात ही नहीं किया गया। इसी प्रकार मुरादाबाद से इटावा स्थानांतरित हुए मृत्युंजय कुमार पांडेय का तबादला बदल कर राजधानी लखनऊ की जिला जेल कर दिया गया। चर्चा है कि यह दोनों तबादले मुख्यालय के अफसरों से सेटिंग गेटिंग कर बदलवाए गए है।

यही नहीं तबादलों में झांसी में तैनात सुरेश मिश्रा को मुरादाबाद, राजेश कुमार पांडेय को सिद्धार्थनगर से फिरोजाबाद, अंजनी कुमार गुप्ता को इटावा से केंद्रीय कारागार नैनी और राजेश कुमार को कानपुर नगर से जिला कारागार वाराणसी भेजा गया है। दिलचस्प बात यह है कि आईजी जेल की तबादलों में पारदर्शी व्यवस्था रखने के तमाम निर्देशों के बाद भी इन तबादलों में मुख्यालय के अफसरों ने जमकर खेल किया है। उधर इस संबंध में आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं उठा।

मनचाही जेलों पर तैनात होते अधिकारी

सैंया भय कोतवाल तो अब डर काहे का…यह कहावत कुछ जेल अफसरों और कर्मियों पर एकदम फिट बैठती है। गाजियाबाद से प्रमोशन पाकर मेरठ गए जेलर को गौतमबुद्धनगर जेल भेज दिया गया। सूत्रों का कहना है कि इस अधिकारी को प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री का संरक्षण प्राप्त है। इसलिए यह जहां चाहते है वहां तबादला कर लेते है। इसी प्रकार एक नेता का संरक्षण प्राप्त जेलर मुजफ्फरनगर में डेरा जमाए हुए है। स्थानांतरण सत्र में सैकड़ों की संख्या में वार्डर, हेड वार्डर के तबादले हुए किंतु गाजियाबाद में लंबे समय से जमें एक हेड वार्डर को मुख्यालय हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। चर्चा है कि इसको हटाने की जिसने भी कोशिश की वह खुद ही हटा दिया गया।

फिर मिली कमाई वाली जेल

राजधानी लखनऊ की जिला जेल में करीब चार साल से अधिक समय तक जमे रहे वरिष्ठ अधीक्षक आशीष तिवारी का तबादला भी किया गया तो वह भी और अधिक कमाई वाली केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ किया गया। मंडलीय कारागार होने की वजह से वार्डर संवर्ग के एसीपी, दंड सरीखे तमाम कार्य होने के साथ जनपद में बन रही ओपन जेल का प्रभार भी होगा। लखनऊ जेल में दर्जनों घटनाएं होने के बाद शासन ने इस अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए पहले लखनऊ जेल परिक्षेत्र का प्रभारी डीआईजी बनाया और अब तोहफे में केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ पर तैनात कर दिया।

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