जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
हर महीने कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। किसी भी माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को यह कार्य किए जाते हैं। अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के पाप का नाश होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पितृ लोक से पितर पृथ्वी पर आते हैं और उम्मीद करते हैं कि अपने वंश से उनको तृप्त किया जाएगा। इस वजह से अमावस्या के दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि करते हैं। अमावस्या की तिथि भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। इस दिन गंगा स्नान के साथ जप, तप और दान भी किया किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या पर श्री हरि और पितरों की पूजा करने से जातक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है और साथ ही पितृ देव प्रसन्न होते हैं।
अमावस्या पर करें इन चीजों का दान
पितरों की कृपा करने के लिए अमावस्या पर श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों को अन्न और धन का दान करें।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या पर इन चीजों का दान करने से जातक को पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है।
इसके अलावा गेहूं और चावल का भी दान कर सकते हैं, मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों के साथ सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
नाराज पितरों को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद भूमि का दान करें। शास्त्रों में भूमि दान को महादान माना गया है। भूमि दान करने से इंसान को पापों से छुटकारा मिलता है।
आषाढ़ अमावस्या पर आंवला, दूध, घी और दही समेत विशेष चीजों कर दान कर सकते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि इन चीजों का दान करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन लाभ के योग बनते हैं।
आषाढ़ अमावस्या तर्पण और श्राद्ध का समय
यदि आप अपने पितरों को खुश करने के लिए उनका श्राद्ध कर्म करना चाहते हैं तो अमावस्या के दिन प्रातः 11:00 बजे से लेकर दोपहर 02:30 बजे के बीच कर सकते हैं। पितरों के लिए जल से तर्पण दें। कुश, काले तिल, सफेद फूल और जल से पितरों के लिए तर्पण देना चाहिए।