ए अहमद सौदागर
लखनऊ। सावन का महीना, और उमस भरी, भीषण गर्मी, से बिलबिलाते राजधानी के बाशिंदों को मूसलाधार बारिश का इंतजार था ईश्वर ने उनकी सुन ली। कुछ देर के लिए ही सही मूसलाधार बारिश ने पूरे शहर को जलमग्न कर दिया। बारिश ने करोड़ों रुपए खर्च करके बनाए जा स्मार्ट सिटी की पोल खोल दी इसके साथ ही तहजीब के शहर पर एक बदनुमा दाग भी लगा दिया। कलंकित करने वाले शोहदे पकड़े गए और पुलिसकर्मियों पर भी गाज गिरी। लेकिन जलभराव में जिनकी लापरवाही थी वे अभी भी कुर्सी पर आसीन हैं।
गोमतीनगर इलाके में एसीपी के दफ्तर से महज़ 100 मीटर दूर जलभराव पर शोहदे एकत्र हो गए। सड़क पर भरे पानी को उछाल कर खेलने के बहाने राहगीरों से अभद्रता और महिलाओं से छेड़खानी का जो सिलसिला शुरू हुआ वह काफी देर तक चलता रहा। मनचलों की संख्या भी बढ़ती गई। चेकिंग के नाम पर मुस्तैद दिखाने वाली पुलिस नदारद थी। अराजकता चरम पर पहुंच चुकी थी। इस बीच किसी ने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर दिया।
फजीहत होती देख पुलिस हरकत में आई और सब इंस्पेक्टर ऋषि विवेक ने गोमतीनगर थाने में अज्ञात युवकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। इस FIR में महिलाओं के साथ छेड़खानी का उल्लेख नहीं किया, बल्कि अज्ञात 15-20 लड़कों द्वारा गंदा पानी उछाल कर आवागमन में बाधा का उल्लेख किया। माना जा रहा है कि आला अफसरों ने सरेआम छेड़खानी से होने वाली फजीहत से बचने के लिए उपनिरीक्षक के माध्यम से रिपोर्ट दर्ज कराकर कागजी खानापूरी की। देर रात FIR भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई और बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कानों तक जा पहुंची।
प्रदेश में चुस्त-दुरुस्त कानून-व्यवस्था और महिलाओं के सम्मान का दम भरने वाले मुख्यमंत्री का पारा चढ़ गया क्योंकि ये शर्मनाक खेल उनके आवास से महज ढाई किलो मीटर की दूरी पर दिनदहाड़े खेला गया था। उन्होंने ने अफसरों को फटकार लगाई। जिस पर डीसीपी पूर्वी, एडीसीपी पूर्वी, एसीपी पूर्वी गोमतीनगर को हटाने के साथ इंस्पेक्टर गोमतीनगर और पूरी चौकी को सस्पेंड कर दिया गया। सवाल उठा कि पुलिस वालों पर हुई कार्रवाई।
वायरल हो रही खबर को कुछ हल्का करने के लिए हुई है। या वास्तव में कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने के प्रयास होंगे। दर असल उपनिरीक्षक द्वारा छेड़खानी की बात छिपाकर FIR दर्ज कराना आला अफसरों की तरफ भी अंगुलियां उठा रहा है। यही नहीं माना जा सकता है कि सरेराह हुई हुल्लड़ बाजी और छेड़खानी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भी पुलिस आयुक्त इस प्रकरण से बेखबर रहे। आरोपियों की गिरफ्तारी और पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के संबंध में जारी प्रेस नोट से स्पष्ट है कि धरपकड़ पुलिस आयुक्त के निर्देश पर हुई। यानी कि उन्हें FIR की भी जानकारी थी।
छेड़खानी की बात छिपाए जाने के बिन्दु पर उनकी खामोशी है। ऐसे में पुलिस आयुक्त के भी शासन की कार्रवाई की जद में आने से इंकार नहीं किया जा सकता। बात बढ़ी तो उन्हें भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। यह बात अलग है कि हाल में ही हुई अपनी तैनाती को आधार बनाकर बच जाएं। सबसे बड़ी बात यह है कि जिन अफसरों की लापरवाही के चलते पूरा शहर जलमग्न हुआ वे अभी भी मौज काट रहे हैं। स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अबतक अरबों रुपए पानी की तरह बहाए जा चुके हैं और कहीं भी जल निकासी का उचित प्रबंध नहीं है।आलम यह है कि थोड़ी देर के लिए हुई बारिश से विधानभवन के आसपास का रास्ता के अलावा मुख्यमंत्री को भी अपने आवास जाने के लिए रास्ता बदलना पड़ा। आम आदमी की बात तो छोड़िए कितनी कारें और बाइक पानी में डूबीं, कितने घरों में गंदा पानी घुसा और नागरिकों को कितनी मुश्किल का सामना करना पड़ा, इसका कोई हिसाब नहीं जिस तरह से शहर पर हुए हुड़दंग में पुलिस कर्मी नापे गए उसी तरह अन्य जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई की आवश्यकता है।