- मुख्यालय में स्टेनो होने के बाद बाबुओं को सौंपा गया प्रभार
- मनमाने रवैए से स्टेनो संवर्ग के कर्मियों में आक्रोश
राकेश यादव
लखनऊ। प्रदेश के कारागार मुख्यालय में स्टेनो होने के बावजूद बाबुओं को DIG के स्टेनो का प्रभार सौंप दिया गया है। यह बात सुनने और पढ़ने में भले ही अटपटी लगे लेकिन विभाग के आला अफसरों ने सच करके दिखा दिया है। विभाग के आला अफसरों के पटल परिवर्तन के दौरान लिए गए इस निर्णय से स्टेनो संवर्ग के कर्मियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। मामला विभाग के मुखिया से जुड़ा होने की वजह से इस संवर्ग के कर्मी कुछ भी बोलने से बचते नजर आए। विभाग में ऐसा पहली बार हुआ है जब स्टेनो का काम सहायक एवं कनिष्ठ बाबुओं को सौंपा गया हो।
मिली जानकारी के मुताबिक बीती 31 जुलाई को कारागार मुख्यालय में महानिरीक्षक कारागार और DIG जेल मुख्यालय के स्टेनो सेवानिवृत हो गए। इनके सेवानिवृत होने के बाद महानिरीक्षक कारागार ने मातहत अधिकारियों को बाबुओं के पटल परिवर्तन का निर्देश दिया। इस निर्देश के बाद अपर महानिरीक्षक कारागार (प्रशासन) ने 15 बाबुओं के पटल परिवर्तन का आदेश जारी किया। इसमें इन्होंने स्टेनो के खाली हुए पदों पर प्रधान सहायक एवम कनिष्ठ सहायक को तैनात कर दिया। इससे स्टेनो संवर्ग के कर्मियों में हड़कंप मच गया। इस परिवर्तन से संवर्ग के कर्मियों में खासा आक्रोश देखने को मिला।
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सूत्रों का कहना है कि महानिरीक्षक कारागार के सेवानिवृत स्टेनो के स्थान पर पहले एक प्रशासनिक अधिकारी (वरिष्ठ बाबू) को तैनात कर दिया। संवर्ग कर्मियों के विरोध के बाद इनके स्थान पर बाबू भोला सिंह को तैनात किया गया। 31 अगस्त को इनके सेवानिवृत होने पर इनके स्थान पर एक अन्य को तैनात किया गया है। वहीं DIG मुख्यालय के स्टेनो के तौर पर कनिष्ठ सहायक बाबू को और लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी के साथ प्रधान सहायक को बतौर स्टेनो तैनात कर दिया गया। ऐसा तब किया गया जब मुख्यालय में तैनात कई स्टेनो खाली बैठे हुए हैं। विवादों से घिरे इन बाबुओं की तैनाती से स्टेनो संवर्ग में खासा आक्रोश है। इसको लेकर अटकलें लगाई जा कमाई की खातिर अफसरों ने स्टेनो के स्थान पर बाबुओं को तैनात कर दिया है।
पांच छह बाबुओं के भरोसे चल रहा कारागार मुख्यालय
कारागार मुख्यालय का कामकाज पांच छह बाबुओं के भरोसे चल रहा है। इन्हीं बाबुओं को घूम फिरकर कमाऊ पटल पर तैनात किया जाता है। बीती 18 अक्टूबर 2023 को कुछ बाबुओं के पटल परिवर्तन किए गए था। गोपनीय अनुभाग से निर्माण में भेज गए प्रशासनिक अधिकारी को अभी एक साल भी नहीं हो पाया कि उन्हें फिर से गोपनीय भेज दिया गया। इसी प्रकार जेलर और डिप्टी संवर्ग देख रहे बाबू का लंबे समय से पटल परिवर्तन ही नहीं किया है। लीगल का काम देख रहे एक बाबू का प्रमोशन के बाद भी पटल नहीं बदला गया। गोपनीय से हटाए गए एक बाबू को फिर से अतिरिक्त प्रभार देकर वापस कर दिया गया। इसी प्रकार सामान्य अनुभाग एक का काम देख रहे प्रधान सहायक को DIG का स्टेनो बना दिया गया। यह तो बानगी है। ऐसे ही इन बाबुओं को घूम फिरकर कमाऊ पटल ही दिए जाते रहे हैं। कहने को मुख्यालय में सैकड़ों की संख्या में बाबू हैं। दिलचस्प बात यह है कि अधिकारियों का तर्क है इन्हें हटा दिया गया तो काम बाधित हो जायेगा।