कल से शुरू हो रहे हैं पितृ-पक्ष, जानें कब हैं तिथियां और कैसे होता है पितृदोष

ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र

बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृदोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं ?आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति…

पितृगण हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है, क्योंकि उन्होंने कोई न कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है। मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है, पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स्वर्ग लोक है। आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है ,वहाँ हमारे पूर्वज मिलते हैं अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं की इस अमुक आत्मा ने हमारे कुल में जन्म लेकर हमें धन्य किया इसके आगे आत्मा अपने पुण्य के आधार पर सूर्य लोक की तरफ बढती है।

वहाँ से आगे ,यदि और अधिक पुण्य हैं, तो आत्मा सूर्य लोक को भेज कर स्वर्ग लोक की तरफ चली जाती है,लेकिन करोड़ों में एक आध आत्मा ही ऐसी होती है ,जो परमात्मा में समाहित होती है  जिसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता  मनुष्य लोक एवं पितृ लोक में बहुत सारी आत्माएं पुनः अपनी इच्छा वश ,मोह वश अपने कुल में जन्म लेती हैं।

क्या होता है पितृ दोष

हमारे ये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग ना तो हमारे प्रति श्रद्धा रखते हैं और न ही इन्हें कोई प्यार या स्नेह है और ना ही किसी भी अवसर पर ये हमको याद करते हैं,ना ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं,जिसेपितृदोषकहा जाता है। पितृ दोष एक अदृश्य बाधा है। ये बाधा पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है पितरों के रुष्ट होने के बहुत से कारण हो सकते हैं, आपके आचरण से,किसी परिजन द्वारा की गयी गलती से, श्राद्ध आदि कर्म न करने से, अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है।

इसके अलावा मानसिक अवसाद, व्यापार में नुकसान, परिश्रम के अनुसार फल न मिलना, विवाह या वैवाहिक जीवन में समस्याएं, करियर में समस्याएं या संक्षिप्त में कहें तो जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति और उसके परिवार को बाधाओं का सामना करना पड़ता है पितृ दोष होने पर अनुकूल ग्रहों की स्थिति ,गोचर ,दशाएं होने पर भी शुभ फल नहीं मिल पाते, कितना भी पूजा पाठ,देवी, देवताओं की अर्चना की जाए, उसका शुभ फल नहीं मिल पाता।

कुंडली में पितृदोष लग जाए तो निवारण करने में लग जाते हैं बहुत सारे दिन…

पितृ दोष दो प्रकार से प्रभावित करता है

1.अधोगति वाले पितरों के कारण

2.उर्ध्वगति वाले पितरों के कारण

अधोगति वाले पितरों के दोषों का मुख्य कारण परिजनों द्वारा किया गया गलत आचरण,की अतृप्त इच्छाएं ,जायदाद के प्रति मोह और उसका गलत लोगों द्वारा उपभोग होने पर,विवाहादिमें परिजनों द्वारा गलत निर्णय .परिवार के किसी प्रियजन को अकारण कष्ट देने पर पितर क्रुद्ध हो जाते हैं ,परिवार जनों को श्राप दे देते हैं और अपनी शक्ति से नकारात्मक फल प्रदान करते हैं।

उर्ध्व गति वाले पितर सामान्यतः पितृदोष उत्पन्न नहीं करते ,परन्तु उनका किसी भी रूप में अपमान होने पर अथवा परिवार के पारंपरिक रीतिरिवाजों का निर्वहन नहीं करने पर वह पितृदोष उत्पन्न करते हैं। इनके द्वारा उत्पन्न पितृदोष से व्यक्ति की भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति बिलकुल बाधित हो जाती है ,फिर चाहे कितने भी प्रयास क्यों ना किये जाएँ ,कितने भी पूजा पाठ क्यों ना किये जाएँ,उनका कोई भी कार्य ये पितृदोष सफल नहीं होने देता। पितृ दोष निवारण के लिए सबसे पहले ये जानना ज़रूरी होता है कि किस गृह के कारण और किस प्रकार का पितृ दोष उत्पन्न हो रहा है ?

जन्म पत्रिका और पितृ दोष जन्म पत्रिका में लग्न,पंचम, अष्टम और द्वादश भाव से पितृदोष का विचार किया जाता है। पितृ दोष में ग्रहों में मुख्य रूप से सूर्य, चन्द्रमा, गुरु, शनि और राहूकेतु की स्थितियों से पितृ दोष का विचार किया जाता है। इनमें से भी गुरु, शनि और राहु की भूमिका प्रत्येक पितृ दोष में महत्वपूर्ण होती है। इनमें सूर्य से पिता या पितामह, चन्द्रमा से माता या मातामह, मंगल से भ्राता या भगिनी और शुक्र से पत्नी का विचार किया जाता है।

अधिकाँश लोगों की जन्म पत्रिका में मुख्य रूप से क्योंकि गुरु ,शनि और राहु से पीड़ित होने पर ही पितृ दोष उत्पन्न होता है, इसलिए विभिन्न उपायों को करने के साथ साथ व्यक्ति यदि पंचमुखी, सातमुखी और आठ मुखी रुद्राक्ष भी धारण कर ले, तो पितृ दोष का निवारण शीघ्र हो जाता है। पितृ दोष निवारण के लिए इन रुद्राक्षों को धारण करने के अतिरिक्त इन ग्रहों के अन्य उपाय जैसे मंत्र जप और स्तोत्रों का पाठ करना भी श्रेष्ठ होता है।

विश्वकर्मा पूजन, अनंत चतुर्दशी तथा पितृपक्ष श्राद्ध तिथि आदि की सटीक जानकारी

17 सितंबर मंगलवार को श्री अनंत चतुर्दशी का व्रत रहेगा इसी दिन विश्वकर्मा पूजन तथा गणेश विसर्जन होगा। भाद्रपद की पुर्णिमा का व्रत भी 17 सितंबर को किया जाएगा वही स्नान -दान की पूर्णिमा 18 को प्रातः 8:41 तक रहेगी।
महालय /पितृपक्ष श्राद्ध
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज।।
हिन्दी अर्थ– अर्थात जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूं। उन्हें बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझपर प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करें।
ध्यान दे भारतीय संस्कृति के अनुसार मनुष्य जीवन में तीन ऋण मुख्य है। ये हैं ‘देव ऋण’, ‘ऋषि ऋण’, और ‘पितृ ऋण’। इनमें से देव ऋण यज्ञादि द्वारा, ऋषि ऋण वेदादि शर्म ग्रंथों का स्वाध्याय प्रचार – प्रसार करके और पितृ ऋण को श्राद्ध – तर्पण, दान आदि द्वारा उतारा जाता है। पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर दिन मंगलवार को होगा।

  • महालय का आरंभ 18 सितंबर बुधवार प्रतिपदा से होगा। आज के ही दिन मध्याह्न काल में प्रतिपदा से संबंधित श्राद्ध तर्पण आदि कार्य होंगे।
  • 19 सितंबर को द्वितीया का श्राद्ध होगा।
  • 20 सितंबर को तृतीया का श्राद्ध तर्पण किया जायेगा।
  • 21 सितंबर को चतुर्थी का श्राद्ध होगा।
  • 22 सितंबर को पंचमी श्राद्ध।
  • 23 सितंबर को षष्ठी का श्राद्ध होगा।
  • 24 सितंबर को सप्तमी का श्राद्ध होगा एवम इसी दिन महालक्ष्मी व्रत किया जायेगा तथा सायंकाल में 16 दिवसीय गजलक्ष्मी /महालक्ष्मी व्रत पूजन का समापन किया जायेगा।
  • 25 सितंबर बुधवार को अष्टमी का श्राद्ध तथा जीवत्पुत्रिका / जूतियां का व्रत किया जायेगा।
  • 26 सितंबर को मातृ नवमी होगी इस दिन नवमी का श्राद्ध तथा अन्वष्टका श्राद्ध ,समस्त सौभाग्य वती माताओं के निमित्त श्राद्ध तर्पण आदि किया जायेगा।
  • 27 सितंबर को दशमी का श्राद्ध होगा आज के दिन हस्त नक्षत्र में सूर्य आएगा जिसे लोक प्रचलन में हथिया लग गया कहते है। इस दिन जलवृष्टि के योग बनेंगे।
  • 28 सितंबर दिन शनिवार को इंदिरा एकादशी का व्रत सभी जनों के लिए होगा आज एकादशी का श्राद्ध होगा।
  • 29 सितंबर को प्रदोष व्रत पड़ेगा तथा इस दिन द्वादशी का श्राद्ध एवं समस्त सन्यासी, दीक्षा प्राप्त साधु, संतों के निमित्त श्राद्ध किया जायेगा।
  • 30 सितंबर को त्रयोदशी का श्राद्ध तथा मास शिवरात्रि का व्रत किया जायेगा।
  • एक अक्तूबर को चतुर्दशी का श्राद्ध एवम इस दिन शस्त्र घात, विष आदि से मारें गए व्यक्तियों का श्राद्ध होगा।
  • दो अक्तूबर को सर्वपैत्री अमावस्या होगी इस दिन अमावस्या का श्राद्ध तथा जिनकी तिथि की जानकारी नहीं है ऐसे सभी मृत लोगों के निमित्त आज श्राद्ध तर्पण किया जायेगा, आज के दिन महालय की समाप्ति पितृ विसर्जन किया जायेगा। यथा शक्ति श्राद्ध अनुसार ब्राह्मणों को भोजन वस्त्र दक्षिणा आदि का दान करने से पितृ जनार्दन भगवान विष्णु प्रसन्न होते है और धन धान्य सुख समृद्धि की वृद्धि करते हैं।

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