विश्वकर्मा पूजा आजः जानें क्या है पूजा विधि, मुहूर्त और कथा… दोनों कथाओं में है रोचक प्रसंग

राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद

ब्रह्मांड के पहले इंजीनियर कहे जाने वाले भगवान विश्‍वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है। इस दिन हर कारखाने, फैक्‍ट्री और दुकानों में उनकी धूमधाम से पूजा की जाती है। इस दिन औजार से जुड़ा काम करने वाले कुशल मजदूर और कामगार औजार का प्रयोग नहीं करते बल्कि उनकी पूजा करके उन्‍हें एक दिन के आराम देते हैं। इस दिन फैक्ट्रियों में सभी मशीनों और कलपुर्जों की पूजा की जाती है। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग विश्‍वकर्माजी को अपना भगवान मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

विश्वकर्मा पूजा की तिथि

विश्वकर्मा पूजा को लेकर लोगों के बीच में इस बार कन्‍फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। हर साल भाद्रपद मास में सूर्य जब सिंह राशि से निकलकर कन्‍या राशि में प्रवेश करते हैं तो विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है। हर साल 17 सितंबर को यह पूजा की जाती है। इस बार सूर्य 16 सितंबर की शाम को 7 बजकर 29 मिनट पर कन्‍या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए विश्‍वकर्मा जयंती अगले दिन यानी कि 17 सितंबर को मनाई जाएगी। बिहार, बंगाल और झारखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश में विश्वकर्मा पूजा विधिविधान से की जाती है। इस दिन कुशल कामगार जैसे कारपेंटर, बिजली के उपकरणों को सही करने वाले या फिर अन्‍य तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग भी भगवान विश्वकर्मा को भोग प्रसाद चढ़ाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

विश्वकर्मा पूजा मुहूर्त

इस साल विश्वकर्मा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह के लिए बताया गया है। दोपहर के समय में भद्रा काल शुरू हो जाएगा, इसलिए आप विश्वकर्मा पूजा सुबह 06:07 बजे से 11:44 बजे तक कर सकते हैं।

विश्वकर्मा पूजा का महत्‍व

विश्वकर्मा पूजा न सिर्फ मजदूरों और कामगारों बल्कि हम सभी के लिए भी जरूरी मानी जाती है। आज के युग में हर व्‍यक्ति मोबाइल और लैपटॉप के बिना अपना काम नहीं कर पाता है। इसलिए ये भी एक प्रकार की मशीन हैं और इनका प्रयोग करने वाले सभी लोगों के लिए भी विश्वकर्मा पूजा का महत्‍व बहुत खास माना गया है। इसलिए विश्‍वकर्मा पूजा के दिन हम सभी को पूजा करनी चाहिए और साथ ही यह भी प्राार्थना करनी चाहिए कि हम जिस भी मशीन से जुड़ा काम करते हैं साल भर वह मशीन ठीक से सुचारू रूप से कार्य करे, ताकि हमारे रोजाना के काम में बाधा न आएं।

कल से शुरू हो रहे हैं पितृ-पक्ष, जानें कब हैं तिथियां और कैसे होता है पितृदोष

विश्वकर्मा पूजा विधि

विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह सबसे पहले मशीनों की खूब अच्‍छे से साफ-सफाई करें और उसके बाद इन मशीनों को ऑफ करके इनकी पूजा करें। भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति को मशीनों के पास में रखकर साथ में दोनों की पूजा करनी चाहिए। इस दिन मशीनों के साथ-साथ आपको अपने वाहनों की पूजा करनी चाहिए। इस दिन घर की सभी छोटी-बड़ी मशीनों की पूजा करनी चाहिए और साथ ही आपको भोग व प्रसाद भी इस दिन चढ़ाना चाहिए। विश्वकर्मा पूजा के दिन आपको घर की बनी शुद्ध चीजों का ही भोग लगाना चाहिए। इनमें मोतीचूर के लड्डू, मीठी बूंदी, चावल की खीर या हलवे का भोग आप लगा सकते हैं। इस दिन कुछ स्‍थानों पर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को रोजाना में प्रयोग आने वाली वस्‍तुओं का दान भी करना चाहिए।

स्वप्न में मंदिर दिखाई देने का अर्थ, जानें हमें सपने क्यों आते हैं? 

विश्वकर्मा की कथा

विश्वकर्मा की प्रथम कहानी:  जब सृष्टि का निर्माण हो रहा था, तो वहां सबसे पहले भगवान नारायण सागर में शेषशय्या पर प्रकट हुए। भगवान विष्णु के प्रकट होने के बाद उनकी नाभि से भगवान ब्रह्मा दृष्टिगोचर हो गए थें। ब्रह्मा के पुत्र ‘धर्म’ और धर्म के पुत्र ‘वासुदेव’ थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ‘वस्तु’ से उत्पन्न ‘वास्तु’ सातवें पुत्र थे,जो शिल्पशास्त्र के ज्ञाता थे। वासुदेव की पत्नी अंगिरसी’ ने विश्वकर्मा जी को जन्म दिया। आगे चलकर भगवान विश्वकर्मा भी वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बनें।

विश्वकर्मा के व्रत की दूसरी कहानी: प्राचीन काल में काशी नगरी में एक रथकार अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह अपने कार्य अच्छे से करता था, लेकिन फिर भी अधिक धन नही कमा पाता था। इस वजह से उसे अपने जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इतना ही नहीं उसकी संतान ना होने की वजह से बभी वह हुत दुखी रहता था। वह और उसकी पत्नी दोनों अक्सर संतान की प्राप्ति के लिए साधु के पास जाते थे। एक दिन उसके पड़ोसी ब्राह्मण ने उससे कहा कि तुम दोनों भगवान विश्वकर्मा की पूजा करों। तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी होगी।
नोट- अगर आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मोबाइल नंबर मो. 9116089175 पर कॉल करके या व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर पहले शर्तें जान लेवें, इसी के बाद अपनी बर्थ डिटेल और हैंडप्रिंट्स भेजें।

Religion

पौष माह आज से होगा शुरूः अत्यधिक पुण्य प्राप्त करने के लिए करें ये उपाय

राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद जयपुर। हिन्दी पंचांग का दसवां महीना पौष 16 दिसंबर 2024 से 13 जनवरी 2025 तक रहेगा। पुराणों का कहना है कि पौष में सूर्य पूजा करने से उम्र बढ़ती है। हर महीने सूर्य अलग रूप की पूजा करने का विधान है, इसलिए पौष मास में भग नाम के सूर्य की […]

Read More
Religion

विनायक चतुर्थी आजः घर में सुख-समृद्धि के लिए करें यह प्रयोग

गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं होती हैं पूर्ण सिद्धि विनायक की पूजा से जीवन के सभी कष्ट हो जाते हैं समाप्त राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है, जिन्हें सभी […]

Read More
Religion

यदि आपको स्वयं जानना है अपना भविष्य तो जानें ये आसान 10 तरीके

आज ही सुरक्षित कर लें यह लेख, जीवन में कई बार आपको आएगा काम ज्योतिष के अलावा भी कई विद्या है, जो आपको बता देती है आपका भविष्य राजेन्द्र गुप्ता,  ज्योतिषी और हस्तरेखाविद हर व्यक्ति खुद का या दूसरों का भविष्य जानने को बहुत उत्सुक रहता है तभी तो देश में लाखों ज्योतिषी और बाबा […]

Read More