मासिक शिवरात्रि आजः महादेव से मनोकामना पूर्ण का आशीर्वाद लेने के लिए करें यह व्रत

  • कब है मासिक शिवरात्रि? क्या है मासिक शिवरात्रि का महत्व? मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि?
  • मासिक शिवरात्रि पर आप सरलता से घर पर ही इस तरह भगवान शिव की कर सकते हैं पूजा

राजेंद्र गुप्ता/जयपुर

आश्विन माह चल रहा है, जिसे हिंदी कैलेंडर का सातवां महीना कहा जाता है। इस साल आश्विन मास में कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसकी वजह से इस दौरान आने वाले व्रत और त्योहार का महत्व और बढ़ गया है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हालांकि इस दिन व्रत की कथा पढ़ना या सुनना जरूरी होता है, नहीं तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

कब है मासिक शिवरात्रि?

इस साल 30 सितंबर को शाम 07:06 मिनट से आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन रात 09:39 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर 30 सितंबर 2024 को आश्विन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। 30 सितंबर 2024 को निशा काल में भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:47 मिनट से लेकर 1 अक्टूबर 2024 को प्रात: काल 12:35 मिनट तक है।

मासिक शिवरात्रि का महत्व

मासिक शिवरात्रि का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • आध्यात्मिक विकास: भगवान शिव सृष्टि के विनाशक और पुनर्निर्माणकर्ता हैं। उनकी आराधना से आध्यात्मिक विकास में सहायता मिलती है और आंतरिक अशांति दूर होती है।
  • पापों का नाश: ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की भक्ति करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • मन की शांति: भगवान शिव को शांति के देवता के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा करने से मन को शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
  • इच्छा पूर्ति: सच्चे मन से की गई प्रार्थनाओं को भगवान शिव अवश्य सुनते हैं। मासिक शिवरात्रि पर की गई विधिपूर्वक पूजा से मनोवांछित फल प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
  • ग्रहों के दोषों से मुक्ति: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना करने से ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है।
मासिक शिवरात्रि कैसे करें

मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि पर आप सरलता से घर पर ही भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है:

  • पूजा की तैयारी: मासिक शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्धीकरण करें।
  • मूर्ति या शिवलिंग स्थापना: अपने पूजा स्थान पर भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें। आप शिवलिंग पर थोड़ा सा चावल भी रख सकते हैं।
  • आवाहन और स्नान: भगवान शिव का ध्यान करते हुए उनका आवाहन करें। इसके बाद, शिवलिंग या प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं।
  • अभिषेक: पंचामृत के बाद, शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, बेल पत्र, धतूरा के फूल (सावधानी से प्रयोग करें, जहरीला होता है), भांग (यदि धार्मिक मान्यता अनुसार सेवन करते हैं), और इत्र चढ़ाएं।
  • अर्चन: भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं और उनके प्रिय वस्त्र, धतुरा, और भांग अर्पित करें। इसके बाद, धूप और दीप जलाकर उनकी आरती करें।
  • मंत्र जप और स्तोत्र पाठ: (आगे से) “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें या शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टकम, या शिव शाश्रवत स्तोत्र का पाठ करें। आप अपनी श्रद्धा के अनुसार कोई भी शिव स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
  • निवेद: पूजा के उपरांत भगवान शिव को भोग लगाएं। आप उन्हें फल, मिठाई या पंचामृत का भोग लगा सकते हैं।
  • आरती और समापन: अंत में, भगवान शिव की आरती करें और पूजा का समापन करें।
  • रात्रि जागरण (वैकल्पिक): आप चाहें तो रात भर जागरण कर सकते हैं और भगवान शिव के भजनों का श्रवण कर सकते हैं।

मासिक शिवरात्रि के व्रत नियम

  1. मासिक शिवरात्रि पर कई भक्त व्रत रखते हैं। व्रत रखने के कुछ नियम इस प्रकार हैं:
  2. सात्विक भोजन: इस दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें। मांस, मदिरा, और लहसुन-प्याज का सेवन न करें।
  3. ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  4. पूरे दिन उपवास (वैकल्पिक): आप पूरे दिन उपवास रख सकते हैं या केवल फल और जल का सेवन कर सकते हैं। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें।
  5. शिव पूजा और मंत्र जप: पूरे दिन शिव पूजा और मंत्र जप करने का यथासंभव प्रयास करें।

मासिक शिवरात्रि की कथाएं

मासिक शिवरात्रि व्रत की कथा का संबंध भगवान शिव की अनुग्रह दृष्टि से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक श्रद्धालु था, जिसका नाम ब्राह्मण था। वो अपनी पत्नी के साथ एक गांव में खुशी-खुशी रह रहा था। ब्राह्मण की पत्नी की धार्मिक कार्यों में ज्यादा रुचि थी। वो हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखती थी। अपनी पत्नी से प्रेरित होकर ब्राह्मण ने भी ये व्रत करने का निश्चय किया।

अगली बार दोनों ने मासिक शिवरात्रि का व्रत साथ में रखा। शिव जी की विधिपूर्वक उपासना की और उनसे आशीर्वाद मांगा कि, ‘वो अपनी कृपा सदैव उनके ऊपर बनाए रखें।’ व्रत का समापन करने के बाद ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने गांववालों के लिए भोजन का इंतजाम किया और अपनी क्षमता अनुसार पुजारियों को दक्षिणा दी। इस दिन ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने अपने अछूत और पवित्र भाग्य को दूसरे लोगों के साथ साझा किया था, जिसे भिक्षाटन कहा जाता है।

महादेव ने दिया मनोकामना पूर्ण का आशीर्वाद

इसी दिन गांव में एक गरीब ब्राह्मण आया, जो देखने में कमजोर लग रहा था। ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने उस गरीब को भी आदरपूर्वक भोजन कराया। माना जाता है कि जिस प्रकार ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने गांववालों को भोजन कराया, व्रत रखा और भगवान शिव की उपासना की, उनकी भक्ति को देखकर महादेव बेहद प्रसन्न हुए। भगवान ने ब्राह्मण और उसकी पत्नी की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया। इसी के बाद से हर साल लोग भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत रखते हैं।

शिव- पार्वती विवाह: एक अन्य कथा के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था।

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