- इस बार हरियाणा चुनाव मेॆं तीन खिलाड़ियों ने आजमाया था भाग्य
- तीन में से दो को मिली करारी हार, पहलवान विनेश का दांव चला
सत्येंद्र शुक्ल ‘दीपक’
खेल और राजनीति का सम्बंध बड़ा गहरा होता है या यूं कहें कि चोली-दामन का साथ होता है तो बड़ी बात नहीं होगी। यह इसलिए कि खेल में भी जीत-हार के लिए राजनीतिक रणनीति की जरूरत पड़ती है और राजनीति में भी सफल होने के लिए ‘खेल’ करने पड़ते हैं। खेल में सफल खिलाडिय़ों को चुनावों में भुनाने के लिए राजनीतिक दल हमेशा तत्पर रहते हैं और काफी हद तक सफल भी रहे हैं। दूसरी तरफ खिलाडिय़ों को भी राजनीति का क्षेत्र खूब भाया खासतौर से क्रिकेट खिलाड़ी। हालांकि राजनीति ने बदलते समय के साथ खिलाडिय़ों से ही अपना नाता नहीं जोड़ा बल्कि ग्लैमर की दुनिया को भी अपने में मिला लिया और सेवा के लिए शुरू हुई राजनीति समय के साथ ग्लैमरस हो गयी। विनेश फोगाट का ओलम्पिक पदक भले ही खटाई में पड़ गया लेकिन उन्होंने राजनीतिक पिच पर शानदार प्रदर्शन करते हुए विधायक बन गईं। अब वह कांग्रेस के चुनाव निशान पंजे को मजबूत करती हुईं जुलाना से विधायक बन गईं। वहीं वहीं बीजेपी के उम्मीदवार कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान दीपक हुड्डा को मेहम सीट से करारी हार मिली। जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) के टिकट पर उतरीं कविता रानी (कविता दलाल) की जमानत जब्त हो गई।
खेल के मैदान पर विरोधियों के छक्के छुड़ाने वाले कई खिलाड़ी राजनीति के मैदान में भी विरोधियों के छक्के छुड़ा कर चले गए तो कई छुड़ा रहे हैं। इन क्रिकेटरों में सचिन तेंदुलकर, नवजोत सिंह सिद्घू, चेतन चौहान, राज्यवर्धन सिंह राठौर सहित कई खिलाड़ी हैं। आइए जानते है उन खिलाडियों के बारे में जो खेल के मैदान से निकलकर राजनीति में आए और उनमें से कुछ अपनी पारी खत्म करके जल्दी ही विदा हो गए तो कुछ अभी अपनी पारी खेल रहे हैं।
राजनीति में खिलाडिय़ों को उतारने की बात करें तो सबसे पहले देश की प्रमुख राष्टï्रीय पार्टी ने यह शुरूआत की थी। कांग्र्रेस ने सर्वप्रथम उस समय के मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी मंसूर अली खान पटौदी उर्फ टाईगर को चुनाव मैदान में उतारा। हालांकि क्रिकेट के मैदान में धुआंधार बैटिंग करने वाले पटौदी राजनीति के मैदान में पूरी तरह फ्लॉप साबित हुए। इसके बाद तो खिलाडिय़ों का जैसे राजनीति में आने का चलन चल गया। पटौदी के बाद अजहरूद्ïदीन, मो. कैफ सहित कई खिलाडिय़ों को राजनीति ने अपनी तरफ खींचा। भाजपा भी भला कहां पीछे रहने वाली थी, उसने भी सिद्घू और कीर्ति आजाद जैसे खिलाडिय़ों को अपनी पार्टी से राजनीति के मैदान में उतारा। हालांकि खेल से राजनीति में आने वाले कई खिलाड़ी यहां भी अपनी कामयाब पारी खेलने में सफल रहे।
चेतन चौहानः भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज रह चुके चेतन चौहान दो बार यूपी की अमरोहा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं और एनआईएफ टी चेयरमैन के रूप में कार्य भी कर चुके हैं। क्रिकेट से संयास लेने से पूर्व यह भारत के लिए 40 टेस्ट मैच खेल चुके हैं। बाद में वह अमरोहा से विधायक बने और उत्तर प्रदेश सरकार में खेल विभाग के मंत्री बने। हालांकि कोरोना के काल ने यूपी के इस लाल को लील लिया और कैबिनेट मंत्री रहते हुए वह दुनिया को अलविदा कह गए।
मोहम्मद कैफः क्रिकेट की दुनिया में अपना हुनर आजमा चुके क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने भी राजनीति में भी अपना बल्ला चलाने की कोशिश की, लेकिन कुछ खास नहीं कर पाए। कैफ ने कांग्रेस से राजनीति का सफर शुरू किया। उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए फूलपुर, इलाहाबाद से टिकट भी दिया गया। लेकिन वह हार गए और फिर क्रिकेट की दुनिया में चले गए।
मनोज प्रभाकरः क्रिकेट का मैदान में ऑलराउंडर रह चुके मनोज प्रभाकर ने भी राजनीति में किस्मत आजमाई। 1998 में वह दिल्ली में आम चुनाव के दौरान चुनाव लड़े। हालांकि, वह हार गए। 1999 में प्रभाकरन का नाम भी मैच फिक्सिंग में आया था जिसके बाद इनके क्रिकेट खेलने पर रोक लगा दिया गया।
नवजोत सिंह सिद्धू- भारतीय टीम के बल्लेबाज के तौर पर जाने जा चुके पंजाब के नवजोत सिंह सिद्धू ने 2004 में भाजपा ज्वाइन की। 2009 में वह सांसद भी चुने गए। लेकिन पिछले साल उन्होंने राजनीति के पैंतरों के चलते भाजपा को छोड़ दिया। बीजेपी छोडऩे के बाद उन्होंने पहले तो स्वतंत्र रूप से अपनी पार्टी बनाकर नए सिरे से राजनीतिक पारी की घोषणा की। उन्होंने अपना मोर्चा भी बनाया जिसका नाम आवाज ए पंजाब रखा। हालांकि इस समय वह और उनकी पत्नी दोनों कांग्रेस से मैदान में हैं।
आलराउंडर प्रवीण कुमारः पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले भारतीय गेंदबाज प्रवीण कुमार ने साल २०१६ में समाजवादी पार्टी से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने की घोषणा की, हालांकि उनके चुनाव लडऩे पर असमंजस बरकरार है। प्रवीण कुमार भारतीय क्रिकेटर है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1986 को उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में हुआ। वो दाहिने हाथ के मध्यम गति के गेंदबाज हंै। वो पिंच हिटर के रूप में भी जाने जाते है। कुमार ने 18 नवम्बर 2007 को एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट क्षेत्र में प्रवेश किया था। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच 2011 में जबकि अंतिम अन्तरराष्ट्रीय मैच टी20 के रूप में 30 मार्च 2012 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जोहांसनबर्ग में खेला था। हालांकि जब उनसे यह पूछा गया था कि क्या वो चुनाव लड़ेंगे तभी उन्होंने दो टूक लहजे में कह दिया था कि अभी मैं बच्चा हूं, कुछ दिन राजनीति का ककहरा सीखूंगा और फिर मैदान में उतरूंगा। सवाल यह है कि साल २०१६ से छह साल बाद भी वो मैदान में नहीं उतरे, तो क्या यह समझा जाए कि तब वह निजी फायदे के लिए राजनीति में आए थे।
विनोद कांबलीः इस खिलाड़ी ने 2009 में लोक भारती पार्टी से टिकट लेकर विक्रोली (मुंबई), महाराष्ट्र से चुनाव लड़ा। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि कांबली हमेशा सामाजिक सेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। २०११ में उन्होंने अन्ना हजारे आंदोलन में भी हिस्सा लिया था।
मुहम्मद अजहरुद्दीनः टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने 2009 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। अजहरूद्दीन ने मुरादाबाद से चुनाव लड़ा था और विपक्षी पार्टी को जबरदस्त मात दी थी। 2014 में राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा ।
कीर्ति आजादः इंडियन टीम के लिए 25 वनडे और 7 टेस्ट मैच खेलने वाले क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने भी क्रिकेट की दुनिया को अलविदा कहने के बाद राजनीति में कदम रखा था। कीर्ति को राजनीति विरासत में मिली। उनके पिता भागवत झा बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे। 1983 वल्र्ड कप विजेता टीम का हिस्सा रहे आजाद बीजेपी के टिकट पर नई दिल्ली और बिहार के दरभंगा से सांसद रहे। फिलहाल पार्टी ने उन्हें सस्पेंड किया हुआ है।
मंसूर अली खान पटौदीः इंडियन क्रिकेट टीम के जाने-माने कैप्टन मंसूर अली खान पटौदी भी राजनीति में आने से खुद को नहीं रोक पाए। उन्होंने 1971 में विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर गुडग़ांव से लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन वह हार गए, दोबारा 1991 में भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। लेकिन इस बार भी उन्हें हार ही हासिल हुई थी। फिल्म अभिनेता सैफ अली खान के पिता और फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के पति नवाब मंसूर अली पटौदी भारतीय टीम के सर्वाधिक लोकप्रिय कप्तानों में शुमार रहे।
(लेखक शिक्षक हैं और खेल की खबरों पर विशेष नजर रखते हैं, संतकबीर नगर जिले में निवास)