- मध्य सत्र में लगा दी डेढ़ दर्जन वार्डरो की विशेष ड्यूटी
- डीआईजी मुख्यालय के आदेश से जेलकर्मियों में मची खलबली
राकेश यादव
लखनऊ। यदि आपकी जेब में पैसा और जुगाड़ हो तो आप प्रदेश की किसी भी कमाऊ जेल पर अपनी ड्यूटी लगवा सकते है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सत्य है। कारागार मुख्यालय ने दो दिन पहले करीब डेढ़ दर्जन वार्डर और हेड वार्डर को कम कमाऊ से अधिक कमाऊ जेलों पर लगा दिया। इन सभी सुरक्षाकर्मियों को तीन माह के लिए जेलों पर विशेष ड्यूटी के तहत लगाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि विशेष ड्यूटी पर लगाए गए कर्मियों को कहने के लिए तो तीन महीने के लिए लगाया जाता है लेकिन महीनों इन्हें हटाया ही नहीं जाता है। हकीकत यह है कि विशेष ड्यूटी लगाना अधिकारियों की कमाई का जरिया बन गया है।
बीते 25 अक्टूबर को आईजी जेल के अनुमोदन के बाद डीआईजी मुख्यालय ने एक आदेश जारी किया। इस आदेश में डेढ़ दर्जन हेड वार्डर और वार्डर को विशेष ड्यूटी पर लगाया गया है। इसमें अक्षय कुमार गौतम को फिरोजाबाद से सेंट्रल जेल बरेली, निखिल श्योरण को सेंट्रल जेल फतेहगढ़ से बुलंदशहर, बृजेश कुमार पाठक को खीरी से बाराबंकी, निर्मला राय को सुल्तानपुर से सेंट्रल जेल वाराणसी, मोहित कुमार को केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ से बुलंदशहर, अवनींद्र कुमार सिंह को सोनभद्र से डीआईजी वाराणसी कार्यालय, सुनील कुमार मौर्य को उन्नाव से जेल मुख्यालय, संजय कुमार को कानपुर देहात से उन्नाव, अनुज कुमार को बागपत से मेरठ, रविकांत गौतम को बागपत से मुजफ्फरनगर, भूपेंद्र प्रताप सिंह और राजेश कुमार उपाध्याय को मिर्जापुर से डीआईजी वाराणसी कार्यालय, रोहताश कुंतल को सेंट्रल जेल नैनी से जेल मुख्यालय, उत्तम प्रकाश शर्मा को उन्नाव से कानपुर नगर, पंकज कुमार वर्मा को खीरी से जेल प्रशिक्षण संस्थान, अवधेश यादव को संत कबीरनगर से गोरखपुर, सुनील कुमार त्रिवेदी को आदर्श कारागार से उन्नाव और राजन सिंह चौहान को अयोध्या से डीआईजी वाराणसी कार्यालय पर लगाया गया है।
डीआईजी मुख्यालय के जारी आदेश में कहा गया है कि डेढ़ दर्जन हेड वार्डर और वार्डर की विशेष ड्यूटी महानिरीक्षक कारागार के अनुमोदन के बाद लगाई गई है। सभी वार्डर और हेड वार्डर की विशेष ड्यूटी स्थानांतरण सत्र 31 मार्च 2025 तक के लिए लगाई गई है। सूत्रों का कहना है कि विशेष ड्यूटी लगाने में कर्मियों से जमकर वसूली की गई है। विभाग में अस्थाई ड्यूटी लगाने का सिलसिला संबद्धता समाप्त होने के बाद से शुरू हुआ है। उधर कारागार मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने विशेष ड्यूटी लगाए जाने की पुष्टि तो की लेकिन इसके अलावा और कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया।
विशेष ड्यूटी बन गया अस्थाई स्थानांतरण
कारागार विभाग में विशेष ड्यूटी पर लगाए गए हेड वार्डर और वार्डर एक बार लगाए जाने के बाद महीनों हटाए ही नहीं जाते है। कई जेलों में तीन माह के लिए लगाए गए सुरक्षाकर्मी निर्धारित समयावधि बीत जाने के कई माह बीतने के बाद भी हटाए नहीं गए है। आलम यह है कि कई सुरक्षाकर्मी विशेष ड्यूटी को ही अपना अस्थाई स्थानांतरण मान चुके है। दर्जनों जेलों पर विशेष ड्यूटी पर लगाए गए वार्डर आज भी उन्हीं जेलों पर जमे हुए है। उधर इस संबंध में जब आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं उठा।
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