- गोपनीय जांच के बाद गृह सचिव की थी संस्तुति
- शासन-मुख्यालय ने दबा रखी अधीक्षकों के निलंबन की फाइल
राकेश यादव
लखनऊ। प्रदेश के नौकरशाह मुख्यमंत्री के मंसूबों पर पानी फेर रहे हैं। उच्च स्तर के निर्देश पर गृह सचिव ने करीब एक दर्जन जेलों की गोपनीय जांच कराई। जांच में अनियमिताओं के लिए दोषी पाए गए जेल अधीक्षकों को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही कराए जाने का निर्देश दिया। गृह सचिव के निर्देश के बाद भी तत्कालीन प्रमुख कारागार ने दोषी अधीक्षकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। नए प्रमुख सचिव कारागार इन दोषी अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही करेंगे। यह सवाल विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक चित्रकूट जेल के अंदर तीन खूंखार अपराधियों की हत्या, नैनी और बरेली जेल प्रशासन की साठ गांठ से हुए एडवोकेट उमेश पाल की हत्या की घटना के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद एक गोपनीय जांच कराई गई। गृह सचिव एवी राजामौली के निर्देश पर हुई इस जांच में बांदा, बरेली, चित्रकूट, प्रयागराज, फतेहपुर, लखनऊ, बलिया, मऊ, वाराणसी, सोनभद्र, आजमगढ़ और जौनपुर जेल में भारी अव्यवस्थाओं और अनियमिताएं मिली। इस पर पर गृह सचिव राजामौली ने तत्कालीन प्रमुख सचिव कारागार को पत्र लिखकर इन जेलों के अधीक्षकों को शीर्ष प्राथमिकता पर निलंबित कर अनुशासनिक, कठोर दंडात्मक कार्यवाही करने का निर्देश दिया। प्रमुख सचिव के निर्देश पर विभाग के संयुक्त सचिव शिव गोपाल सिंह ने महानिरीक्षक कारागार को पत्र लिखकर कार्यवाही कर तत्काल शासन को अवगत कराए जाने का निर्देश दिया।
बदहाल हो रही व्यवस्थाः सूबे की जेलों में चार दिन में तीन बंदियों की मौत
गृह सचिव के 5 अप्रैल 2023 को दिए गए इस निर्देश के करीब डेढ़ साल बाद भी शासन और कारागार मुख्यालय में बैठे आला अफसरों ने दोषी जेल अधीक्षकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। सूत्रों की माने तो शासन और मुख्यालय में बैठे अफसरों ने निलंबित और कठोर दंडात्मक कार्यवाही के लिए चिन्हित किए गए अधीक्षकों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए कई जेल अधीक्षकों को तोहफे में कमाऊ जेल पर जरूर तैनात कर दिया।
सूत्र बताते है कि निलंबित होने के निर्देश वाले चित्रकूट, प्रयागराज, फतेहपुर, लखनऊ, बलिया, मऊ, वाराणसी, सोनभद्र, आजमगढ़ के अधीक्षकों की फाइल को दबा रखा है। नए प्रमुख सचिव कारागार के आने के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि इस विभाग में लेनदेन करने वाले अफसरों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है। उधर इस संबंध में नए प्रमुख सचिव कारागार अनिल गर्ग से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके निजी सचिव कैलाश गुप्ता ने बताया कि साहब मीटिंग में हैं।
कार्यवाही नहीं होने से बेलगाम हुए जेल अफसर
कार्यवाही नहीं होने से जेल अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। यही वजह है कि जेलों में बंदियों के मौत की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। झांसी और मैनपुरी जेल में दो दो बंदियों की मौत होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसी प्रकार लखनऊ, आगरा, बरेली, फिरोजाबाद जेलों में भी मौतों के बाद कोई कार्यवाही नहीं की गई। प्रयागराज में गलत रिहाई, हरदोई में बंदी की फरारी को भी शासन और मुख्यालय के अधिकारी दबा गए। इन मामलों में भी आजतक कोई एक्शन नहीं लिया गए। इससे अधिकारी बेलगाम हो गए है।