- सुरक्षा छोड़ अफसर जूझ रहे बंदियों को अल्फाबेटिकल करने में
- बंदियों से होने वाली आमदनी को दो से तीन गुना बढ़ा दिया
राकेश यादव
लखनऊ। तू डाल डाल, तो मैं पात पात… यह कहावत प्रदेश के जेल अफसरों पर एक दम फिट बैठती है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए जारी किए गए फरमान ने अफसरों की कमाई को कम करने के बजाए और बढ़ा दिया है। अफसरों ने फरमान का तोड़ निकालकर बंदियों को अल्फाबेटिकल रखने के नाम पर आमदनी (वसूली) को बढ़ा दिया है। हकीकत यह है कि अधिकारी फरमान की आड़ लेकर बंदियों से जमकर वसूली कर अपनी जेब भरने में जुटे हुए है। दिलचस्प बात यह है कि विभाग के आला अफसर सब कुछ जानकर अंजान बने हुए हैं।
बीते दिनों आईजी जेल ने विभागीय अधिकारियों के लिए दो फरमान जारी किए। हाता और मशक्कत के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए उन्होंने के में बंदियों को अल्फाबेटिकल रखे जाने का निर्देश दिया। इसके अलावा उन्होंने हेड वार्डर, वार्डर और नंबरदारो को ड्यूटी में रोस्टर प्रणाली लागू किए जाने का निर्देश दिया। आईजी जेल के यह दोनों ही फरमान जेल अफसरों को नागवार गुजरे। आनन फानन में अधिकारियों ने इसका तोड़ निकालकर बंदियों से होने वाली आमदनी को दो से तीन गुना तक बढ़ा दिया।
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सूत्रों का कहना है कि आईजी जेल के बंदियों को बैरकों में अल्फाबेटिकल रखने में दी गई रियायतों की आड़ में पूरे फरमान को ही बदल दिया। अधिकारियों ने निर्देश के अनुपालन के लिए जेलों के प्रत्येक चक्र (सर्किल) में एक मिसलेनियस बैरेक बना दी गई है। अधिकारी जेल में आने वाले धनाढ्य बंदियों को विरोधी गुट का होने एवं रिश्तेदार बताकर इनसे पहले मोटी रकम वसूल करते हैं और बाद में इन्हें मिसलेनियस बैरेक में भेज देते है। जो बंदी पैसा नहीं दे पाते है उनका बैरेक आवंटन के नाम पर खुलेआम उत्पीड़न किया जाता है। सूत्रों की माने तो पूर्व में हाते के लिए 2000 से 2500 रुपया लिया जाता था अब उसको बढ़ाकर 3500 से 4000 रूपये तक कर दिया गया है। फिलहाल जेल अधिकारी आईजी के निर्देश के अनुपालन के नाम पर बंदियों से मोटी रकम वसूल कर जेब भरने में जुटे हुए हैं। इस संबंध में आईजी जेल पीवी रामशास्त्री का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क ही नहीं हो पाया।
सलाहकारों ने चौपट कराई व्यवस्था
भ्रष्टाचार में लिप्त अफसर जब सलाहकार होंगे तो जेलों की व्यवस्थाएं सुधरने के बजाए चौपट ही होंगी। आईजी जेल के फरमान के बाद विभाग के अधिकारियों में कुछ ऐसे ही कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे चंद विभागीय अधिकारी आईजी जेल के सलाहकार बन गए है। मुख्यालय में विभाग के अनुभवी अधिकारी नहीं होने की वजह से चाटुकार सलाहकार जो समझाते है वहीं निर्देश जारी हो जा रहे है। जो व्यवस्थाएं जेलों में लागू ही नहीं हो सकती है उनके अनुपालन का दबाव बनाया जा रहा है। इससे कई अधिकारी तनाव में भी है। आईजी के जारी निर्देशों के व्यावहारिक नहीं होने से जेलों की व्यवस्थाएं चौपट होने के साथ ही अधिकारियों को तमाम तरह की समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है।