पहले खरीदी वाशिंग मशीनें चालू नहीं, नई खरीदने की तैयारी

  • आधुनिक उपकरण खरीद में कमिशन का बड़ा खेल जारी
  • 10 हैवी ड्यूटी वाशिंग मशीन खरीदने के लिए मिला डेढ़ करोड़

लखनऊ । प्रदेश की जेल भले ही आधुनिक न हो पाई हो लेकिन आधुनिक उपकरणों की खरीद फरोख्त से अधिकारी जरूर मालामाल हो गए है। पूर्व में जेलों के लिए खरीदी गई हैवी ड्यूटी वाशिंग मशीन क्रियाशील न हो पाई हो नई मशीनें खरीदे जाने की तैयारी हो गई है। कारागार मुख्यालय में आधुनिक उपकरणों की खरीद फरोख्त में मोटा कमीशन वसूलने का काम धड़ल्ले से जारी है। यही वजह है विभाग एक बार फिर से हैवी ड्यूटी वाशिंग मशीन खरीदने की तैयारी है। शासन ने इसकी खरीद के लिए करीब डेढ़ करोड़ से अधिक धनराशि की स्वीकृत प्रदान भी कर दी है।

प्रदेश की जेलों में जेल अस्पताल और कम्बल की धुलाई के लिए पांच साल पहले करोड़ों रुपए की लागत हैवी ड्यूटी वाशिंग मशीन खरीदी गई थी। इसके बाद प्रदेश की नव निर्मित नैनी जिला जेल और इटावा सेंट्रल जेल के लिए वर्ष 2022 में दो और हैवी ड्यूटी वाशिंग मशीन खरीदी गई थी। करोड़ों रुपए की लागत से खरीदी गई इन मशीनों के लिए मुख्यालय में तैनात आधुनिक अनुभाग के अधिकारियों को मोटा कमीशन भी वसूल किया गया था। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की करीब एक दर्जन जेलों के लिए खरीदी गई हैवी ड्यूटी वाशिंग मशीनें सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। अधिकांश जेलों में यह वाशिंग मशीनें क्रियाशील ही नहीं है। हैवी ड्यूटी वाशिंग मशीनों के क्रियाशील होने के संबंध में जब दो साल पहले नैनी जिला जेल और इटावा जेल अधिकारियों से बातचीत की गई पहले तो इन अधिकारियों ने मशीनों के क्रियाशील होने के बात कही लेकिन जब क्रियाशील मशीनों में संचालन में उपयोग हुए वाशिंग पाउडर और अन्य सामग्री के बारे में पूछा गया तो कोई भी अधिकारी इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया।

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बीती 12 नवंबर को शासन ने प्रदेश की 10 कारागारों के लिए हैवी ड्यूटी वाशिंग मशीन खरीदे जाने का निर्णय लिया है। इन मशीनों की खरीद के लिए शासन ने एक करोड़ 51 लाख रुपए की वित्तीय स्वीकृत भी प्रदान कर दी है। जल्दी इन मशीनों की खरीद फरोख्त की औपचारिकता पूरी करने के बाद इनकी खरीद की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व में खरीदी गई हैवी ड्यूटी वाशिंग मशीनें अभी तक क्रियाशील नहीं हो पाई और मोटा कमीशन की खातिर नई मशीनें खरीदकर राजस्व का चुना लगाने की तैयारी में है। उधर इस संबंध में आधुनिक अनुभाग के प्रभारी डीआईजी हेमंत कुटियाल से बात की गई तो उन्होंने धनराशि मिलने की बात तो स्वीकार की लेकिन अन्य कोई भी टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया।

घटना के समय काम नहीं आते आधुनिक उपकरण

प्रदेश की जेलों में लगाए गए आधुनिक उपकरण घटना के समय काम नहीं आते है। जेल में फरारी, मारपीट समय अन्य घटनाएं होने के बाद अधिकांश समय यह उपकरण खराब ही मिलते है। उपकरण खराब होने की वजह से जेलों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। जेलों में अनाधिकृत वस्तुओं और व्यक्तियों के प्रवेश पर निगरानी रखने के लिए लगाए गए CCTV  अक्सर खराब ही मिलते है। हकीकत यह है कि आधुनिक उपकरण लगने से मुख्यालय के अधिकारी और बाबू जरूर मालामाल हो गए लेकिन इनका जेलों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

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