दिवालिया होने की कगार पर था भारत मनमोहन ने इकोनॉमी को डूबने से बचाया?

राजेश श्रीवास्तव

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिह का 92 साल की उम्र में देहांत हो गया। उन्हें गुरुवार रात को गंभीर हालत होने के बाद इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। दिल्ली एम्स ने आधिकारिक बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की। आइए जानते हैं कि मनमोहन सिह ने कैसे भारत को दिवालिया होने से बचाया और उसके आर्थिक महाशक्ति बनने की नींव रखी। भारत के लिए 1990 के दशक की शुरुआत किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। विदेशी निवेश के लिए दरवाजे ठप थे। ‘इंस्पेक्टर राज’ ने उद्योग-धंधे खोलना मुश्किल कर रखा था। अर्थव्यवस्था चौपट होने की कगार पर थी। उस वक्त मनमोहन सिह संकटमोचक की तरह सामने आए। उनकी नीतियों ने न सिर्फ भारत को दिवालिया होने से बचाया, बल्कि उसे इस काबिल बनाया कि वह तीन दशक बाद दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो सके।

1990 के दशक से पहले लाइसेंस परमिट राज था। इसका मतलब कि सब कुछ सरकार ही तय करती थी किस सामान का उत्पादन कितना होगा, उसे बनाने में कितने लोग काम करेंगे और उसकी कीमत क्या होगी। इस परमिट राज ने देश में कभी निवेश का माहौल पनपने ही नहीं दिया। इससे सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता गया और नौबत दिवालिया होने तक की आ गई। भारत को उस समय अपने जरूरी खर्च चलाने के लिए सोना तक विदेश में गिरवी रखना पड़ा। भारत के पास इतना विदेशी मुद्रा भंडार था कि उससे दो हफ्ते के आयात का खर्च ही उठाया जा सकता था। उस समय केंद्र में नरसिम्हा राव की सरकार थी, जो देश के सबसे सुलझे नेताओं में गिने जाते थे। उन्होंने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मनमोहन सिह को सौंपी। इसकी वजह भी बड़ी खास थी। उस वक्त भारत की साख बेहद गिर चुकी थी। कोई भी बड़ी अंतरराष्ट्रीय हमें कर्ज देने को तैयार नहीं थी। राव ने मनमोहन सिह को इसलिए वित्त मंत्री बनाया, ताकि अंतरराष्ट्रीय बैंकों से आसानी से कर्ज मिल सके। साथ ही, मनमोहन सिह पहले भी आर्थिक सलाहकार के तौर पर सरकार के साथ काम कर चुके थे। वह RBI गवर्नर भी रह चुके थे, लिहाजा उन्हें आर्थिक नीतियों का भी बेहतर अंदाजा था।

1991 के बजट में बदल गई देश की सूरत

वह दिन था 24 जुलाई 1991, मनमोहन सिह का बतौर वित्त मंत्री पहला बजट। अमूमन बजट तैयार करने में तीन महीने लगते हैं, लेकिन बजट लोकसभा चुनाव के बाद पेश किया जा रहा था, तो मनमोहन सिह को सिर्फ एक ही महीने का वक्त मिला। उन्होंने इस महीने में कमाल कर दिया। उन्होंने बजट में लाइसेंस परमिट राज को खत्म कर दिया। बंद अर्थव्यवस्था को खोल दिया, घरेलू निजी कंपनियां आईं, विदेशी कंपनियों ने भी एंट्री की। इससे सिस्टम में पैसा आया और कंपनियां फलने-फूलने लगीं। करोड़ों नए रोजगार पैदा हुए। करोड़ों लोग गरीबी रेखा से पहली बार ऊपर उठे।

मनमोहन के 1991 के बजट की मुख्य बातें

  • न्इस बजट ने आर्थिक उदारीकरण की शुरू की, जिससे निवेश का माहौल बेहतर हुआ।
  • न्लाइसेंसिग राज का अंत किया गया। कंपनियों को कई तरह की प्रतिबंधों से छूट दी गई।
  • न्आयात-नियोत नीति में बदलाव हुआ। इससे भारत का व्यापार काफी बेहतर हो गया।
  • न्विदेशी निवेश का स्वागत किया गया, इससे निवेश और नौकरियों की भरमार हो गई।
  • न्सॉफ्टवेयर के निर्यात के लिए टैक्स में छूट दी गई, जिससे भारत टेक्नोलॉजी का हब बना।

मनमोहन सिह 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे हैं। पूर्व पीएम ने साल की शुरूआत में राज्यसभा से रिटायर हुए थे और उनके रिटायर होते ही 33 सालों के बाद उच्च सदन में उनकी राजनीतिक पारी को विराम लग गया। बता दें कि पूर्व पीएम मनमोहन सिह ने 1991 में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी हैं।

मनमोहन सिह को कितनी मिलती थी पेंशन, यह अब उनके परिवार के किन-किन सदस्यों को मिलेगी?

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिह अब इस दुनिया में नहीं रहे। 26 दिसंबर की रात 92 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। बता दें कि प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद भी मनमोहन सिह को काफी सुविधाएं मिलती थीं। इसके अलावा उन्हें हर महीने 20 हजार रुपये पेंशन भी मिलती थी। अब सवाल यह है कि उनके निधन के बाद यह पेंशन किसे मिलेगी? इस पर परिवार के किन-किन सदस्यों का हक होगा? वहीं, बाकी सुविधाओं का लाभ भी किन-किन सदस्यों को मिलेगा?

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मनमोहन सिह को मिलती थीं ये सुविधाएं

जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद डॉ. मनमोहन सिह को नई दिल्ली में तीन, मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित बंगला दिया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री होने की वजह से शुरुआती पांच साल में उन्हें खास सुविधाएं दी गई थीं, लेकिन उसके बाद नियम के हिसाब से बदलाव कर दिया गया था।

सुरक्षा व्यवस्था में हुआ था यह बदलाव

पूर्व प्रधानमंत्री को पहले एक साल तक SPG सुरक्षा मिलती है। इसके बाद उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी जाती है। ऐसे में मनमोहन सिह को भी पहले एक साल तक SPG और उसके बाद जेड प्लस सिक्योरिटी दी गई। इसके अलावा उन्हें कैबिनेट मंत्री के बराबर की सुविधाएं, जिनमें 20 हजार रुपये महीना पेंशन, लुटियंस जोन में आजीवन मुफ्त आवास, ताउम्र फ्री मेडिकल फैसिलिटी, एक साल में छह घरेलू स्तर के हवाई टिकट, पूरी तरफ फ्री रेल यात्रा, जिदगी भर फ्री बिजली-पानी और पांच साल बाद निजी सहायक और एक चपरासी मिलता था। साथ ही, ऑफिस खर्च के लिए सालाना छह हजार रुपये भी दिए जाते थे।

परिवार के किन-किन सदस्यों को मिलेगी पेंशन?

बता दें कि डॉ. मनमोहन सिह को हर महीने 20 हजार रुपये पेंशन मिलती थी। नियमों के हिसाब से अब यह पेंशन उनकी पत्नी गुरशरण कौर को मिलेगी। इसके अलावा आवास की सहूलियत में भी कोई कटौती नहीं होगी। अगर सुविधाओं की बात करें तो मनमोहन सिह की पत्नी और उनके आश्रितों को ये सुविधाएं मिलती रहेंगी। इनमें सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज, रेलवे में फ्री यात्रा और हवाई जहाज में रियायती दरों पर सफर की सहूलियत मिलेगी. वहीं, सिक्योरिटी गार्ड से लेकर अन्य सुरक्षा व्यवस्था आदि भी बरकरार रहेंगी।

RBI गवर्नर कब बने थे डॉ मनमोहन सिह? बड़े पदों पर किया काम

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉ मनमोहन सिह का निधन हो गया है। डॉ मनमोहन सिह दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे, जहां उन्होंने आखिरी सांसें लीं। पूर्व पीएम पिछले कई सालों से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे और उनकी कई बार बाई पास सर्जरी भी हो चुकी थी। ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि मनमोहन सिह किन बड़े पदों पर काबिज रहे।

कब बने थे RBI गवर्नर?

डॉ मनमोहन सिह को इकॉनोमी का मास्टर माना जाता था, वो शुरुआत से ही अर्थशास्त्र में महारथ रखते थे। यही वजह है कि साल 1982 में उन्हें भारत के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI की गवर्नर बनाया गया. इस पद पर मनमोहन सिह 1985 तक रहे।

इन बड़े पदों पर रहे मनमोहन सिह

इससे पहले 1972 में मनमोहन सिह ने चीफ इकॉनोमिक एडवाइजर का पद भी संभाला था। इस पर वो करीब चार साल तक रहे थे। इसके अलावा उन्हें प्लानिग कमीशन का भी हेड बनाया गया, जिस पद पर वो 1985 से लेकर 87 तक रहे थे। इसके बाद डॉ. मनमोहन सिह को 1987 में पद्म विभूषण से भी नवाजा गया। बाद में 1991 में मनमोहन सिह को पीवी नरसिम्हा राव सरकार में पहली बार वित्त मंत्री बनाया गया।

पूरे करियर में सिर्फ एक ही बार चुनावी मैदान में उतरे थे मनमोहन सिह, जानें क्या रहा नतीजा

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिह का दिल्ली के एम्स में निधन हो चुका है। उन्होंने 92 साल में लंबी बीमारी के बाद अपनी अंतिम सांसें लीं। उनके निधन पर पूरे देशभर से लोग संवेदना व्यक्त कर रहे हैं, साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनके निधन के बाद लोग उनके देश के लिए योगदान और उनकी कहानियों को याद कर रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको उनके पहले और आखिरी चुनाव के बारे में बता रहे हैं, जब वो लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे थे।

ऐसा रहा चुनाव का रिजल्ट

डॉ मनमोहन सिह काफी सादगी भरा जीवन जीते थे। कांग्रेस पार्टी के लिए उन्होंने काफी ज्यादा काम किया और अहम योगदान दिए, जिसके बाद उन्हें कई बार राज्यसभा भेजा गया। हालांकि मनमोहन सिह सिर्फ एक ही बार चुनावी मैदान में उतरे और उसका नतीजा उनके लिए ठीक नहीं रहा। इसके बाद वो दोबारा चुनावी मैदान में नहीं दिखे। उन्हें दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से उतारा गया था, लेकिन वो जीत नहीं पाए। साल 1999 में उन्हें बीजेपी नेता विजय कुमार मल्होत्रा ने करीब 30 हजार वोटों से हराया था।

इतनी संपत्ति छोड़ गए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिह ने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। मनमोहन सिह साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। डॉ. मनमोहन सिह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी। प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद मनमोहन सिह अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। डॉ. मनमोहन सिह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर की तीन बेटियां हैं। पूर्व प्रधानमंत्री के बेहद सादा जीवन जीना पसंद करते थे, वह काफी कम बोलते थे. उनकी संपत्ति की बात करें तो उनके पास कुल 15 करोड़ 77 लाख रुपये की संपत्ति है। राज्यसभा में दिए गए एफिडेफिट के मुताबिक, उनके पास दिल्ली और चंडीगढ़ में एक फ्लैट भी है। एफिडेफिट के मुताबिक, मनमोहन सिह पर कोई कर्ज नहीं था।

डॉ.मनमोहन सिह की उपलब्धियां

डॉ. मनमोहन सिह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था। उन्होंने 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मेट्रिक की शिक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री अर्जित की। इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया। डॉ. मनमोहन सिह और उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर की तीन बेटियां हैं।

भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। मनमोहन सिह साल 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। 1972 में उनकी नियुक्ति वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में हुई। डॉ. सिह ने वित्त मंत्रालय के सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री के सलाहकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के तौर पर काम भी किया। मनमोहन सिह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे. ये वक्त देश के आर्थिक ढांचे के लिए काफी अहम था।

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इतनी बार हुई थी मनमोहन सिह की बायपास सर्जरी

नई दिल्ली स्थित ‘ऑल इंडिया मेडिकल साइंसेज’ में इलाज करा रहे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिह का निधन हो गया है। मनमोहन सिह कई सारी बीमारियों से जूझ रहे थें। साल 2009 में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री के दिल में कई ब्लॉकेज का पता चला था। मनमोहन सिह का दिल से जुड़ी बीमारियों का इतिहास रहा है। 1990 में भी उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी और 2003 में स्टेंट प्रत्यारोपण के लिए एंजियोप्लास्टी हुई थी।

बाईपास सर्जरी दिल की कोरोनरी धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने की प्रकिया है। इसे कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ़्टिंग या हार्ट बाईपास सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है। इस सर्जरी में मरीज़ के शरीर के किसी दूसरे हिस्से से स्वस्थ रक्त वाहिका का एक टुकड़ा लिया जाता है और उसे अवरुद्ध धमनी के ऊपर और नीचे जोड़ा जाता है। इससे रक्त और ऑक्सीजन हृदय तक पहुंच पाते हैं।

जब हार्ट में ब्लॉकेज की वजह से ब्लड फ्लो सही तरह नहीं हो पाता है तब बायपास सर्जरी की जरूरत पड़ती है। जिससे काफी फायदा मिल सकता है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि बायपास सर्जरी के बाद नॉर्मल लाइफ नहीं जिया जा सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि आजकल हार्ट बायपास सर्जरी हर उम्र के लिए आम हो गई है। गलत खानपान, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर की वजह से युवा भी हार्ट डिजीज के हाई रिस्क पर हैं। इसलिए ऐसा कहना है कि सिर्फ उम्रदराज लोगों को ही हार्ट की बायपास सर्जरी करवानी पड़ती है, पूरी तरह गलत है। डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट बायपास सर्जरी से हार्ट अटैक जैसी दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है लेकिन उन्हें पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है।

पूर्व पीएम मनमोहन सिह पर बॉलीवुड ने बनाई थी फिल्म, बजट का 147% लौटा था मेकर्स के पास

पूर्व पीएम मनमोहन सिह का आज 26 दिसंबर को 92 साल की उम्र में निधन हो गया है। पूर्व पीएम ने दिल्ली स्थित एम्स में आखिरी सांस ली है। क्या आप जानते हैं कि एक बार वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रह चुके मनमोहन सिह पर एक फिल्म भी बनी है? जी हां बॉलीवुड ने उनकी लाइफ पर ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ नाम की एक फिल्म बनी थी। साल 2019 में आई इस फिल्म को राकर गुट्टे ने डायरेक्ट किया था। ये फिल्म संजय बारू की ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ किताब पर आधारित है। फिल्म में अनुपम खेर ने पूर्व पीएम के किरदार को बेहद संजीदगी से निभाया था। तो वहीं संजय बारू के रोल में अक्षय खन्ना दिखे थे।

बॉक्स ऑफिस इंडिया के मुताबिक, फिल्म को करीब 21 करोड़ में बनाया गया था। फिल्म ने जिसका एक बहुत बड़ा हिस्सा पहले हफ्ते में करीब 18 करोड़ के ऊपर कमाई करके निकाल लिया था। फिल्म ने इंडिया में 27 करोड़ के ऊपर कमाई की थी। इसके अलावा फिल्म के वर्ल्डवाइड कलेक्शन की बात करें तो बॉक्स ऑफिस इंडिया के मुताबिक, ये 31 करोड़ के ऊपर था। फिल्म की कमाई और उसके बजट के बीच का अंतर निकालने पर साफ पता चलता है कि फिल्म ने बजट का करीब 147 प्रतिशत ज्यादा रुपया कमाया था। हालांकि, इसके बावजूद फिल्म का बॉक्स ऑफिस वर्डिक्ट फ्लॉप रहा। फिल्म की कहानी पूर्व पीएम के ऊपर लिखी गई किताब से ही ली गई थी, जिसमें उनके पीएम रहने के दौरान और उसके पहले की जिन चुनौतियों को उन्होंने सामना किया था उनके बारे में दिखाया गया था।

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