लखनऊ में नसरल्लाह की मौत पर प्रदर्शन तो विरोध में सवाल भी उठे

संजय सक्सेना
संजय सक्सेना

लखनऊ । देश के कई राज्यों की तरह लखनऊ मे भी लेबनान में मारे गये आतंकी हसन नसरल्लाह की मौत के बाद शिया समुदाय में आक्रोश है। विरोध में इन्होंने पुराने लखनऊ में राजाजीपुरम में तालकटोरा स्थित कब्रिस्तान और छोटे से लेकर बड़े इमामबाड़े तक प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल। यह लोग नसरल्लाह को शहिद बता रहे हैं। छोटे इमामबाड़ा से लेकर बड़ा इमामबाड़ा तक हजारों की संख्या में शिया मुसलमानों ने विरोध मार्च निकाला। हाथों में हसन नसरल्लाह की तस्वीर लेकर जिंदाबाद के नारे लगाए। इसी के साथ शिया मुसलमानों ने इजरायल के प्रधानमंत्री का पोस्टर जलाकर विरोध जताया। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने हिजबुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरल्लाह की मौत पर अफसोस जताया और इस पूरी घटना का जिम्मेदार इजराइल को बताया गया।

प्रदर्शन में शामिल जैदी ने कहा, कि नसरल्लाह की मौत का दिन हमारे लिए ब्लैक डे है। हम सभी लोग नसरल्लाह को श्रद्धांजलि देने और इसराइल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। छोटा इमामबाड़ा से लेकर बड़ा इमाम वाले तक लगभग एक किलोमीटर लम्बा प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने कहा नसरल्लाह हमारे बहुत मजबूत लीडर और शिया कौम के मार्गदर्शक थे। नसरल्लाह ने शिया समाज और मानवता के लिए कई बड़े काम किए हैं, जिनको भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने  ISIS  के हमलों के दौरान इमाम अली की बेटी हजरत जैनब के दरगाह की सुरक्षा की थी। हमेशा फिलिस्तीन के पीड़ितों का साथ दिया। इस पूरी घटना का जिम्मेदार इस्राइल है, वो बेगुनाहों का लहू बहा रहा है।

ये भी पढ़ें

राजनीति 2024 : अंत में यूपी बीजेपी की डूबती नैया को उबार ले गये योगी

प्रदर्शन में शामिल हुसैनी टाइगर के सदस्य जरी ने बताया कि हसन नसरल्लाह की मौत का शिया समुदाय तीन दिनों तक शोक मनाएगा. आज हम लोग सड़कों पर उतर कर इस्राइल का विरोध कर रहे हैं. इजराइल का प्रधानमंत्री पीड़ितों की मदद करने वालों पर हमला कर रहा है. हम दुनिया के 56 मुस्लिम मुल्कों से यह गुहार लगाते हैं, कि एक साथ आए और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं. तीन दिन तक गम शोक मनाएंगे अपने घरों की छतों पर काला झंडा लगा कर श्रद्धांजलि देंगे। हमारी मांग है, कि इजराइल फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों पर अपनी आक्रामकता को तत्काल रोके। मौलाना यासूब अब्बास ने हसन नसरल्लाह को एक मजबूत शिया-मुस्लिम नेता बताया. जिन्होंने हमेशा फिलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों का इजरायली बलों के खिलाफ समर्थन किया. उन्होंने नसरल्लाह की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए इसे मुस्लिम दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति बताया. उनकी हत्या के लिए इजरायली बलों को जिम्मेदार ठहराया। शिया समुदाय तीन दिन का शोक मनाने और अपने घरों की छतों पर काला झंडा लगाकर विरोध कर रहा है। इसके अलावा शिया समुदाय तीन दिन तक दुकानें बंद रखेंगे. मौलाना ने संयुक्त राष्ट्र से इजरायल पर दबाव डालने का आग्रह किया, ताकि वह फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों पर अपनी आक्रामकता को रोक सके।

खैर, यह एक पक्ष हैं। नसरल्लाह को लेकर भले ही हिन्दुस्तान के शिया मुसलमान नाराज हों,लेकिन अरब ने नसरल्ला की मौत पर कोई  प्रतिक्रिया नहीं दी है। बात दें हिजबुल्लाह समेत कई चरमपंथी गुटों का गढ़ लेबनान कुछ दशक पहले ईसाई देश हुआ करता था। ये ज्यादा पुरानी नहीं 20 वीं सदी की बात है। यहां तक कि वहां की संसद में भी लगभग 60 फीसदी जगह क्रिश्चियन लीडरों के लिए सुरक्षित थी। फिर यहां कुछ ऐसे मुस्लिम कट्टरपंथियों ने ऐसे पैर पसारे कि मुस्लिम आबादी बहुमत में आ गई। यहां तक कि अब लेबनान एक इस्लामिक मुल्क बना । इसमें हिजबुल्लाह के आतंकियों की बढ़ी भूमिका थी,जिसके चलते लेबनान पूरी तरह से तबाह हो गया। आज से कुछ ही दशक पहले लेबनान की राजधानी बेरूत की तुलना पेरिस से होती थी। यहां की संसद भी क्रिश्चियन. मेजोरिटी थी। लेकिन धीरे से यहां का धार्मिक समीकरण बदला इसमें बड़ा हाथ गाजा का भी रहाण्। आज यहां करीब 70 फीसदी आबादी मुस्लिम है।

ये भी पढ़ें

हिंदुओं के त्योहार पर ही क्यों फैलती हैं अराजकता और हिंसा

बता दें पचास के दशक में लेबनान में 70 फीसदी क्रिश्चियन थे, जबकि बाकी 30 प्रतिशत में मुस्लिम और अन्य धर्मों को मानने वाले थे। साल 1932 में यहां आखिरी जनगणना हुई थी। इसके बाद से देश में सेंसस ही नहीं हुआ।  साल 1970 तक भी पूरे मिडिल ईस्ट में लेबनान अकेला देश था जो नॉन मुस्लिम था। वहीं इजरायल यहूदी बहुल्य। तब लेबनान में मुख्य पदों पर लगभग 60 फीसदी लोग ईसाई धर्म के हुआ करते। इसे लेकर मुस्लिम आबादी में असंतोष बढ़ने लगा। वे बराबर की हिस्सेदारी चाहते थे। इस बीच कई बातें हुईं जैसे मुस्लिम बहुल आबादी के बीच रहने वाले ईसाइयों ने धर्म परिवर्तन कर लिया। इसाइयों के खिलाफ जहर उगलने और उनके खिलाफ कट्रता बढ़ाने में नसरउल्लाह का बड़ा योगदान था, इसी के चलते  नसरउल्लाह को कई देशों ने आतंकवादी घोषित कर रखा था।इसी लिये सवाल उठाया जा रहा है कि नसरउल्लाह जिंदाबाद कैसे हो सकता है। उसने ऐसा कुछ नहीं किया था जिसे मानवता के हिसाब से सही कहा सके।

Analysis

वक्फ बोर्ड की आड़ में जमीन कब्जाने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी

लखनऊ । वक्फ और वक्फ की संपत्तियों को लेकर हिंदुस्तान में अक्सर सही-गलत चर्चा होती रहती है। हममें से अधिकांश लोगों ने वक्फ का नाम तो सुना है, लेकिन वह इसके बारे में बहुत कुछ जानते नहीं हैं। वक्फ होता क्या है। किसी मस्जिद या दूसरे धर्मस्थल के वक्फ होने का मतलब क्या है? और […]

Read More
Analysis

यूपी में आजादी के जश्न पर आतंकियों की नजर

अजय कुमार  लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 15 अगस्त को आजादी का पर्व मनाने के लिये आमजन में उत्साह का माहौल है,वहीं खुफिया विभाग को मिले इनपुट के अनुसार स्वतंत्रता दिवस पर आतंकी प्रदेश में कोई बड़ी वारदात करने के लिये साजिश रच रहे हैं। वहीं यूपी पुलिस आजादी के जश्न में किसी भी प्रकार की […]

Read More
Analysis

प्रिसिंपल साहब बच्चों का भविष्य बनाने की बजाये पकड़ा रहे थे नकल की पर्चियां

उत्तर प्रदेश का जिला आजमगढ़ जो कभी आतंकियों की शरण स्थली के रूप में पूरे देश में बदनाम था,अब वह परीक्षाओं में नकल के चलते शोहरत बटोर रहा है।नकल भी कोई और नहीं बल्कि स्वयं वह लोग करा रहे है, जिनके कंधों पर बच्चों का भविष्य बनानेकी जिम्मेदारी होती है यानी प्रधानाचार्य और टीचर। प्रिसिंपल […]

Read More