लखनऊ । विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आज भी बिजली कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया । 23 जनवरी को निजीकरण हेतु कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए होने वाली प्री बिडिंग कांफ्रेंस के विरोध में पूरे प्रदेश के बिजली कर्मी भोजन अवकाश के दौरान कार्यालय से बाहर आकर प्रदर्शन करेंगे । लखनऊ में शक्ति भवन पर विद्रोह प्रदर्शन किया जाएगा।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के 5 दिसंबर 2024 के निर्णय के बावजूद पावर कार्पोरेशन प्रबंधन और सरकार ने अभी तक विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ निजीकरण जैसे बिजली कर्मियों को प्रभावित करने वाले अत्यधिक गंभीर मामले पर एक बार भी बातचीत नहीं की है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय का भी प्रबंधन सम्मान नहीं कर रहा है। इससे बिजली कर्मचारियों का गुस्सा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारी शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से निजीकरण का विरोध कर रहे हैं और यह विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार निजीकरण का फैसला वापस नहीं लेगी।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण हेतु कंसल्टेंट नियुक्त करने के पहले सरकार को अन्य प्रांतों में और उत्तर प्रदेश में आगरा एवं ग्रेटर नोएडा में हुए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता पर संघर्ष समिति से वार्ता करना चाहिए और 05 अप्रैल 2018 एवं 06 अक्टूबर 2020 के समझौतों के अनुरूप विद्युत वितरण निगमों के वर्तमान ढांचे में ही बिजली व्यवस्था में कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सुधार करना चाहिए। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में बिजली कर्मी लगातार सुधार कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री पिछले तीन वर्ष में अनेक बार ट्वीट करके सुधार हेतु बिजली कर्मचारियों की प्रशंसा करते रहे हैं। अब इससे ठीक उलट निजीकरण की बातें करना का क्या औचित्य है? संघर्ष समिति ने कहा कि यदि सरकार का उद्देश्य सचमुच सुधार करना है तो बिजली कर्मचारी सुधार के लिए हमेशा तैयार हैं और सुधार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी तरह संकल्प बद्ध हैं । बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण को स्वीकार नहीं करेंगे।