Analysis
मंदिर तो कांग्रेस का चुनावी नारा था! सोशलिस्ट विरोधी थे, हार गए!!
के. विक्रम राव सोनिया-कांग्रेस की स्थिति आज उस बिल्ली की भांति है जो चल पड़ी हज पर। कई चूहे खाकर। आजाद भारत का चुनावी इतिहास गवाह है कि राम के नाम का कांग्रेस ने सर्वप्रथम राजनैतिक उपयोग किया था। तब संयुक्त प्रांत के प्रधानमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत थे। बाद में पंतजी मुख्यमंत्री कहलाए जब […]
Read Moreमंदिर इस देश की आत्मा है और अनहद नाद
के के उपाध्याय मंदिर का एक वर्तुल है। उसके अपने आविष्ट क्षेत्र का। जो बहुत जीवंत है। उस जीवंत वर्तुल का पूरे गांव के लिए उपयोग था। और उसने परिणाम लाए थे। हजारों-हजारों साल तक के गांव की जो निर्दोषता और पवित्रता थी। उसके लिए गांव कम जिम्मेवार था। उस गांव का मंदिर आविष्ट था। […]
Read Moreमकर संक्रांति का संदेश
संदेश वाहक कल रूठा था,आज स्वस्थ है। उत्तरायण लगते ही प्रकृति बासंती वैभव की ओर उन्मुख हुआ। सबको मकर संक्रांति की शुभकामना। दैत्यों की रात्रि शुरु हुई देवो का दिन निकला। खरमास बीता सूर्य दक्षिण से उत्तर की दिशा मे उन्मुख हुए। पंचदेवों के उपासक हैं, अत : उनके चरणो मे साष्टांग प्रणाम करते हुए […]
Read Moreहिंदुओं के नियंता बने मोदी
डॉ. ओपी मिश्र प्रभु राम जगत के नियंता है तो आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1947 में देश के आजाद होने के बाद पहली बार हिंदुओं के नियन्ता बनकर उभरे हैं। वैसे तो वह 140 करोड़ देशवासियों के प्रधानमंत्री हैं और सबका साथ, सबका विकास तथा सबका विश्वास के मूल मंत्र के साथ आगे […]
Read Moreभूटान में भारत-मित्र फिर बना प्रधानमंत्री : शेरिंग तोबगे!
के. विक्रम राव भारत के प्रगाढ़ मित्र शेरिंग तोबगे भूटान के प्रधानमंत्री चुने गए। पाँच वर्ष सत्ता से बाहर रहे थे। उन्होंने वामपंथी माओ-समर्थक भूटान टेंड्रिल पार्टी को परास्त कर दिया। दो तिहाई संसदीय सीटें जीती। इस मतदान से यही साबित हुआ कि इस हिमालयी राजतंत्र में प्रजातंत्र सबल है। भारत का हित इसलिए हुआ […]
Read Moreडुबकी लगाई मोदी ने सागर में! लक्षद्वीप के सितारे चमक उठे!!
के. विक्रम राव यदि भारत के लिए इस्लामी मालद्वीप एक आपदा बनकर आया था तो मुस्लिम-बहुल लक्षद्वीप अब अवसर बनकर आया है। पर्यटकों का कयाम अब लक्षद्वीप हो गया है। यहां प्रधानमंत्री की सागर में एक डुबकी से ही साढ़े चार सौ प्रतिशत वृद्धि हुई है ऑनलाइन सर्च में। यात्री कंपनियों ने “भारत के सागरतट” […]
Read Moreश्रुति और ऋषि परंपरा से संचालित होता है सनातन
सनातन संस्कृति में केवल श्रुति ही सर्वोच्च है। यहां किसी शीर्ष आचार्य या किसी एक पुस्तक की नही चलती। यह विश्व के कल्याण और प्राणियों में सद्भावना का मार्ग है। भगवान आदि शंकर हमारे ऐसे आचार्य हैं जिन्होंने तत्कालीन परिस्थितियों में समाज की एकता और अखंडता के लिए पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में एक […]
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