Litreture

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नकल करने से अकल नहीं बढ़ती बल्कि आप पागल जरूर बन जाते हैं

एक पागलखाने में दो पागल करीब-करीब लगता था ठीक हो गये। तो हर वर्ष परीक्षण होता था। तो परीक्षा के लिए दोनों बुलाये गये। एक पागल भीतर गया, दूसरा बाहर बैठा रहा। उसने कहा कि जो कुछ भी उत्तर हो, तू लौटते में मुझे भी बता देना। आम आदमी संदिग्ध होता है और दूसरे से […]

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कविता : नो लाइफ विद आउट वाइफ

आज कल अमर्यादित टिप्पणी करने में हम बहुत तेज़ हो गये हैं, सारी मर्यादा जाने या अनजाने, ईर्ष्यावश हम सभी भूल गये हैं। सच है कि वाइफ इज लाइफ, नो लाइफ विद आउट वाइफ, व्हेन सम वन लेफ्ट हिज वाइफ, हाउ कुड ही सरवाइब इन लाइफ। कोई कहता, उस दल की विधवा, कोई माँगता है […]

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प्रेम का रंग चढ़ता चला गया

प्रेम का रंग चढ़ता चला गया, यूँ लगा कि दुनिया हमारी है, त्याग का यत्न जब सीखा तो ऐसा लगा कि जन्नत हमारी है। जीवन का साथ निभाता चला गया समस्यायें भी सुलझाता चला गया, दहशतगर्दी का शोक मनाया नहीं, बर्बादियों का दर्द भुलाता चला गया। जो कुछ मयस्सर हुआ उसको अपनी तक़दीर समझ लिया, […]

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कविता: “का वर्षा जब कृषि सुखाने”

समय का महत्व जानना है तो समाचार पत्र से पूछ लीजिये, जिसका प्रातः इंतज़ार होता है, शाम तक रद्दी के ढेर में जाता है। उठो, जागो, तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए, जीना, मरना समय का खेल है, खेल समझ ले वो आबाद होता है। दुनिया की किसी चीज़ की […]

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कविता : तभी दिख जाती हैं कठौती में गंगा

शतरंज के खिलाड़ी हों या प्यादे, अच्छे लोग सदा ही सस्ते होते हैं, बस मीठा बोल बना लो अपना, यद्यपि वह लोग अनमोल होते हैं। शायद इसीलिए हम लोग उनकी कीमत बिलकुल नहीं समझते हैं, लेकिन यह भी सत्य है एक सरल व्यक्ति के साथ हम छल करते हैं। यही छल बल हमारी बर्बादी के […]

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कविता : प्रकृति का नियम

जिस तरह एक वृक्ष की प्रकृति होती है हमारी प्रकृति भी वैसी ही होनी चाहिए, हमें अपनी धरती पर रहकर वृक्ष की तरह, अपनी जड़ों के साथ ही जुड़े रहना चाहिए। जैसे वृक्ष में जब फल आते हैं तो उसकी डालें झुक जाती है, नई पत्तियों की तरह हमारी सोच भी विनम्र कोमल हो जाती […]

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कविता: आबाद बालटोली, नवगान माँगती हूँ

  उपवनखिले सभी में मुस्कान माँगती हूँ, आबाद बालटोली,नवगान माँगती हूँ। सागर से पानी लेके गिरिराज को नहाए, उमड़घुमड़ के बादल चिरप्यास को बुझाए, बादल से आज झमझम नहान माँगती हूँ, आबाद बालटोली,नवगान माँगती हूँ।   केसरसुवास लहरों पे झूमझूम आए, चन्दन की भीनी ख़ुशबू गिरिकन्यका रिझाए, चन्दनमहक से महका मकान माँगती हूँ, आबाद बालटोली, […]

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कविता : मनसा, वाचा, कर्मणा एक से होंय

बोया पेड़ बबूल तो आम कहाँ से होय मनसा, वाचा, कर्मणा एकै से न होंय, चुनाव में पैसा बहै, बाद वसूली होत, बदलो ऐसे तन्त्र को, इसमें तो है खोट। राजनीति अब भ्रष्ट, हैं बबूल से काँट, इन्हें जड़ से काटिये, काँटे दीजै छाँट, स्वेच्छा सेवा करे जो उसे दो अधिकार, भ्रष्टतन्त्र ये नष्ट हो,ऐसा […]

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श्री हनुमान जन्मोत्सव की बधाई

जय श्री रामा जय श्री रामा। पवनपुत्र जपते श्री हनुमाना॥ अज़र अमर अतुलित बल धामा, करिये सब प्रकार प्रभु पूरन कामा दिन रात जपे जय जय श्रीरामा, भजिये महाबीर रामभक्त हनुमाना। जय श्रीरामा… अष्ट सिद्धि नव निधि दाता तुम, अंजनिपुत्र पवनसुत भक्त हम, रूद्र अवतार तेज़ पुंज बलवाना दिन निशि भजते जो श्रीरामा। जय श्रीरामा…. […]

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अहंकार के जाने के बाद ही मन में प्रेम के भाव उपजते हैं: ओशो

अहंकार और प्रेम एक साथ नहीं हो सकते। अहंकार भी अंधकार की भांति है। वह प्रेम की अनुपस्थिति है, वह प्रेम की एब्‍सेंस है। वह प्रेम की मौजूदगी नहीं है। हमारे भीतर प्रेम अनुपस्थित है इसलिए हमारे भीतर ‘मैं’ का स्वर, ‘मैं’ का स्वर बजता चला जाता है, बजता चला जाता है। और हम इस […]

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