संरक्षक सुरेश चंद्र द्विवेदी

Analysis

लमही! मुंशी प्रेम चंद के गांव को जैसा मैंने देखा!

लमही! आजमगढ़ वाराणसी मार्ग पर महान कथाकार मुंशी प्रेम चंद का यह गांव वाराणसी से महज 7-8 किमी पहले लबे सड़क स्थित है। इनके वंशज अब प्रयागराज के वाशिंदे हो चुके हैं लेकिन उनकी शिनाख्त लमही गांव से ही है। लमही जाने की बड़ी उत्सुकता थी क्योंकि उस गांव को देखने की चाहत इसलिए थी कि […]

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