#Gajanan Madhav Muktibodh

Analysis

हिंदी साहित्य सामाजिक चेतना के करीब

लालित्य के साथ अर्थबोध की गुणवत्ता बनी रही असत्य और नृशंसता के प्रति विद्रोह समाज को दिशा देने वाली रचनाएं मिलीं सत्ता और शासन को चुनौती देने वाली भारतेंदु बाबू ने कहा ‘निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल’.. सभी तरह से उन्नत हम तब कहलायेंगे.. जब हमारी अपनी कोई भाषा हो। वह भाषा […]

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