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Analysis
Spring Special : ऋतूनां कुसुमाकर, स्वागत ऋतुराज
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् । मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकर: ॥ श्रीमद्भगवद्गीता के दसवे अध्याय का पैंतीसवां श्लोक। भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते है ,जो ऋतुओ में कुसुमाकर अर्थात वसंत है , वह मैं ही तो हूँ। यही कुसुमाकर तो प्रिय विषय है सृजन का। यही कुसुमाकर मौसम है कुसुम के एक एक दल को पल्लवित […]
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