#Indian Federation of Working Journalists
पित्सा, पराठा और हम! विश्व खाद्य दिवस पर!!
कल (9 फरवरी 2024) विश्व पित्सा दिवस था। पित्सा अथवा पिज़्ज़ा यूरोपियन आत्मबंधु है पराठे का। इटली में जन्मा यह पराठा कर्नाटक के सागरतट पर अवतरित हुआ था। भले ही दोनों में दूरी हजारों मीलों की हो, पर साम्य बहुत है। इतिहास भी सदियों पुराना। एक समानता है दोनों में। भारत में बनने वाले पित्सा […]
Read Moreबाबर की सिसकियां सुनीं? योगीजी ने भव्य मंदिर दे दिया!
के. विक्रम राव अवंतिका सम्राट विक्रमादित्य से लेकर गोरखधाम पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ तक बीस सदियां और आठ दशक बीते। अब मोक्षपुरी अयोध्या का मूल रूप लौटता दिखा। कभी लोध राजपूत कल्याण सिंह का सूत्र यही गूंजा था : “राम लला, हम मंदिर यहीं बनाएंगे।” मुख्यमंत्री पद से बर्खास्तगी और एक दिन तिहाड़ जेल में वे […]
Read Moreप्रधानमंत्री की ढइया तक तो पहुंचे, छू न सके : पं. नारायणदत्त तिवारी!
के. विक्रम राव आज जयंती और पुण्यतिथि (18 अक्टूबर 2023) साथ है। पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, समाजवादी चिंतक और अर्थशास्त्री पंडित नारायणदत्त तिवारीजी की। दो साल बाद जन्म शताब्दी होगी। देश के सभी सोशलिस्टों और नेहरू-कांग्रेसियों को धूमधाम से इसे मनाना चाहिए। तिवारीजी भारत के दसवें प्रधानमंत्री (21 जून 1996) बन सकते थे। मगर लॉटरी […]
Read Moreलोकशाही बना रहे मणिपुर! नेहरू-युगीन अजायबघर नहीं!!
के. विक्रम राव मणिपुर घाटी में रिसते लहू की छीटों से ढाई हजार किलोमीटर दूर संसद भवन अभी लाल नहीं हो पाया ! कारण ? वहां लोग पड़ताल कर रहे हैं कि कितना रक्त मैतेई का है, कितना चिन-कूकी का, कितना नगा का ? मणिपुर का नाम कौन ले रहा है ? मगर राजधानी इंफाल […]
Read Moreयोगी जी, मीडिया को गटर में न जाने दें! सरकारी मान्यता नियम लागू हों!!
टीवी रिपोर्टर के छझ वेश में तीन शोहदों द्वारा माफिया अहमद-ब्रदर्स (अतीक और अशरफ) को भून देना, हम श्रमजीवी पत्रकारों के लिए वीभत्स हादसा है। क्योंकि पत्रकारिता हमारे लिए व्रत हैं, बाद में वृत्ति। अतः प्रयागराज का जघन्यकांड एक गंभीर चेतावनी है। हालांकि भारत सरकार का गृह मंत्रालय कल ही सुरक्षा की दृष्टि से जोखिमभरी […]
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