#legal recognition
Analysis
पुरुष का पति पुरुष! नारी की पत्नी नारी!!
क्या ऐसा प्राकृतिक होगा ? सर्वोच्च अदालत को निर्मित और प्रचिलित कानूनों को सुधारने का अधिकार भले ही हो, पर विकृत करने का हक कतई नहीं है। क्या लिंग-भेद और प्राचीन नियमों को मिटाने की अर्हता का दावा वह कर सकती है? भारत में अराजकता की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रसंग यहां […]
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